लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ सत्ता की हैट्रिक लगाने का ही सपना नहीं संजोए रखा बल्कि 370 सीटें और एनडीए 400 पार का लक्ष्य भी तय किया है। बिहार और महाराष्ट्र में अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला नहीं निकल सका। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या दोनों ही राज्यों में ‘छत्रपों’ की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने की डिमांड क्या बीजेपी के मिशन 370 के लिए तनाव पैदा कर सकती है।
महाराष्ट्र में कैसे निकलेगा फार्मूला
महाराष्ट्र में हैं लोकसभा की 48 सीटें
2019 में बीजेपी 23 तो शिवसेना ने 18 सीट जीती
25 बीजेपी और 23 सीट पर शिवसेना लड़ी थी चुनाव
बिहार में भी बीजेपी और सहयोगी दलों में टशन
बिहार में है लोकसभा की 40 सीट
अपनी 17 सीट नहीं छोड़ना चाहती बीजेपी
2019 में बीजेपी ने जीती थी बिहार में 17 सीट
जेडीयू को चाहिए 2019 में जीती 16 सीट
सीटों का बंटवारा करना एक बड़ा चैलेंज
लोकसभा चुनाव में इस बार केन्द्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने महज सत्ता की हैट्रिक लगाने का ही सपना नहीं बुना है बल्कि उसने 370 सीट और एनडीए गठबंधन के चार सौ पार का लक्ष्य हासिल करने के लिए कुनबे को बढ़ा लिया है। बीजेपी ने इस बार लोकसभ चुनाव में इतिहास रचने की तैयारी कर रखी है। इसके लिये उसने एनडीए गठबंधन के सहयोगियों की संख्या भी बढ़ा ली है। यूपी में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग का काम पूरा कर लिया है, लेकिन बिहार और महाराष्ट्र में पेंच फंसा हुआ है। इन दोनों राज्यों लोकसभा की 88 सीटें हैं। लेकिन अभी तक कोई फॉर्मूला नहीं निकल सका।
महाराष्ट्र में महामंथन, कौन पियेगा कम सीटों का जहर
महाराष्ट्र में बीजेपी ने 48 में से 30 सीटों पर खुद चुनाव लड़ने की प्लानिंग की है जबकि 18 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ रही है। जिनमें 12 सीटें एकनाथ शिंदे की शिवसेना और 6 सीट अजीत पवार की एनसीपी को देना चाहती है। जिस पर दोनों सहयोगी दल सहमत नहीं हैं। दरअसल महाराष्ट्र में 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 और शिवसेना ने 23 सीट पर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे। बीजेपी ने इनमें से 23 सीट और शिवसेना ने 18 सीट पर जीत दर्ज की थी। राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन टूट गया। शिवसेना विपक्षी खेमे के साथ चली गई। हालांकि बाद में सियासी घटनाक्रम बदला तो शिवसेना और एनसीपी दो धड़ों में बंट गईं। उद्धव ठाकरे का तख्तापलट कर एकनाथ शिंदे ने न सिर्फ शिवसेना पर अपना कब्जा किया बल्कि राज्य की सत्ता पर भी काबिज हो गए। उधर शरद पवार से एनसीपी को छीनने वाले अजीत पवार और बीजेपी के बीच तालमेल बैठा तो दोनों ने हाथ मिला लिया। इस तरह महाराष्ट्र में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के कुनबा में वृद्धि हो गई। लेकिन बीजेपी राज्य में लोकसभा की 48 में से 30 सीटों पर खुद चुनाव लड़ने की योजना पर काम कर रही है। जबकि सहयोगी दलों के लिए वह 18 सीट छोड़ रही है। बीजेपी इनमें से 12 सीट एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना और आधा दर्जन सीटें अजीत पवार की एनसीपी को देना चाहती है। लेकिन यह दोनों ही दल इतनी कम सीट पर तैयार नहीं हैं। शिंदे गुट की ओर से 22 सीटों पर दावा किया ज रहा है। यह वो सीटें हैं जिन पर 2019 में शिवसेना ने चुनाव लड़ा था और 22 में से 18 सीट जीती थीं। अजीत पवार की एनसीपी भी 48 में से 10 सीट की मांग कर रही है। एनसीपी नेताओं का कहना है उनकी पार्टी पुणे की बारामती सहित दस सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
जेडीयू और दूसरे सहयोग दलों की बढ़ती आकांक्षा
बिहार में बीजेपी और जेडीयू के अलावा बिहार में एनडीए में चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के दल शामिल हैं। पिछले चुनाव में जीती हुई बीजेपी अपनी 17 लोकसभा सीटें छोड़ने से हिचकिचा रही है तो वहीं जेडीयू भी 2019 में जीती 16 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। एनडीए में बचे बाकी दलों के लिए महज 6 से 7 सीट ही बचती हैं। जिनका बंटवारा करना एक बड़ा चैलेंज है। बिहार में बीजेपी 2019 के चुनाव में जेडीयू और एलजेपी के साथ मिलकर मैदान में उतरी थी। तब राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 सीट पर समझौता किया था, जबकि लोजपा को 6 सीटें मिली थी। 2019 में बीजेपी 17 तो जेडीयू 16 और लोजपा को छह सीट पर जीत मिली। सियासी घटनाक्रम के बदलने पर जेडीयू एनडीए से अलग होकर इंडिया महागठबंधन का हिस्सा बन गई थी। इसके बाद बीजेपी को जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले दलों को साथ मिला। इसके अतिरिक्त दो गुटों में बंटी एलजेपी में एक गुट का नेतृत्व चिराग पासवान के हाथों में है तो तो दूसरे गुट का नेतृत्व चिराग के चाचा पशुपति पारस कर रहे हैं। लेकिन अब जेडीयू की एनडीए में फिर से वापसी हो चुकी है। जिससे सीट शेयरिंग का फार्मूला बनने में परेशानी आ रही है। क्योंकि बीजेपी और जेडीयू के अलावा बिहार की सियासत में एनडीए में शामिल चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के दल सक्रिय हैं। चिराग पासवान 2019 की भांति छह सीट मांग रहे हैं। मांग पूरी न होने पर वे नाराज हैं। तो वहीं पशुपति पारस की डिमांड भी यही है। उपेंद्र कुशवाहा की मांग दो सीटों की है। जीतनराम मांझी को एक सीट मिलेगी।