पीएम मोदी करेंगे ‘चेनाब ब्रिज’ का उद्घाटन…जानें क्या है चेनाब ब्रिज की खासियत…पीएम ने इसे क्या बताया ‘नए कश्मीर’ का आगाज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार 6 जून को जम्मू कश्मीर के दौरे पर रहेंगे। जहां वे ‘चेनाब ब्रिज’ Chenab Bridge का उद्घाटन करने वाले हैं। इस ब्रिज के उद्घाटन के साथ ही भारत एक नया इतिहास भी लिखने जा रहा है। बता दें दुनिया का सबसे यह ऊंचा सिंगल आर्क रेलवे ब्रिज बताया जा रहा है। ऊंचाई की बात करें तो यह एफिल टावर Eiffel Tower को भी मात दे रहा है।
- चेनाब ब्रिज तैयार पीएम मोदी करेंगे राष्ट्र को समर्पित
- उद्घाटन से पहले जारी किया पीएम ने वीडियो
- प्रधानमंत्री ने इसे “नए कश्मीर का आगाज” बताया
- पुल केवल एक बुनियादी ढांचा नहीं…
- …बल्कि भारत के बदलते आत्मविश्वास और तकनीकी सामर्थ्य का प्रतीक
जम्मू कश्मीर की वादियों को चेनाब ब्रिज Chenab Bridge भारत के दूसरे इलाकों से सीधे रेलमार्ग से जोड़ने वाला है। ‘चेनाब ब्रिज’ आमजन के लिए खुलने को तैयार हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार 6 जून को इस ब्रिज का उद्धाटन करने वाले हैं। पीएम मोदी ने इसे लेकर एक वीडियो भी जारी किया है। उसमें पीएम ने इसे ‘नये कश्मीर’ का आगाज करार दिया है। नये कश्मीर तक पहुंचाने वाला यह चेनाब रेलवे पुल कई मायनों में बेहद खास है। इसकी लागत की ही बात की जाए तो यह ब्रिज अमेरिका में बने पुल की लागत से 88 साल बाद भी आधे खर्च में तैयार हुआ है। यानी कश्मीर की हसीन वादियों को शेष भारत से स्थायी रूप से जोड़ने वाला ऐतिहासिक ‘चेनाब ब्रिज’ अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है।
चेनाब है दुनिया में सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज
नदी की तलहटी से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना यह पुल एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है। चेनाब ब्रिज को दुनिया का सबसे ऊंचा सिंगल आर्क रेलवे ब्रिज बताया जा रहा है। इस ब्रिज की कुल लंबाई करीब 1.31 किमी के आसपास है। इसे अगले 120 साल तक टिकाऊ रहने की योजना के तहत डिजाइन किया गया है।
तकनीकी ताकत का प्रतीक
यह पुल 266 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को सहने में सक्षम है। यह -10°C से लेकर -40°C तक के तापमान को भी आसानी से झेल सकता है। इसे भारत और दक्षिण कोरिया की कंस्ट्रक्शन कंपनियों के सहयोग से बनाया गया है।
गोल्डन गेट ब्रिज से तुलना
1933 में अमेरिका ने ‘गोल्डन गेट ब्रिज’ का निर्माण शुरू किया था, जो 1937 में पूरा हुआ। उस समय यह आधुनिक इंजीनियरिंग का प्रतीक था और अमेरिका के ‘ग्रेट डिप्रेशन’ काल में आशा की एक किरण बनकर उभरा था। उसकी लागत की तुलना में, भारत का चेनाब ब्रिज 88 साल बाद भी आधे खर्च में तैयार किया गया है — यह भारत की इंजीनियरिंग दक्षता का प्रमाण है।
कश्मीर से अब सालभर कनेक्टिविटी
चेनाब ब्रिज के शुरू होते ही ऊधमपुर और बनिहाल रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएंगे। कश्मीर की वादी अब साल के 12 महीने रेलवे मार्ग से भारत से जुड़ी रहेगी। इससे न केवल यात्रियों के लिए सफर आसान होगा, बल्कि सुरक्षा बलों की तैनाती और रसद आपूर्ति भी पहले से कहीं अधिक सरल और तेज़ हो जाएगी। जहाँ पहले जम्मू से कश्मीर जाने में 8 घंटे लगते थे, अब यह दूरी 2 से 3 घंटे में पूरी हो सकेगी। चेनाब ब्रिज सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं है — यह भारत के ‘नए कश्मीर’ की ओर बढ़ते कदमों की ठोस नींव है। यह पुल कश्मीर को न केवल भौगोलिक रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी भारत की मुख्यधारा से मजबूती से जोड़ता है।…(प्रकाश कुमार पांडेय)