बिहार में तैयार हो रहा यहां पर्यटन का नया डेस्टीनेशन…एक बार जाएंगे तो भूल जाएंगे शिमला-मनाली…नीतीश सरकार कर रही ये काम
बिहार का लखीसराय जिला वैसे तो धार्मिक और पुरातात्विक संस्कृति का भंडार है। इस जिले की विरासत और धरोहर को बहुत समृद्ध माना जाता है।लखीसराय जिले के पौराणिक स्थलों को बुद्ध, शिव और रामायण सर्किट से जोड़ने की अपार संभावनाएं नजर आ रही हैं। ऐसे में अब बिहार नीतीश कुमार सरकार ने पंचायत स्तर पर प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास शुरु कर दिया है।
दरअसल बिहार के लखीसराय जिले की समृद्ध विरासत गहरी और पौराणिक है, लेकिन इसके बाद भी इस धरोहर की पहचन नहीं बन पाई। लेकिन अब नीतीश कुमार सरकार की पहल पर जिला प्रशासन ने यहां के पुरास्थल को पर्यटन केन्द्र के रुप में जोड़ने और विकसित करने की कोशिश तेज कर दी हैं। लखसराय जिले की समृद्ध विरासत को अब वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सकेगी। इस दिशा में सरकार की ओर से लगातार काम हो रहा है।
बता दें बिहार का लखीसराय जिला राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद समृद्ध माना जाता है। इस जिले को बुद्ध, रामायण, शिव सर्किट से जोड़ा जाता है तो इसके बाद यहां आने वाले दिनों में इस जिले में पर्यटन बहुत विकसित हो सकता है। इतना ही नहीं लखीसरायजिले में पर्यटन के मामले में देवघर, राजगीर, नालंदा और बोधगया ही स्वरुप जैसा बन सकता है। इस जिले में सात सरकारी पुरास्थल मौजूद हैं।
जिले में कई सरकारी पुरास्थल
नगर परिषद लखीसराय में जयनगर लाली पहाड़ी सरकारी पुरास्थल में शामिल है। वहींरामगढ़ चौक प्रखंड के तहत सत्संडा पहाड़ी है। इसके साथ ही चानन प्रखंड के तहत बिछवे और घोसीकुंडी पहाड़ी है। सूर्यगढ़ा प्रखंड में लय पहाड़ी, रामगढ़ चौक प्रखंड में नोनगढ़ टीला ही नहीं लखीसराय प्रखंड बालगुदर टीला है।
जिले के लाल पहड़ी की बात की जाए तो यह स्थान बौद्ध कालीन अवशेषों से भरा हुआ है। जब लाल पहाड़ी को खोदा गया था तो पता चला कि ये यहं पर महिला बौद्ध भिक्षु साधना किया करती थीं। ये उनकी साधना का प्रमुख केंद्र बिन्दु हुआ करता था। अब राज्य की नीतीश कुमार सरकार की ओर से इसे पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए पहले चरण में 29 करोड़ की राशि का बजट आवंटन किया गया है। जिले की लाली पहाड़ी पर स्थित खोदाई स्थल को संरक्षित करने के लिए सरकार ने करीब तीन करोड़ आवंटित किए गए हैं।
वहीं जिले की बिछड़े ही नहीं घोसीकुंडी पहाड़ी भी बौद्ध धर्म से जुड़ी बताई जाती हैं। बिछवे पहाड़ी की मनोरम छटा यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती है। बता दें बिछवे पहाड़ी के शिखर पर बौद्ध मठ बना है। जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं। यही नहीं इसी पहाड़ी से शेलोकृत मनोती स्तूप, भगवान विष्णु और वैष्णवी के साथ महिसासुर मर्दनी खंडित मूर्तियां और मौर्य कालीन ईंटें भी मिली हैं।
सत्संडा, नोनगढ़ टीला और लय पहाड़ी
जिले में नोनगढ़ पुरास्थल कुषाण काल दूसरी शताब्दी जुड़ा बताया जाता है। इस क्षेत्र से लाल बलुआ पत्थर की मूर्ति प्राप्त हुई थी। वहीं सत्संडा गांव में स्थित किष्किंधा पहाड़ को संध्या पहाड़ के नाम से भी लोग जानते हैं। यहां स्थित चतुर्भुज भगवान की काले पत्थर की प्रतिमा आकर्षण का केन्द्र है। वहीं लय पहाड़ी भी एक राजकीय स्मारक के साथ पुरातात्विक स्थल है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से छह करोड़ 83 लाख रुपये की स्वीकृत किए हैं।
वहीं बालगुदर टीला बालगुदर गढ़ टीला लखीसराय संग्रहालय से सटा है। ये 8वीं और 9वी शताब्दी का होना बताया जाता है। पिछले दिनों राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब लखीसराय संग्रहालय का निरीक्षण करने पहुंचे थे तो उसी दौरान बालगुदर गढ़ टीला को संरक्षित करने का ऐलान भी किया गया था।..प्रकाश कुमार पांडेय