लोकसभा चुनाव: छिंदवाड़ा में एक के बाद एक नेता छोड़ रहे कांग्रेस का ‘हाथ’ क्या कमलनाथ बचा पाएंगे अपना गढ़, या बीजेपी की सेंधमारी होगी सफल?

इन दिनों कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछले दिनों जहां अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने कमलनाथ का साथ छोड़कर बीजेपी में हाथ थामा था वहीं अब छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहांके ने भी कांग्रेस और कमलनाथ का ‘हाथ’ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। विक्रम अहांके ने सीएम डॉ.मोहन यादव की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली।

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ और कांग्रेस की परेशानी बढ़ती जा रही हैं। खासतौर पर छिंदवाड़ा जिले में कमलनाथ के करीबी नेता एक के बाद एक पार्टी और कमलनाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम रहे हैं। पिछले 10 दिन की बात करें तो छिंदवाड़ा जिले में कांग्रेस के करीब 100 से अधिक नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इसी कड़ी में अब एक बार फिर कमलनाथ को बड़ा झटका छिन्दवाड़ा के महापौर विक्रम अहांके ने दिया है।

कमलनाथ के करीबी नेताओं में हताशा

राजनीतिक जानकारों की माने तो भले ही कमलनाथ और नकुलनाथ के बीजेपी में जाने की अटकलों पर विराम लग चुका है लेकिन कमलनाथ के करीबी नेता और कार्यककर्ताओं हताशा देखी जा रही है। कमलनाथ के करीब नेता एक के बाद एक बीजेपी में शामिल होते जा रहे हैं। छिंदवाड़ा में जिस तरह से लगातार कमलनाथ करीबी नेता कांग्रेस छोड़ रहे हैं इससे साफ हो गया है कि इस बार का लोकभा चुनाव न तो कमलनाथ और नकुलनाथ के लिए आसान है और न ही कांग्रेस के लिए। क्योंकि कमलनाथ को छिंदवाड़ा से लगातार एक के बाद एक कई बड़े झटके लग चुके हैं। उनके करीब दीपक सक्सेना ने भले ही बीजेपी ज्वाइन न की हो पर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है।

बीजेपी के संपर्क में छिंदवाड़ा के दो और कांग्रेसी विधायक

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से इस बार फिर कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनाव मैदान में उतरे हैं। पिछले चार दशक से छिंदवाड़ा लोकसभा सीट नाथ परिवार का गढ़ बनी हुई है। बीजेपी ने यहां से विवेक बंटी साहू को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतार दिया है, लेकिन, मौजूदा स्थिति को देखा जाए तो कांग्रेस यहां काफी कमजोर होती नजर आ रही है। पहले इसी ​संसदीय क्षेत्र में आने वाले अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह बीजेपी में शामिल हो गए थे। कमलेश शाह के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में दो विधायकों की चर्चाएं जोरों पर है। सूत्र बताते हैं कि जिले की जुन्नारदेव विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक सुनील उइके और पाढुर्ना से विधायक नीलेश उइके का मन भी डोल रहा है। चर्चा तो यह भी है कि कमलनाथ के किले को भेदने के लिए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को जिम्मा सौंपा गया है। हालांकि नामांकन के बाद कमलनाथ और नकुलनाथ अपना अभेद किला बचाने में जुट गए हैं दोनों ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। लेकिन इस तरह कांग्रेसियों में हो रही टूटन का असर चुनाव में पार्टी और नकुलनाथ के प्रदर्शन पर पड़ना तय माना जा रहा है। क्योंकि विक्रम हांके का आदिवासी समाज पर खासा असर है। ऐसे में सवाल उठता है कि कमलनाथ इस बार अपना गढ़ बचाने में कामयाब हो पाएंगे। क्या लगातार उनके ​करीबियों का बीजेपी में शामिल होना छिंदवाड़ा में कांग्रेस के विजय रथ को रोकने में कामयाब होगा।

 

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