लोकसभा चुनाव: क्या रायबरेली में राहुल तोड़ पाएंगे मां सोनिया गांधी का रिकॉर्ड?…बीजेपी चुनाव-दर-चुनाव ऐसे होती गई मजबूत

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उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने राहुल गांधी को जिम्मा सौंपा है। यहां से बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह और बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को टिकट दिया है। 20 मई को पांचवे चरण में यहां मतदान होना है। वहीं बीजेपी के बढ़ते कद को देखते हुए इस बार रायबरेली में राहुल गांधी के लिए अपनी मां सोनिया के रिकॉर्ड को तोड़ना आसान नहीं है। इस तरह यूपी की अमेठी लोकसभा सीट भी हाई प्रोफाइल मानी जाती है। पिछली बार यहां से राहुल गांधी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस बार क्या है अमेठी और रायबरेली सीट का सियासी समीकरण आइये देखते हैं।

इतना आसान नहीं है रायबरेली जीतना !

लोकसभा का चुनाव अब धीरे-धीरे अपने चरम की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। चार चरण पूरे हो चुके हैं। अब पांचवें चरण की तैयारी है। जिसमें 20 मई को 8 राज्यों की 49 सीटों पर करीब 695 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद होगा। हम बात कर रहे हैं 80 सीट वाले यूपी की। जहां पांचवे चरण में 14 सीटों पर मतदान होना है। जिनमें अमेठी और रायबरेली जैसी हाई प्रोफाइल सीट भी शामिल हैं।

लोकसभा चुनाव पांचवें चरण में सभी की निगाहें UP में हाई प्रोफाइल रायबरेली पर लगी हैं। रायबरेली से राहुल गांधी चुनावी मैदान में हैं। जिनका मुकाबला बीजेपी दिनेश प्रताप सिंह और BSP ठाकुर प्रसाद यादव से है। परिवार के गढ़ रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी अजेय रही हैं। हालांकि  कांग्रेस का वोट % चुनाव दर चुनाव कम हुआ है और रायबरेली में जिस  तेजी से BJP ने पैर पसारे हैं– ऐसे में राहुल गांधी क्या रायबरेली में सोनिया गांधी के रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे? यह बड़ा सवाल सियासी फिजा में गूंज रहा है।

रायबरेली को गांधी परिवार का परंपरागत गढ़ माना जाता है। प्रियंका गांधी से लेकर राहुल गांधी तक रायबरेली के साथ गांधी परिवार का 103 साल पुराना सियासी नाता बता रहे हैं। आजादी के बाद देश में जब पहली बार लोकसभा चुनाव हुए तो रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी चुनाव लड़े और सांसद बने थे। इंदिरा गांधी ने ने भी रायबरेली को अपनी कर्मभूमि बनाई।

1967 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने यहां से जीत हासिल की. इसके बाद 1971 के चुनावों में भी इंदिरा गांधी यहां से जीतीं, लेकिन 1977 में हार गईं। हालांकि, 1980 में फिर से जीतने में कामयाब रहीं, लेकिन उन्होंने सीट छोड़ दी। 2004 में 44 साल के बाद सोनिया गांधी ने रायबरेली को अपना राजनीतिक क्षेत्र बनाया और अब 2024 में राहुल गांधी को सौंप दिया है। रायबरेली वो लोकसभा सीट है जहां 72 साल के सियासी इतिहास में 66 साल कांग्रेस के सांसद रहे हैं। अब तक हुए 20 चुनाव में 17 बार कांग्रेस को जीत मिली है। 72 साल में गांधी परिवार से चार लोग सांसद का चुनाव लड़े। 20 साल तक रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व सोनिया गांधी ने किया।

7 सीट पर कांटे का मुकाबला

यूपी की बात करें तो लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की 14 में से 7 सीटों पर कांटे की टक्कर नजर आ रही है। फिलहाल यहां सात में से 6 सीट पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। चुनावी समीकरण पर और करें तो पांचवें चरण की जिन 6 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। वहां 2019 में बीजेपी को बहुत कम मार्जिन से जीत हासिल हुई थी। ऐसे में इन सीटों पर कांटे की टक्कर समझी जा रही है। वैसे तो 20 मई को पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की जिन 14 सीटों पर मतदान होना है। उनमें से 13 सीट बीजेपी के पास है जबकि रायबरेली एकमात्र ऐसी सीट है। जहां से 2019 में कांग्रेस को जीत मिली थी। रायबरेली से सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी। इन 14 लोकसभा सीटों में यूपी की विधानसभा की 17 सीट शामिल हैं। जिनमें से 45 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। बता दे 14 लोकसभा सीटों में फतेहपुर को छोड़कर सभी लोकसभा सीट पर पांच-पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं जबकि फतेहपुर लोकसभा सीट पर 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

साल 2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव में पांचवें चरण की 6 सीट फैजाबाद, कौशांबी, मोहनलालगंज, अमेठी, कैसरगंज और बांदा सीट पर बीजेपी को 1 लाख से काफी कम वोट से जीत हासिल हुई थी। इन सभी सीटों पर इस बार कांटे की टक्कर है। दरअसल कम मार्जिन वाली इन सीटों को विपक्ष ने भी अपने पाली में करने के लिए मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं और एडी से छोटी तक का जोर चुनाव में लगा दिया है। बीजेपी के सामने इन सीटों पर जीत हासिल करने के साथ ही मतदान प्रतिशत को बरकरार रखने की भी चुनौती है क्योंकि मतदान प्रतिशत बढ़ने से दो बार भी बीजेपी की सीटों सीटों की संख्या बड़ी थी।

2009 के लोकसभा चुनाव के आंकड़े को देखें तो उसे चुनाव में मतदान प्रतिशत काफी कम होने से बीजेपी को नुकसान हुआ था जबकि सपा, बसपा और कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियों को लाभ मिला था। 2009 के चुनाव में मोहनलालगंज लोकसभा सीट से लेकर बांदा, फतेहपुर, जालौन, कौशांबी और कैसरगंज लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी। जबकि रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी, गोंडा, फैजाबाद और झांसी लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। इसी तरह बसपा ने भी हमीरपुर लोकसभा सीट पर कब्जा किया था।

इसके दस साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में 71 विधानसभा सीटों की स्थिति देखें तो बीजेपी 45 समाजवादी पार्टी 21 अपना दल एस तीन, जनसत्ता दल दो सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 13 कांग्रेस एक सीट पर जीत हासिल कर सकी थी। जिसमें भाजपा ने कौशांबी लोकसभा सीट पर 38722 फैजाबाद सीट पर 65477 मोहनलालगंज सीट पर 90204 अमेठी लोकसभा सीट पर 55 हजार 120, बांदा लोकसभा सीट पर 58 हजार 938 वोटों से बीजेपी ने जीत हासिल की थी। वहीं इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 12 कांग्रेस दो सीट जीत चुकी थी। जिसमें कौशांबी लोकसभा सीट पर भाजपा ने 42 हजार 900 वोट और कैसरगंज लोकसभा सीट पर 78 हजार 218 वोट से जीत हासिल की थी।

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