जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव : जानें सपा का चुनाव चिन्ह् क्यों बदला…क्या साइकिल के बदले लैपटॉप में डलेंगे वोट…अखिलेश कितनी बदल पाएंगे नतीजों की तस्वीर?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव : जानें सपा का चुनाव चिन्ह् क्यों बदला...क्या साइकिल के बदले लैपटॉप में डलेंगे वोट...अखिलेश कितनी बदल पाएंगे नतीजों की तस्वीर?

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद अब दूसरे और तीसरे चरण के मतदान पर सियासी दलों की नजर है। इस बार जम्मू कश्मीर के चुनावी मैदान में अखिलेश यादव की पार्टी भी उतरी है। हालांकि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा न होने के चलते कश्मीर में सपा को साइकिल के स्थान पर लैपटॉप चुनाव चिन्ह मिला है। अब देखना होगा कि अखिलेश यादव की पार्टी बदले चुनाव चिन्ह के दम पर इस बार जम्मू-कश्मीर चुनाव में क्या कमाल कर पाएगी।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव
सपा की साइकिल बनी लैपटॉप!
क्या अखिलेश यादव बदले चुनाव चिन्ह् के दम पर बदलेंगे नतीजे?
25 सितंबर को दूसरे चरण का मतदान
एक अक्टूबर को तीसरे चरण के लिए मतदान
दूसरे और तीसरे चरण में सपा की अग्नि परीक्षा
लोकसभा चुनाव में बनी सपा तीसरी सबसे बड़ी पार्टी
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 37 सीट जीती
सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनने की कवायद में अखिलेश यादव
सपा जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम बहुल सीटों पर किस्मत आजमा रही
जम्मू-कश्मीर में साइकिल निशान के बदले सपा को लैपटॉप मिला

 

बता दें लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को यूपी के दायरे तक सीमित नहीं रखना चाहते हैं। ऐसे में वे इसके बजाय राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने के लिए लगातार योजना बना रहे हैं। इस प्लान के तहत ही अखिलेश यादव ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में इस बार अपनी और पार्टी की किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि यूपी में समाजवादी पार्टी का परंपरागत चुनाव निशान साइकिल इस बार जम्मू-कश्मीर में बदल गया है। इसबार चुनाव चिन्ह् लैपटॉप के दम पर वोट मांगेंगे। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा न होने के चलते समाजवादी पार्टी को जम्मू कश्मीर में चुनाव चिन्ह लैपटॉप आवंटित किया गया है। ऐसे में अब यह देखना है गौरतलब होगा कि बदले हुए चुनाव चिन्ह् के दम पर अखिलेश यादव कितना सपा का भाग्य कश्मीर में बदल पाते हैं?

बता दें जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर को पहले चरण की 24 सीटों पर मतदान हो चुका है। भले ही चुनाव का पहला चरण पूरा हो गया हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी की असली परीक्षा दूसरे और तीसरे चरण के मतदान में है। समाजवादी पार्टी दूसरे और तीसरे चरण की 20 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी है। दूसरे चरण में समाजवादी पार्टी कश्मीर रीजन की 10 और जम्मू क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी है। इसके अलावा तीसरे चरण में होने वाली पांच सीटों पर किस्मत भी सपा के प्रत्याशी लैपटाप के नाम पर वोट मांग रहे हैं और अपना लक आजमा रहे हैं।

इसलिए साइकिल से लैपटॉप बना चुनाव चिन्ह

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा न होने के चलते समाजवादी पार्टी को उसका परंपरागत चुनाव निशान साइकिल जम्मू कश्मीर में उसे नहीं मिल सकी है। इसके चलते समाज वादी पार्टी के अधिकांश उम्मीदवारों ने अपना चुनाव-चिन्ह लैपटॉप को चुना है। चर्चा है सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लैपटॉप देने का वादा किया था। सत्ता मिलने के बाद अखिलेश यादव ने मुफ्त में लैपटॉप बांटने का काम 12वीं में पास छात्रों को किया था। दो साल में 27 लाख से अधिक लैपटॉप बांटे थे। लेकिन 2017 में सपा की साइकिल पंचर हो गई और बीजपी सत्ता में आ गई। हालांकि उस समय लैपटॉप के जरिए अखिलेश यादव के यूपी के घर-घर तक पहुंच गए थे, लेकिन देखने वाली बात यह होगी की क्या कश्मीर की सियासत में लैपटॉप के चुनाव निशान के सहारे करिश्मा दिखा पाएंगे?

सपा का नहीं जम्मू-कश्मीर में सियासी आधार

जम्मू-कश्मीर में समाजवादी पार्टी का कोई खास सियासी आधार नहीं है। 2008 और 2014 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी सपा ने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन सपा का खाता तक नहीं खुला था। सपा ने 2008 में कश्मीर की 36 विधानसभा सीटों पर चुनाव में प्रत्याशी उतारे थे।लेकिन एक को भी जीत नहीं मिली। अब सपा उम्मीदवार जम्मू कश्मीर में घर-घर जाकर मतदाताओं को समझा रहे हैं कि वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर चुनाव में पार्टी का चुनाव निशान बस अलग है। मतदाताओं को बताने की कोशिश की जा रही समाजवादी पार्टी का चुनाव निशान कश्मीर में लैपटॉप है। अखिलेश यादव जल्द ही कश्मीर में चुनावी रैली भी करने वाले हैं।

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