कहते हैं जंग और मोहब्बत में सब जायज है। लोकसभा चुनाव 2024 की चुनावी जंग में ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। एन डी ए और इंडिया गठबंधन दोनों ही दल अपने अपने खेमे को मजबूत करने में जुट चुके हैं। देश में सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने की होड़ है तो वहीं देश के सियासी परिवारों में उत्तराधिकारी बनने का झगड़ा भी अब नजर आने लगा है। हालात ये है कि परिवार की सियासत की बागडोर सम्हालने की चाहत में देश के कई सियासी परिवार टूट चुके हैं, कुछ टूटने की कगार पर हैं।
- सत्ता की जंग में एनडीए और इंडिया गठबंधन
- अपने अपने खेमे को मजबूत करने में जुटे
- सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने की होड़
- सियासी परिवारों में उत्तराधिकारी बनने का झगड़ा
- परिवार की सियासत की बागडोर सम्हालने की चाहत
- कई सियासी परिवार टूटे तो कुछ टूटने की कगार पर
- महाराष्ट्र से बंगाल तक सियासी परिवारों में महाभारत
सियासी चाह में अलग हुई चाचा-भतीजे की राह
सबसे पहले बात करते है बिहार के पासवान परिवार की। पासवान परिवार पहले ही टूट चुका था मसला केवल राजनैतिक उत्तारधिकारी का था। रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच पटरी नहीं बैठी और एलजेपी दो भागों में बंट गई। बिहार विधानसभा के चुनाव में चिराग पासवान ने नीतिश कुमार की पार्टी के खिलाफ उम्मीवार उतारे जो चाचा पशुपति पारस को पंसद नहीं आया और वहीं पार्टी में फूट हो गई। अब एनडीए में सीटों के बंटवारे में पशुपति पारस की पार्टी आरएलजेपी को एक भी सीट नहीं मिली। सालों से बिहार की राजनीति में दखल रखने वाला पासवान परिवार में सियासी कलह ऐसी हुई कि परिवार ही टूट गया।
अब भाजपा में सोरेन परिवार की बड़ी बहू
दूसरा परिवार झारखंड का सोरेन परिवार सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीमा ने अचानक बगावत कर दी और बीजेपी का दामन थाम लिया। सीमा सोरेन की शिकायत थी कि उनको परिवार का राजनैतिक उत्तराधिकारी बनाया जाना चाहिए था क्योंकि उनके पति दुर्गा सोरेन के उनके ससुर और अपने पिता शिबू सोरेन के साथ पार्टी को खड़ा करने में बहुत मेहनत की। पति की मौत के बाद सीमा को उत्ताराधिकारी बनाना तो दूर सीमा को हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद भी राजनैतिक हासिए पर ही रखा गया। इसी के चलते सीमा सोरेन ने जेएमएम को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया।
महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं
राज ठाकरे और उद्दव ठाकरे के झगड़े के चलते पहले महाराष्ट्र की सरकार गई उसके बाद फिर अब राज ठाकरे ने बीजेपी से हाथ मिला लिया। ठाकरे परिवार के अंदर भी सियासी कलह इस हद तक हो गई कि शिवसेना के ही दो टुकड़े हो गए। वहीं महाराष्ट्र में ही बात करे एन सी पी की तो चाचा औऱ भतीजे की लड़ाई में एन सी पी में बड़ी टूट हो गई। भतीजे अजित पवार से चाचा के न केवल विधायक तोड़े बल्कि हर सीट पर शरद पवार गुट की एन सी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
बंगाल में ममता से नाराज बाबुल
ऐसे ही हालात पश्चिम बंगाल के बेनर्जी परिवार के हैं। ममता बेनर्जी के भाई बाबुल बेनर्जी ममता से नाराज चल रहे है और पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। कुल मिलाकर देश के पांच सियासी परिवार सियासी कलह में टूट गए। परिवारों की इन राजनैतिक कलह का परिवारवाद के खिलाफ मैदान में डटी बीजेपी बड़ी तेजी से उठाती दिख रही है। विधानसभा चुनाव में चिराग को साथ लिया तो पशुपति पारस की सीट लोकसभा में खत्म कर दी। वहीं सोरेन परिवार से सीमा को साध लिया और ठाकरे परिवार से राज को और पंवार परिवार से अजीत को।