लोकसभा चुनाव 2024: झारखंड में दांव पर ‘सोरेन’ सरकार के साथ ‘परिवार’ की साख ..!

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लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मी के बीच झारखंड में एनडीए के लिए 2019 का रिकॉर्ड दोहराना और इंडिया गठबंधन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जेल में होना इस समय सबसे बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह कठीन परीक्षा भी है। क्योंकि झारखंड में लोकसभा की 14 में से 13 सीटों पर सीधी लड़ाई दिखाई दे रही है। बता दें देश में लोकसभा चुनाव का जब चौथा चरण होगा तब झारखंड में पहला शुरू होगा। झारखंड में पहले चरण का मतदान 13 मई, दूसरा चरण 20 मई, तीसरा चरण 25 मई और चौथे चरण का मतदान 1 जून को होगी। झारखंड में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हेमंत सोरेन के लिए सरकार, सोरेन परिवार दोनों की साख दांव पर है।

पहला चरण की 4 सीट में से 3 पर टक्कर

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में झारखंड की खूंटी, सिंहभूम और पलामू के साथ लोहरदगा में मतदान होगा। इन चार सीट में से 3 सीट एसटी और पलामू एससी के लिए आरक्षित हैं। एनडीए के नेता भी मानते हैं कि खूंटी और सिंहभूम के साथ लोहरदगा में टक्कर है। इनकी तुलना में पलामू सुरक्षित है। लोकसभा की इन चारों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। मोदी मैजिक को आधार बताते हुए बीजेपी समर्थकों का दावा है कि चारों सीट पर बीजेपी क्लीन स्वीप करेगी। वहीं दूसरी ओर झामुमो के साथ राजद और कांग्रेस का महागठबंधन एकजुट होकर चुनाव में ताकत झोंक रहा है।

दूसरे चरण की 3 में से 2 सीट पर करीबी भिड़ंत

झारखंड में दूसरे चरण का मतदान 20 मई को होगा। जिसमें कोडरमा, हजारीबाग और चतरा लोकसभा सीट पर वोटिंग होगी। इन तीनों सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है। लेकिन इस बार हजारीबाग के साथ चतरा में मुकाबला रोचक होने वाला है। दोनों सीटों पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी बदले हैं। हालांकि इसके बाद भी बीजेपी को भितरघात का डर है। वह इस संकट से अभी उबर नहीं पाई है। बीजेपी ने कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला भाकपा के उम्मीदवार विनोद सिंह से है। वहीं माना जा रहा है कि भाकपा को राजद का साथ मिला तो लड़ाई होगी। अन्यथा बीजेपी की अन्नपूर्णा को रोकना इंडिया गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती होगी। इन दो सीटों पर अभी से कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है।

तीसरे चरण की 4 सीटों में से 3-1 का रुझान

झारखंड में तीसरे चरण का मतदान 25 मई को होगा। जिसमें 4 सीटों रांची के साथ जमशेदपुर और धनबाद ही नहीं गिरिडीह सीट पर भी मतदान है। यह चारों सीट अभी एनडीए के कब्जे में हैं। लेकिन इंडिया महागठबंधन बीजेपी को उसके ही गढ़ में घेरने की रणनीति बना रहा है। बता दें झारखंड की धनबाद सीट पर बीजेपी फंसती नजर आ रही है। जबकि शेष तीनों सीट पर उसका पकड़ मजबूत मानी जा रही है। दरअसल जमशेदपुर में बीजेपी की स्थिति अभी तक मजबूत बनी हुई है। जबकि गिरिडीह सीट से आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरे हैं।

चौथा चरण का रण, 3 में से 2 सीट पर चुनौती

झारखंड में चौथे चरण का चुनााव 1 जून को होगा। जिसमें लोकसभा की गोड्डा और राजमहल के साथ दुमका सीटों पर मतदान होगा। बता दें संथाल को झामुमो का अभेद किला माना जाता है। बीजेपी झामुमो को उसके किले में घेरने की रणनीति पर काम कर रही है। गोड्डा से निशिकांत दुबे को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। उनकी जीत के रथ को रोकना गठबंधन के लिए आसान नहीं होगा। दरअसल गोड्डा सीट पर 21% मुस्लिम वोटर्स हैं तो 16% यादव और 11% आदिवासी वोटर्स हैं। माना जा रहा है कि यहां वोट का ध्रुवीकरण हुआ तो निशिकांत के लिए चुनौती हो सकती है। वहीं सबसे अहम दुमका सीट मानी जा रही है। यहां से झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को BJP ने प्रत्याशी बनाया है। BJP  ने सीता को मैदान में उतारकर बड़ा सियासी दांव खेला है। सीता ने बाजी मारती है तो झामुमो की सियासी साख कम होगी। जिसका लाभ BJP को इसी साल होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव में मिल सकता है। दुमका में 40% आदिवासी और 18% मुस्लिम वोटर्स हैं। सियासी गणित कहता है कि 36% मुस्लिम और 35% आदिवासी राजमहल का भी है। बीजेपी ने मरांडी को अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रहे तो इन दोनों ही सीटों पर किसी की भी नैया पार हो सकती है।

2019 – कांग्रेस और झामुमो को मिली थी एक-एक सीट

पिछले दो चुनाव की बात करतें हैं तो 86 प्रतिशत तक सीट और 50 प्रतिशत तक वोट शेयर अकेले बीजेपी के खाते में गया है। भाजपा ने 2019 में 11 सीट और 50.96% वोट शेयर हासिल किया। जबकि 2014 में 12 सीट और 40.11% वोट शेयर हासिल किया। इसी प्रकार 2009 में बीजेपी ने 8 सीट के साथ 27.53 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया। जबकि कांग्रेस ने 2019 में 1 सीट और 15.63% वोट शेयर हासिल किया। 2014 में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीती, उसे 13.28% वोट मिले। इसी प्रकार 2009 में 1 सीट कांग्रेस को मिली और 15.02 प्रतिशत वोट मिले। वहीं झामुमो को 2019 में एक सीट के साथ 11.51%, 2014 में 2 सीट के साथ 9.28% और 2009 में 2 सीट के साथ 11.7 प्रतिशत वोट मिले। जबकि 2019 में एक सीट अन्य के खाते में गई।

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