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कोलकाता कांड : ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या ने किया भद्रलोक को आहत…कहीं ममता से दूर न हो जाए बंगाल का ये खास वर्ग

DigitalDesk by DigitalDesk
August 22, 2024
in दिल्ली, मुख्य समाचार, राजनीति, स्पेशल
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Kolkata Medical College Scandal Trainee Doctor Rape Murder Bhadralok Hurt
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कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना से देश भर में लोग नाराज हैं। इस वीभत्स घटना ने देश के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। हालात यह हैं कि पिछले करीब 12 साल के शासन में पहली बार पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी किसी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह भी है और वो यह है कि कोलकाता की घटना को लेकर पश्चिम बंगाल के भद्रलोक का आहत होना भी है।

  • नंदीग्राम और सिंगुर घटना से था भद्रलोक नाराज
  • बुद्धिजीवियों ने की अपनी लेखनी से वाम सरकार की आलोचना
  • बुद्धिजीवियों की नाराजगी ने से हिल गई थी वामपंथियों की नींव
  • ताश के पत्तों की तरह उखड़ गई थी बंगाल में वामपंथ की सत्ता
  • अब ममता बनर्जी से नाराज है बंगाल के भद्रलोक
  • बंगाल में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही भद्रलोक संस्कृति
  • 12 साल में पहली बार ममता बनर्जी के सामने चुनौती
  • सत्ता में भी भद्रलोक को दिया जाता है खासा महत्व
  • अधिकांश मुख्यमंत्री भद्रलोक संस्कृति से रखते हैं ताल्लुक

दरअसल कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज आरजी कर की घटना है ही इतनी घिनौनी कि हर कोई इंसान इस घटना की आलोचना करते नजर आ रहा है। कोलकाता पुलिस से लेकर राज्य की टीएमसी की ममता बनर्जी सरकार भी अब सवालों के घेरे में हैं। सवाल यह भी है कि क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस घटना की राजनीतिक कीमत अदा करना होगी? सवाल यह है कि क्या इस घटना ने टीएमसी के कोर वोट बैंक में सेंधमारी की है?। यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिस पर बंगाल ही नहीं देश की राजनीति चौपाल पर हर तरफ चर्चा हो रही है।

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  • बंगाल की संस्कृति में एक प्रभावी वर्ग है भद्रलोक
  • कोई जाति या किसी धर्म से संबंध नहीं रखता भद्रलोक

भद्रलोक बंगाल की संस्कृति में एक प्रभावी वर्ग है। यह कोई जाति या किसी धर्म से संबंध नहीं रखता। किसी वर्ग से नहीं बल्कि एक खास तरह की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक हैसियत रखने वाले लोगों का यह समूह है। जिसे भद्रलोक कहा जाता है। हालांकि इसमें बहुलता ब्राह्मण वर्ग और कायस्थ जाति के लोगों की है। बंगाल में बंगाली कला के साथ इसकी संस्कृति की समझ रहने वाले अमीर और अंग्रेजी पढ़े लिखे उच्च वर्ग और हैसियत रखने वाले लोगों को भद्रलोक की श्रेणी में रखा जाता है। राजनेता से लेकर कलाकार और साहित्यकार, शिक्षाविद्, नौकरशाह शामिल हैं।

अंग्रेजी हुकूमत में था कोलकाता सत्ता का प्रमुख केंद्र

अंग्रेजों के जमाने में पश्चिम बंगाल और खासकर कोलकाता को सत्ता का एक प्रमुख केंद्र माना जाता था। इस दौरान इस समूचे क्षेत्र में अंग्रेजी शिक्षा का जमकर प्रचार प्रसार हुआ। समाज में एक खास हैसियत रखने वालों को महत्व मिला। इस दौर से ही भद्रलोक की संस्कृति बंगाल में यह चली आ रही है। अमूमन भद्रलोक सत्ता के करीब ही अब तक रहा है। बंगाल में सत्ता में भी भद्रलोक को खासा महत्व दिया जाता है। भद्रलोक के प्रभाव को आप इस तथ्य से आसानी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में आजादी के बाद जितने भी नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे वे सभी इस भद्रलोक संस्कृति से ही ताल्लुक रखते थे। यानी वे संभ्रात और अच्छे खासे पढ़े-लिखे थे। अंग्रेजी संस्कृति के करीब रखने वाले और आम बंगालियों से अलग दिखने वाले बेहद सलीकेदार थे।

पश्चिम बंगाल की राजनीति और भद्रलोक के संबंध

पश्चिम बंगाल की राजनीति और भद्रलोक दोनों के संबंध गहरे रहे हैं। भद्रलोक हर समय सत्ता के करीब ही रहे। लेकिन जब भी बंगाल में उन्होंने सत्ता से दूरी बनाई तो राज्य की सत्ता बदलने में देर नहीं लगी। यही वजह थी कि आजादी के बाद पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की पूरी राजनीति या राजनीति का केंद्र बिन्दु यह भद्रलोक ही था। फिर चाहे बात करें राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बिधानचंद्र राय की या साल 1975 में आपातकाल के दौर में राज्य के मुख्यमंत्री रहे सिद्धार्थ शंकर रे की। यह सभी काफी शिक्षित विद्धान राजनेता माने जाते थे। लेकिन साल 1975 में जब इमरजेंसी लागू हुई तो उस समय सीएम सिद्धार्थ शंकर रे से बंगाल का भद्रलोक आहत होने लगा था। उसका झुकाव वामपंथ की ओर होने से राज्य में सत्ता बदल गई।

वामपंथ में भद्रलोक पूछपरख

वामपंथी के जनक ज्योति बसु का शासन आया तो भद्रलोक की खूब पूछ परख हुई। सीएम बसु की विरासत को आगे संभालने वाले बुद्धादेब भट्टाचार्य की गणना तो अव्वल दर्जे के भद्रलोक में होती थी। वे साहित्य कला और संस्कृति में खासी रुचि रखने वाले शुद्ध बंगाली बाबू कहे जाते थे। बुद्धादेब के शासन काल में भी भद्रलोक उनके काफी नजदीक रहा। लेकिन साल 2007 और 2008 में जब नंदीग्राम और सिंगुर की घटना हुई तो बंगाल का यह भद्रलोक खासा नाराज हो गया। उस समय कई बड़े बुद्धिजीवियों ने अपनी लेखनी से वाम सरकार की तीखी आलोचना की। जिसमें महाश्वेता देवी से जैसी कई हस्तियां शामिल थीं। उस समय बुद्धिजीवियों की नाराजगी ने वामपंथियों की नींव हिला दी। इसके बाद बंगाल से वामपंथ की सत्ता ताश के पत्तों की तरह उखड़ गई।

2008 से लेकर अब 2024 तक बंगाल के भद्रलोक का रूझान टीएमसी की ओर रहा है। लेकिन अब कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना से यह वर्ग विचलित नजर आ रहा है। दरअसल बंगाली समाज पर भद्रलोक का गहरा प्रभाव है। भद्रलोक समाज में ओपिनियन तय करने का काम करता है। बॉलीवुड के स्टार कलाकार मिथुन चक्रबर्ती लेकर क्रिकेटर सौरभ गांगुली हों या फिर बंगाल के बड़े साहित्यकार और शिक्षाविद्। हर किसी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की इस घटना और उसमें ममता सरकार की पुलिस की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े किये। ऐसे में अब यह आशंका निराधार नहीं कही जा सकती कि बंगाल में भद्रलोक की नाराजगी कहीं टीएमसी की ममता सरकार की राज्य से उल्टी गिनती न शुरू करा दे।

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Tags: #bhadralok aahat#Bhadralok Hurt#Kolkata Medical College Scandal#Trainee Doctor Rape Murder#West Bengal Politics and Bhadralok
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