MP में लोकसभा की 6 सीट पर घटा मतदान प्रतिशत..बढ़ी चिंता..! कम वोट..किस पर चोंट…!

lok sabha election 2024 low turnout nda india alliance constituents

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को मध्य प्रदेश की 6 सीटों पर 67.08 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। 2019 के तुलना में यह काफी फीका माना जा सकता है। क्योंकि यह पिछली बार से करीब 8 फ़ीसदी कम है। 2019 में इन सीटों पर औसत 75.24 मतदान हुआ था।

19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है। मध्यप्रदेश की 29 में से 6 लोकसभा सीटों पर भी वोटिंग कराई गई। राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग की ओर से पूरी ताकत झोंकने के बाद भी एमपी में मतदान प्रतिशत पिछले 2019 के चुनाव के मुकाबले बहुत कम दर्ज किया गया। अब सियासी दल इससे घबराए हुए हैं। आखिर पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 2024 के चुनाव में मतदान प्रतिशत करीब 7.5 प्रतिशत की कमी क्यों हुई है।

कम वोट,बीजेपी के लिए चिंता का सबब

खासकर बीजेपी के लिए परेशानी बढ़ गई है क्योंकि उसने तो लोकसभा सीट के हर बूथ पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सतर्क कर रखा था। इतना ही नहीं अलग अलग दल भी बनाये गये थे। मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने के लिए बीजेपी की ओर से बाकायदा पीले चावल भी मतदाताओं को दिए गए थे। इसके बाद भी वोटिंग प्रतिशत घट गया। मध्यप्रदेश की आधा सीटों में करीब 67.08 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा पिछली बार 2019 में हुए चुनाव की तुलना में 7.5% कम है।

मतदाताओं के जोश पर भारी तो नहीं पड़ गया सूर्यदेव का प्रकोप

दरअसल मतदाताओं के जोश पर गर्मी भरी पड़ी है। उधर कम मतदान बीजेपी और कांग्रेस के साथ ही प्रत्याशियों के लिए भी चिंता का सबक बन गया है। छिंदवाड़ा सीट की बात करें तो इस बार सबसे ज्यादा 79.8 प्रतिशत लेकिन पिछली बार से तीन फीस कम मतदान हुआ है। पिछली बार 2019 में करीब 10% वोट बढ़ा था लेकिन इस बार वोट प्रतिशत में कमी दर्ज की गई है। इसके कई कारण हो सकते हैं। प्रदेश के शहरों का तापमान जहां 40 डिग्री पहुंच गया है। वही ऐसे में गर्मी भी एक कारण हो सकती है। दूसरा पिछली बार पुलवामा अटैक समेत राष्ट्रवाद का मुद्दा गर्मी हुआ था। इस बार मतदाता में सत्तारूढ़ पार्टी की वापसी को लेकर भरोसा ज्यादा है।

मुद्दे नहीं कर सके मतदाताओं को प्रभावित

ऐसे में सियासी जानकारी का कहना है मतदाता वोट करने ही नहीं निकला। सत्ता पक्ष विपक्ष दोनों ही पार्टी की तरफ से ऐसे मुद्दों का आभाव था जो मतदाताओं को मतदान केन्द्र तक लेकर आते। बीजेपी मोदी की गारंटी और राम मंदिर का मुद्दा भी जोर नहीं पकड़ पाया। इसे भी कम वोट प्रतिशत का कारण माना जा रहा है। वहीं इस बार लोकसभा चुनाव में शुरू से ही जनता में उत्सुकता नजर नहीं आ रही थी। जानकारों का कहना है कि इसका कारण लोकसभा के चुनाव में क्षेत्र का बड़ा होना भी एक वजह है।

Exit mobile version