विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि भारत और तंजानिया ने स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करना शुरू कर दिया है। इस नई पहल से दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 6.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि अब ध्यान रखें कि ये न केवल एक बहुत संतोषजनक द्विपक्षीय व्यापार है। बल्कि ये वास्तव में एक द्विपक्षीय व्यापार भी है। जो तेजी से संतुलित हो रहा है। व्यापार में कई नए उत्पाद जोड़े जा रहे हैं।
आरबीआई ने दी मंजूरी
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के मध्य इस बढ़ते व्यापार के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान अपनी स्थानीय मुद्राओं में करने की संभावना का मुद्दा भी समय-समय पर उठता रहा है। भारत के केंद्रीय बैंक (आरबीआई) ने इस तरह की संभावनाओं को मंजूरी दे दी है। जिसके बाद यहां पर मौजूद तीन भारतीय बैंकों के पास यह क्षमता आ गई है कि वह एक-दूसरे की मुद्राओं में व्यापारिक लेनदेन कर सकें। इतना ही नहीं भारतीय रुपए और तंजानिया के शिलिंग के बीच कुछ लेनदेन किया भी जा चुका है। यह निश्चित रूप से हमारे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक अतिरिक्त तंत्र प्रदान करेगा।
अफ्रीका संग व्यापार पहुंचा 98 अरब डॉलर
विदेश मंत्री ने भारत-अफ्रीका संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि अफ्रीका के साथ भारत का व्यापार 98 अरब डॉलर पर है। इसके अलावा भारत का निवेश 75 अरब डॉलर है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि अफ्रीका के साथ यह व्यापार और निवेश दोनों बढ़ेंगे। मैं निश्चित रूप से आपकी बात से सहमत हूं। जो ये है कि अब एक पैन अफ्रीकी बड़ी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार व्यवस्था बन रही है। मेरा मानना है कि इससे अफ्रीका के साथ व्यापार करना और अफ्रीका में निवेश करना दोनों आसान हो जाता है।
18 देशों ने खोले वोस्ट्रो खाते
पिछले साल 2022 में आरबीआई और भारत के वित्त मंत्रालय ने बैंकों के शीर्ष प्रबंधन, व्यापार निकायों के प्रतिनिधियों से रुपए में निर्यात, आयात लेनदेन को आगे बढ़ाने के लिए कहा था। वह चाहते हैं कि भारतीय बैंक अमेरिकी डॉलर के लोकप्रिय तरीके के बजाय भारतीय मुद्रा में सीमा पार व्यापार की सुविधा के लिए विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता खोलने के लिए अपने विदेशी समकक्षों से जुड़ें। करीब 18 देश पहले ही भारतीय बैंकों में विशेष वोस्ट्रो खाते खोल चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि अफ्रीका में निवेश और उसके साथ हमारा व्यापार दोनों ही बढ़ने वाला है। मैं इस बात से भी सहमत हूं कि समूचे अफ्रीका में मुक्त व्यापार व्यवस्था लागू हो जाने पर भारत के लिए यहां निवेश और व्यापार करना दोनों ही आसान हो जाएगा।
स्थानीय मुद्राएं क्यों बढ़ रही हैं
इन दिनों एक पूरक मुद्रा आंदोलन जो समुदायों को अपने स्वयं के पैसे बनाने और विनिमय करने में सक्षम बनाता है,फिर से जोर पकड रहा है। एक ओर क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रमणाली में बढ़ती अस्थिरता समय समय पर गंभीर वित्तीय संकट खड़ा कर देती है,वहीं दूसरी ओर स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा और पोषण करने की आवश्यकता बढ रही है। साथ ही उन तरीकों की खोज करना जिनसे स्थानीय लोग और अर्थव्यवस्था अपने वित्तीय संसाधनों पर अधिक नियंत्रण हासिल कर सकें। विशेष सामाजिक संस्कृतियों और जैव क्षेत्रीय संसाधनों के संबंध में कहीं और लिए गए निर्णयों पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है।