Bihar News: सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी लालू यादव आज यानी शनिवार 11 फरवरी को भारत लौट रहे हैं। लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने इसकी जानकारी दी है। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एक कि़डनी रोहिणी ने ही दी थी, जिसके बाद भारत में पत्रकारों के एक गुट ने उनकी काफी प्रशंसा की थी।
रोहिणी ने ट्वीट कर कहा कि 11 फरवरी को लालू प्रसाद यादव सिंगापुर से दिल्ली लौट रहे हैं। उन्होंने लिखा है, “आप सबसे एक जरूरी बात कहनी है। यह जरूरी बात हम सबों के नेता आदरणीय लालू जी के स्वास्थ्य को लेकर है। 11 फरवरी को पापा सिंगापुर से भारत जा रहे हैं। मैं एक बेटी के तौर पर अपना फर्ज अदा कर रही हूं। पापा को स्वस्थ्य कर आप सब के बीच भेज रही हूं..अब आप लोग पापा का ख्याल रखियेगा”।
- लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने ही लालू प्रसाद को अपनी एक किडनी देकर नया जीवन दिया है
- लालू प्रसाद यादव पिछले कई दिनों से अपनी बेटी के पास सिंगापुर में ही थे, पांच दिसंबर को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई थी
- ऑपरेशन के दौरान लालू प्रसाद का पूरा परिवार वहीं था और राबड़ी देवी ने भी काफी दिनों तक सिंगापुर में रुक कर उनकी सेवा और देखभाल की थी
- लालू प्रसाद को किडनी देने वाली बेटी डा. रोहिणी आचार्य भी पूरी तरीके से स्वस्थ हैं
- रोहिणी को ऑपरेशन के पांच दिन बाद ही अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी, किडनी ट्रांसप्लांट होने के पहले लालू प्रसाद अपनी बेटी के आवास पर ही रह रहे थे
- सूत्रों की मानें तो राजद अध्यक्ष के पूरी तरह स्वस्थ्य होने में अभी कुछ और वक्त लग सकता है
लालू के सामने चुनौतियां बेशुमार
वैसे, लालू को लौटते ही बेशुमार चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है औऱ शायद इसीलिए उनका बेसब्री से इंतजार भी किया जा रहा है। सबसे बड़ी चुनौती तो उनके लिए सुधाकर सिंह पर लगाम लगाने की होगी। सुधाकर सिंह लालू के दोस्त और पुराने सियासी सलाहकार जगदानंद सिंह के बेटे हैं। जगदानंद सिंह उन गिने-चुने सवर्ण नेताओं में हैं, जो लालू के साथ रहे, जबकि लालू ने भूरा बाल साफ करो का जातीय नारा लगाकर भी बिहारी समाज में कटु विभाजन करवा दिया था।
सुधाकर सिंह बीते कुछ समय से नीतीश कुमार के खिलाफ तीखी बयानबाजी कर रहे थे और आरजेडी को आखिरकार उन्हें मंत्रीपद से हटाना पड़ा और कारण बताओ नोटिस भी जारी करना पड़ा। हालांकि, सुधाकर सिंह ने 30 जनवरी को ही जवाब दे दिया और वह अब भी अपनी जिद पर अड़े ही हुए हैं। उनके मुताबिक उन्होंने कोई गलत बयान नहीं दिया है।
तेजस्वी मुख्यमंत्री कैसे और कब बनेंगे
लालू चूंकि खुद सजायाफ्ता हैं और फिलहाल चुनाव लड़ने से भी वंचित, फिर उनका स्वास्थ्य भी खराब है। वैसे, नीतीश की कृपा से उनके दोनों बेटे सेट हो गए हैं। लालू को यह कृपा लेकिन नहीं चाहिए। उन्हें तो पूरी गद्दी चाहिए, अपने बेटे तेजस्वी के लिए। फिलहाल, बिहार में मंत्रीपरिषद-विस्तार का मसला भी बड़ा है। आरजेडी और जेडीयू दोनों के बीच की दोस्ती इस पर भी टूट सकती है।
उधर, कुशवाहा अलग बगावती तेवर अपनाए हैं और नीतीश के खिलाफ मोर्चा यह कहकर खोले हैं कि डील में तेजस्वी को गद्दी सौंपने की बात गलत हुई है। गद्दी तो जेडीयू के किसी आदमी को ही दी जाए। लालू जैसे मंजे हुए नेता यह इंतजार करेंगे कि कुशवाहा की 19 को बुलाई बैठक का परिणाम क्या होता है…अगर कुशवाहा के साथ जेडीयू की जनता दिखी, तो लालू खेल कर सकते हैं और जेडीयू को तोड़कर तेजस्वी की ताजपोशी भी कर सकते हैं।
लालू इन सभी सिरदर्द से निबटकर तेजस्वी की राह आसान कर पाते हैं या नहीं, यह देखने की बात होगी।