हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 1 अक्टूबर को मतदान होना है। सभी 90 सीटों पर एक ही चरण में वोटिंग कराई जाएगी। इसके लिए सियासी दलों ने कमर कस ली है। राज्य में जननायक जनता पार्टी और आजाद समाज पार्टी ने गठबंधन कर लिया है। इसकी घोषणा भी कर दी गई है। वहीं इंडियन नेशनल लोकदल इनेलो और बीएसपी ने भी हाथ मिला लिया है। बसपा ने अपनी पहली सूची भी जारी कर दी है। जिसमें 90 सीटों में से 4 सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं।
1 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव
- किसकी नैया पार लगाएंगे दलित
- बसपा-इनेलो और जजपा-एएसपी गठबंधन
- बसपा ने घोषित की प्रत्याशियों की पहली सूची
- जगाधरी सीट से दर्शनलाल खेड़ा को बनाया प्रत्याशी
- करनाला के असंध से गोपाल सिंह राणा बनाया प्रत्याशी
- अंबाला के नारायणगढ़ से हरबिलास सिंह प्रत्याशी
- अटेली से ठाकुर अतरलाल को बनाया उम्मीदवार
- दो दिन पहले ही JJP छोड़कर BSP में शामिल हुए थे हरबिलास सिंह
- बसपा और इनेलो के बीच जुलाई में हुआ था गठबंधन
- जुलाई में हुआ था 53 और 37 सीटों पर गठबंधन
- बसपा को 90 में से 37 सीट
- इनेलो 53 सीटों पर चुनाव लड़ेगी
- अभय चौटाला को बनाया है मुख्यमंत्री का चेहरा
- पिछले चुनाव में इनेलो को मिली थी एक ही सीट
- 2019 के चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुला था
बसपा ने चार सीटों पर प्रत्याशी उतरे
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने पहली सूची में चार प्रत्याशियों के नामों का एलान किया है। अंबाला के नारायणगढ़ से हरबिलास सिंह जो 2 दिन पहले ही जेजेपी से बीएसपी में शामिल हुए थे, उन्हें भी टिकट दिया गया है। बहुजन समाज पार्टी यहां इनेलो के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। बसपा की पहली सूची में करनाला के असंध से गोपाल सिंह राणा को टिकट दिया है तो अंबाला के नारायणगढ़ से हरबिलास सिंह को मैदान में उतारा है। जगाधरी से दर्शन लाल खेड़ा को बसपा ने टिकट दिया है। वहीं अटेली से ठाकुर अतरलाल को प्रत्याशी बनाया है।
दलित वोट के सहारे चौटाला परिवार की पार्टी
हरियाणा में चौटाला परिवार की दोनों पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। चौटाला परिवार की इन दोनों पार्टियों की नैया दलितों वोट के सहारे हो गई है। 1 अक्तूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चौटाला परिवार की पार्टियां इंडियन नेशनल लोकदल इनेलो और जननायक जनता पार्टी जेजेपी ने गठबंधन का सहारा लिया है। इनलो ने चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी के साथ चलने को फैसला किया है तो वहीं जेजेपी ने चंद्रशेखर आजाद के दल आजाद समाज पार्टी कांशीराम का हाथ थाम लिया है। हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी ऐसी पार्टियां हैं जो अकेले अपने ही मैदान में उतरी हैं। जेजेपी पिछले दिनों लोकसभा चुनाव से पहले तक बीजेपी के साथ थी और मिलकर राज्य की सरकार चला रही थी। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद तस्वीर बदल गई। इन दोनों ही गठबंधनों से इस बार विधानसभा के चुनाव काफी रोचक होते नजर आ रहे हैं।
बीएसपी और इनलो का चुनावी प्रदर्शन
इनेलो और बसपा की बात की जाए तो पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो का प्रदर्शन कुछ खास नहीं था। उसने प्रदेश की 90 में से 81 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे लेकिन पार्टी को केवल एक सीट पर ही जीत मिल पाई थी। चुनाव में विधानसभा की 78 सीटों पर जमानत भी नहीं बची थी, जमानत जब्त हो गई थी। चुनाव में इनलो के खाते में 2.44 फीसदी वोट दर्ज किये गये थे। वहीं मायावती की बसपा 87 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी थी, लेकिन उसे कोई सीट पर जीत नहीं मिल पाई थी। 87 में से 82 सीटों पर बसपा प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई थी। हालांकि वोट प्रतिशत के मामले में बसपा को चुनाव में 4.14 प्रतिशत वोट मिले थे।