जलदान पूर्णिमा के साथ ही श्राद्धपक्ष की शुरुआज हो चुकी है। हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक श्राद्ध को मरणोपरांत मृतक के पुत्र पौत्रा आदि करते हैं। लेकिन यूपी के संभल में एक ऐसा है जहां गांव में श्राद्ध नहीं होते हैं। इतना ही नहीं श्राद्धपक्ष के दिनों में 16 दिन तक इस गांव में ब्राह्मण की नो इंट्री रहती है। हालात यह है कि इन दिनों में गांव में भिक्षुक को भी कोई भिक्षा नहीं देता है। जलदान पूर्णिमा पर लोग अपने पितरों को जल पिला कर तर्पित करते हैं। गंगा के तट पर तर्पण को हजारों लोग उमड़ते हैं। इस दिन से ही घरों में भी श्राद्ध होता है। जिसमें ब्राहमण को भोजन दान आदि किया जाता है।
गांव में नहीं मिलती श्राद्ध के दिनों में ब्राह्मण को इंट्री
संभल के इस गांव में नहीं होता श्राद्धपक्ष
गांव में भिक्षुक को भी नहीं देता कोई भिक्षा
भगता नगला गांव के यादव नहीं करते श्राद्ध
संभल जिले के भगता नगला में यादव जाति के लोग श्राद्ध नहीं करते हैं। इन दिनों में न तो ब्राह्मण को भोजन कराया जाएगा और न ही कनागत के दिनों मेंं कोई ब्राह्मण इस गांव में जाता है। श्राद्ध के दिनों में इस गांव में न भिखारी भी आ जाए तो उसे भीख नहीं दी जाती।
करीब सौ साल से भगता नगला गांव के लोग नहीं करते श्राद्ध
गांव में मान्यता चली आ रही है कि पितृपक्ष में यदि श्राद्ध कर्म करने की कोशिश की तो गांव में कोई भी अनिष्ठ हो सकता है। श्राद्धपक्ष से पहले और बाद के दिनों में ब्राह्मणों का गांव में आना जाना लगा रहता है। विवाह आदि संस्कार भी ब्राह्मण ही संपन्न कराते हैं। बस श्राद्ध के दिनों में इनके प्रवेश पर रोक लगी होती है। इसके पीछे ग्रामीणों का कहना है कि करीब सौ साल पहले पड़ोस के गांव की ब्राह्मणी श्राद्ध में भोजन को गांव में आई थीं।
इस मान्यता के पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि मौसम खराब होने की वजह से वह गांव में ही रुक गईं। अगले दिन अपने घर पह़ुचीं तो उनके पति ने आरोप लगाते हुए घर से निकाल दिया। ब्राह्मण महिला रात के समय ग्रामीण के घर रुकी तो उसपर अपमानजनक आरोप लगाते हुए उसके पति ने अपमानित कर घर से निकाल दिया। जिसके बाद ब्राह्मणी रोते हुए भगतानगला गांव पहुंची। जहां उन्होंने गांव वालों से कहा कि आपकी वजह से पति ने उसे घर से निकाला है। यदि आपने श्राद्ध किया तो आपका बुरा हो जाएगा। लिहाजा ब्राह्मणी के श्राप मानते हुए अब भी इस गांव के लोग करीब सौ साल श्राद्ध न करने की परंपरा पर कायम हैं।
ब्राह्मण महिला को दिया था ग्रामीणों ने वचन
ब्राह्मण महिला ने भगता नगला गांव पहुंचकर ग्रामीणों से इसके बाद यह वचन लिया की पितृपक्ष के दिनों में इस गांव में कोई भी ग्रामीण अपने मृत परिजनों का श्राद्ध नहीं करेंगे। न ही किसी ब्राह्मण को गांव में प्रवेश दिया जाएगा। किसी भी ग्रामीण ने पिछले सौ साल से पितृपक्ष के दिनों में श्राद्ध कर्म कराने की कोशिश नहीं की। न ही ब्राह्मणों का आदर सत्कार के साथ गांव में प्रवेश दिया। यहां के रहवासी अपने बुजुर्गों के इस वचन को आज भी मानते हैं।