लोकसभा चुनाव के अंतिम और सातवें चरण में 8 राज्यों की 57 सीटों पर एक जून को मतदान होना है। जिसमें यूपी की 13 सीट भी शामिल हैं। जिन पर अंतिम चरण में वोटिंग होगी। ऐसे में यहां चुनावी समीकरण साधने का पूरा प्रयास सियासी दल करते नजर आ रहे हैं। बात करें गाजीपुर लोकसभा सीट की तो इस बार का चुनाव माफिया की मौत के बाद सहानुभूति और माफिया राज ये मुक्ति के बीच है।
- यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर 1 जून को मतदान
- इंडिया गठबंधन की ओर से मैदान में अफजाल अंसारी
- बांदा की जेल में हुई थी मख्तार अंसारी की मौत
- 2019 में अफजाल अंसारी जीते थे चुनाव
- बसपा के टिकट पर अफजाल ने जीती थी यह सीट
- 2019 में था बसपा और सपा के बीच गठबंधन
- अफजाल ने बीजेपी के मनोज सिन्हा को 1.19 लाख वोटों से हराया था
- मनोज सिन्हा गाजीपुर से 1996 और 2014 में जीते थे चुनाव
- इस बार बीजेपी के प्रत्याशी हैं पारसनाथ राय
- मनोज सिन्हा के करीबी माने जाते हैं राय
कहते हैं गाजीपुर लोकसभा सीट माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का क्षेत्र माना जाता है। यहां पर इस बार माफिया मुख्तार अंसारी की मौत से उपजी सहानुभूति और माफिया से मुक्ति के बीच का चुनाव इस बार माना जा रहा है। बता दे बांदा की जेल में माफिया मुख्तार अंसारी की मौत का असर गाजीपुर लोकसभा सीट पर भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है। यहां गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी इंडिया गठबंधन के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैंं जिनका मुकाबला भाजपा के पारसनाथ राय से हो रहा है। पारसनाथ राय को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का करीबी माना जाता है।
गाजीपुर में एनडीए वर्सेस इंडिया गठबंधन के बीच जबरदस्त चुनावी टक्कर देखने को मिल रही है। यहां अखिलेश यादव भी पसींना बहाते नजर आ रहे हैं ।लगातार चुनावी रैली और जनसभा गाजीपुर क्षेत्र में कर रहे हैं। उधर भाजपा के लिए से प्रभारी गुजरात के गोवर्धन झाड़पिया और बीजेपी के प्रदेश संगठन मंत्री लगातार बैठकर लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ाने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं के चुनावी उत्साह के सामने भीषण गर्मी भी सखी नजर आ रही है।
बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
बीजेपी सह प्रभारी गोवर्धन झाड़पिया की माने तो बीजेपी के सामने कई चुनौतियां हैं लेकिन पार्टी के पास पर्याप्त वोटर हैं। जिनके सहयोग से वह चुनाव जीत रही है। बता दे यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गाजीपुर में चुनावी सभा कर चुके हैं। जिसमें प्रधानमंत्री ने बगैर किसी का नाम लिए कहा था कि सम्मान चाहिए कि माफिया की धौंस। स्थानीय भाजपा नेता माफिया से मुक्ति को ही क्षेत्र में मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। स्थानीय लोग भी कहते हैं कि इस बार का चुनाव माफिया के गुर्गों का असर नजर नहीं आ रहा है। योगी आदित्यनाथ के चलते मतदाता बिना किसी भय के इस बार वोट डाल पाएंगे।
सपा मानती है मख्तार अंसार गरीबों का मसीहा था
वहीं समाजवादी पार्टी के जिला पदाधिकारी मुसाफिर यादव की माने तो मुख्तार अंसारी गरीबों का मसीहा था। वह गरीबों की मदद करता था। लोगों में सहानुभूति की लहर दिखाई दे रही है। अफजाल अंसारी भी जेल में मुख्तार को मौत का मुद्दा उठाते रहे हैं। अफजाल अंसारी कहते नजर आ रहे हैं कि देखा जालिमों ने जेल में जहर देकर मुख्तार अंसारी को मार दिया। दिल का दौरा बता कर मामला रफ्ता दफा कर दिया। यही समय है बीजेपी जो जुल्म करती है उसको सजा देने का।
बता 2014 में चुनाव जीतने के बाद 2019 में बीजेपी गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव में हार गई थी। इस बार बीजेपी हारी हुई सीट जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। उधर इंडिया गठबंधन को अखिलेश यादव की चुनावी सभा सभा और एमवाय समीकरण से खासी उम्मीदें हैं।
किसी के लिए मसीहा था तो कोई समझता है खूंखार अपराधी!
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के 2 महीने बाद भी यूपी की गाजीपुर लोकसभा सीट पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। क्षेत्र के कुछ लोगों का कहना है मुख्तार अंसारी उनके लिये मसीहा था। जबकि कुछ लोग यह कहते हैं कि मुख्तार
एक खूंखार अपराधी था। वहीं कुछ लोगों को यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार के इस दावे पर भरोसा है कि मुख्तार की मौत कोई साजिश नहीं थी। दरअसल अंसारी के समर्थकों को ऐसा लगता है कि उनके परिवार को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में सताया गया है। वहीं इसका एक और दूसरा पहलू यह भी है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी को चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराए जाने को लेकर भी एक मुकदमा चल रहा है।
दरअसल पिछले साल अप्रैल में गाजीपुर की अदालत ने अफजाल अंसारी को चार साल की सजा सुनाई थी। इतना ही नहीं अफजाल को सांसद पद से भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था। जबकि इसके बाद दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अफजाल की सजा को निलंबित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को यह निर्देश दिये थे कि वह अफजाल अंसारी मामले में 30 जून, 2024 तक हल निकाले।
गाजीपुर में एम वाय वोटर निर्णायक
गाजीपुर लोकसभा सीट पर एमवाय यानी मुस्लिम यादव समीकरण मजबूत है। मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या यहां पर करीब 5 लाख के आसपास है। जबकि तीसरे नंबर पर राजपूत मतदाता आते हैं। बता दे गाजीपुर लोकसभा सीट में करीब 20 लाख 74 हजार मतदाता हैं। गाजीपुर में यादव में करीब साढ़े 3 लाख और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 2 लाख है। जो सपा का समर्थक माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त दलित मतदाताओं की संख्या तीन लाख हैं। राजभर और कुशवाहा मतदाता दो – दो लाख के साथ सवर्ण मतदाताओं की संख्या करीब 2 लाख से कुछ कम है।