कोलकाता हाई कोर्ट ने 2010 से 77 समुदायों को बांटे गये ओबीसी के सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है। जिन 77 समुदायों को ममता बनर्जी की सरकार ने यह सर्टिफिकेट बांटे थे उनमें से अधिकांश मुस्लिम धर्म से जुड़े हुए थे। यही वजह है कि चुनाव के मौसम में अब यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। बीजेपी ने इसे लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है तो वहीं टीएमसी अब कोर्ट के इस आदेश को मानने से ही इनकार कर रही है।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ओबीसी आरक्षण रद्द करने के कोर्ट के फैसले के लिए भी भाजपा को ही जिम्मेदार ठहराया है। ममता का कहना है कुछ लोगों ने ओबीसी के हितों पर कुठाराघात करने के लिए अदालत की शरण ली और उन्होंने अदालत में याचिकाएं दायर कीं। इसके बाद यह पूरा घटनाक्रम सामने आया है।
- ममता सरकार में OBC कोटा में अंदर मुस्लिम आरक्षण
- कोलकाता हाईकोर्ट ने खारिज किया ममता सरकार का आरक्षण सिस्टम
- कोलकाता हाई कोर्ट ने रद्द किये ओबीसी सर्टिफिकेट
- 2010 से 77 समुदायों को बांटे गये थे ओबीसी सर्टिफिकेट
- 77 समुदायों को ममता बनर्जी सरकार ने बांटे थे ओबीसी सर्टिफिकेट
- सामने आया ममता बनर्जी का बड़ा बयान
- ‘कोर्ट के फैसले का सम्मान,लेकिन खत्म नहीं होगा मुस्लिम ओबीसी आरक्षण’
- पीएम मोदी ने बताया कोर्ट के फैसले का विपक्ष पर तमाचा
ममता बनर्जी ने कोर्ट के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का संकेत दिये। ममता ने इसके साथ ही अपनी आवाज को बुलंद करते हुए यह भी कहा कि वे कोर्ट का सम्मान करती हैं, लेकिन मुस्लिमों को दिये जाने वाले ओबीसी आरक्षण से बाहर रखने वाले फैसले को वे स्वीकर नहीं करेंगी।
कोर्ट का फैसला विपक्ष के लिए एक करारा तमाचा—मोदी
वहीं पीएम नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में ओबीसी के दर्जे को रद्द करने के कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इस फैसले को विपक्ष के लिए एक करारा तमाचा बताया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी इंडिया गठबंधन का तुष्टीकरण का जुनून हर सीमा को पार कर चुका है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इन वर्गों को ओबीसी घोषित करने में केवल धर्म को ही आधार मानकर वास्तव में एकमात्र मापदंड जान पड़ता है।
दरअसल पश्चिम बंगाल में करीब 17 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी के लिए रखा गया है। राज्य की ममता सरकार ने ओबीसी को OBC A और OBC B दो वर्गों में बांट रखा है। जिसमें ओबीसी A का अर्थ है अति पिछड़ा और ओबीसी B में सिर्फ पिछड़ा वर्ग को शामिल किया गया है।
रोहिंग्या और बांग्लादेशी को शामिल करने का आरोप
पश्चिम बंगाल में विवाद इस बात को लेकर है कि ममता सरकार ने पिछले दस साल में जिन समुदायों को इस ओबीसी वाली सूची में शामिल किया है। उनमें सबसे अधिक मुस्लिम समुदाय को दी गईं हैं। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल सरकार पर यह आरोप भी लगे हैं कि रोहिंग्या और बांग्लादेश से आने वाले दूसरे लोगों को भी सरकार ने इस लिस्ट में शामिल किया गया है।
81 में से 56 मुस्लिम समुदाय को मिल रहा था ओबीसी आरक्षण
राज्य सरकार के आंकड़े पर गौर करें तो ओबीसी A में शामिल करीब 81 समुदायों को आरक्षण देने की बात कही गई है। जिनमें से मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले 56 समुदाय हैं। इसी तरह जो ओबीसी बी सूची में 99 समुदायों को जगह दी है। जिसमें 41 अकेले मुस्लिम धर्म से जुड़ी थीं। ओबीसी ए और ओबीसी बी के आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में करीब 179 समुदायों को इस समय ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। वहां अकेले मुस्लिमों के करीब 118 समुदायों को इसका सीधा सीधा लाभ मिल रहा है।