नई सरकार बनाने की कवायद में एनडीए, क्या मजबूरी का गठ’बंधन’ बनेगा मजबूती की गारंटी… !

लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। अब बीजेपी एनडीए के घटक दलों के साथ मिलकर देश की सरकार बनाने की कवायद में जुटी है। क्योंकि उसे इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला। बीजेपी 240 सीट पर ही सिमट कर गई जबकि बहुमत के लिए उसे 272 सीट की आवश्यकता थी। ऐसे में अब एनडीए के घटक दल सरकार के लिए जरूरी हो गए हैं।

चुनाव परिणाम सामने आने के बाद चर्चा भाजपा के घोषणा पत्र को लेकर भी हो रही है। सवाल सवाल खड़े हो रहे हैं। बता दें बीजेपी ने 14 अप्रैल 2024 को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में चुनावी संकल्प पत्र को जारी किया था। जिसका नाम मोदी की गारंटी रखा गया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में इसे समर्पित किया गया। जिसमें गरीब युवा किसान महिला को समर्पित भाजपा का यह संकल्प पत्र इन्हीं चार वर्गों में से एक-एक प्रतिनिधि को उसे समय सौंपा था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 10 साल में पार्टी के संकल्प पत्र के एक-एक बिंदु को जमीन पर उतरने की बात कही थी। इसी के भरोसे संभवत अबकी बार 400 पार का नारा बुलंद किया गया था। 1 जून को अंतिम चरण के मतदान के बाद जब एग्जिट पोल आए तो उसमें भी इसी तरह की संख्या सामने आई। लेकिन 4 जून को मतगणना जब हुई तो मोदी का मैजिक घटना हुआ नजर आया। एनडीए की सीट 293 पर रुक गई। जबकि भाजपा रफ्तार 240 सीट पर ही आकर थम गई।

नड्डा करते थे क्षेत्रीय दलों को खत्म करने की बाद,अब उन्हें का भरोसा

जिस बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चुनाव के दौरान क्षेत्रीय पार्टियों के खात्मे को लेकर भाषण देते थक नहीं रहे थे आज वही बीजेपी सत्ता की सीढ़ी चढ़ने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों का सहारा लेने को मजबूर नजर आ रही है। 7 जून को अब एनडीए के सांसदों की बैठक होने वाली है। इसके बाद राष्ट्रपति के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। इससे पहले 5 जून को हुई बैठक में एनडीए के सभी घटक दल के सांसदों ने नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है।

8 जून को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे नरेन्द्र मोदी!

एनडीए के विपक्ष में खड़ा इंडिया गठबंधन फिलहाल सरकार बनाने की कोशिश करते नजर नहीं आ रहा है। जिससे तय है कि 8 जून को संभवत नरेंद्र मोदी देश के तीसरे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। गठबंधन में टीडीपी और जदयू का खासा महत्व रहेगा। इन्हीं के भरोसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर अपने 5 साल पूरे करेंगे लेकिन इससे पहले उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री और दो बार देश के प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके नरेंद्र मोदी को अपने राजनीतिक जीवन में यह पहली बार गठबंधन की सरकार चलने का अनुभव हासिल होगा।

कभी मोदी को दी थी अटली जी ने राजधर्म निभाने की सलाह

गुजरात दंगों के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी। अब नरेंद्र मोदी अटल जी के गठबंधन धर्म को समझने और उसे पर चलने की कोशिश करते हैं तो यह तय है कि इस बार भी एनडीए सरकार 5 साल पूरे कर लेगी। लेकिन इन आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह 2024 में एनडीए गठबंधन की सरकार का हश्र भी कहीं अटल बिहारी वाजपेई की 13 दिन और 13 महीने चलने वाली सरकार जैसा तो नहीं होगा।

क्या अटलजी की सीख पर गठबंधन सरकार चला पाएंगे मोदी ?

बता दें 1996 के लोकसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। तब 161 सीट जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई थी। कांग्रेस को 140 सीट मिली थी वह दूसरे नंबर पर थी। जिसने उसने सरकार बनाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में राष्ट्रपति ने सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का न्यौता दिया। अटलजी ने 16 मई 1996 को पीएम पद की शपथ ली लेकिन दुर्भाग्य से उनके पास बहुमत नहीं था वे बहुमत साबित नहीं कर पाए और 13वें दिन उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ना पड़ी थी। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि अब तक स्वतंत्र रहकर फैसले लेने वाले नरेन्द्र मोदी पीएम के रुप में गठबंधन के बंधन में बंधे रह पाएंगे।

हालांकि इतना तो तय है कि गठबंधन में शामिल हर दल भाजपा के मजबूत राष्ट्र और दुनिया में तीसरी आर्थिक शक्ति बनने के सपने को पूरा करने में अपना जोर लगाते नजर आएंगे क्योंकि गठबंधन के दल यह भली भांति जानते हैं कि बीजेपी को नुकसान हुआ तो उनकी भी राजनीतिक तों पर लगी होगी वैसे नरेंद्र मोदी के पास अटल बिहारी वाजपेई के अनुभव से भी सीखने के लिए बहुत कुछ है लिया जा कहा जा सकता है कि भले ही मोदी की गारंटी ना हो पर गठबंधन की सरकार के दम पर भाजपा देश में मजबूत सरकार चलने देश को मजबूत बनाने की गारंटी पूरा करने की गारंटी जरूर दे सकती है।

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