24 घंटे में कांग्रेस को तीसरा झटका …विजेंदर सिंह संजय निरुपम के बाद इस नेता ने छोड़ा ‘हाथ’ कहा- नहीं लगा सकते सनातन विरोधी नारे

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गौरव वल्लभ ने छोड़ा ‘हाथ’ कहा- नहीं लगा सकते सनातन विरोधी नारे

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस का लगातार झटके मिल रहे हैं। उसके नेता एक के बाद पार्टी छोड़ रहे हैं। चुनाव की सरगर्मी के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंदर सिंह का मन बदला और वे कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े के हाथों उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। करोड़ों की संपत्ति के मालिक विजेंदर सिंह ने पांच साल 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। ऐसे कांग्रेस अभी बॉक्सर विजेंदर सिंह के इस सियासी पंच और संजय निरुपम की कांग्रेस से दूरी वाले झटके से उबर भी नहीं पाई थी कि उसे गौरव वल्लभ ने बड़ा झटका दे दिया। गौरव के रुप में कांग्रेस को ट्रिपल अटैक का सामना करना पड़ा है।

कांग्रेस प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। गौरव का कहना है वे सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते। ऐसे में सीनियर नेता और प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। गौरव ने सोशल मीडिया पोस्ट में अपने इस्तीफे की जानकारी दी है। साथ ही पोस्ट करते हुए पार्टी छोड़ने की वजह भी बताई है। गौरव ने लिखा है कि वे सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते। ना ही हरदिन सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दी जा सकती है। बता दें सोशल मीडिया पर गौरव ने बड़ी सधी हुई भाषा में कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को आइना दिखाने का काम किया है। साथ ही कांग्रेस को भटकी हुई पार्टी करार दिया है। सोशल मीडिया पर किए गये पोस्ट में गौरव कहते हैं। कांग्रेस आज जिस तरह से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है उसमें वे स्वयं को सहज महसूस नहीं कर रहे थे। गौरव अपनी सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट में आगे लिखते हैं कि वे भावुक है।। मन व्यथित है। वे काफी कुछ कहना और लिखना चाहते हैं। बताना चाहते हैं लेकिन उनके संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से इनकार करते हैं। जिससे दूसरे लोगों को कष्ट पहुंचे। फिर भी में अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहे हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि सच को छुपाना भी बड़ा अपराध है। वे अपराध के भागी नहीं बनना चाहते।

पार्टी के स्टैंड से असहज थे गौरव

गौरव वल्लभ ने अपनी पोस्ट में कहा वे वित्त के प्रोफेसर हैं। कांग्रेस से जुड़ने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। कई मुद्दों पर कांग्रेस का पक्ष दमदार तरीके से देश के समक्ष रखा। पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहे हैं। जब उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकड़ा था तब उनका मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। जहां पर युवा और बौद्धिक लोगों की उनके आइडिया की कद्र होती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्हें यह महसूस हुआ कि कांग्रेस का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती। कांग्रेस का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है। कांग्रेस नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके चलतेे न तो कांग्रेस सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूती के साथ विपक्ष की भूमिका निभा पा रही है।

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