जानिए कैसे हुई रक्षा बंधन की शुरुवात, इसकी कुछ प्रचलित कहानियो से

जानिए कैसे हुई रक्षा बंधन की शुरुवात, इसकी कुछ प्रचलित कहानियो से

रक्षा करने और करवाने वाला यह पवित्र धागा रक्षा बंधन कहलाता हैं। यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर आता हैं। इस दिन बहने पूजन कर अपने भाइयो की कलाई पर राखी बांधती है और उनके साफालता और अछे स्वस्थ की कामना करती है बदले में भाई भी उनकी आजीवन रक्षा करने का वादा करता है।आइए जानते है रक्षाबंधन की कुछ रोचक कहानियो के बारे में। जिसे इस पर्व की शुरूवात भी माना जाता है।

कहानी द्रौपदी और श्री कृष्ण की,
यह कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। द्वापर युग में जब श्री कृष्ण की ऊँगली पर चोट लगी थी और खून बह रहा था, उस समय द्रौपदी ने अपने वस्त्र में से एक टुकड़ा फाड के कृष्ण की ऊँगली पर बांध दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन राखी या रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई।और जैसे के हम सब जानते है जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था उस समय श्री कृष्ण ने आकर द्रौपदी की लाज बचाकर सबसे उनकी रक्षा की थी।

महाभारत युद्ध से पहले सारे सैनिकों को बांधा गया था रक्षासूत्र
दूसरी कहानी यह है कि जब महाभारत का युद्ध शुरू हो रहा था, तब युधिष्ठिर कौरवों से युद्ध करने जा रहे थे। इस दौरान उन्हें सिर्फ यही चिंता थी कि युद्ध को कैसे जीता जाए? इस बात का निवारण जब भगवान श्री कृष्ण से पूछा गया तो उन्होंने सभी सैनिकों के हाथों में रक्षा सूत्र बंधवाने को कहा। श्रीकृष्ण के कहते ही सभी सैनिकों के हाथ में रक्षासूत्र बांध दिए गए और महाभारत में उनको जीत हासिल हुई। इसलिए भी रक्षा बंधन पर बांधे जाने वाले रक्षा सूत्र का काफी ज्यादा महत्व माना गया है। इसे बांधने से पहले हमेशा मुहूर्त देखा जाता है ताकि भाई को जीवन में किसी भी तरह का कोई भी दुख न झेलना पड़े।

राजा बलि और माँ लक्ष्मी की कहानी
कहा जाता है, सबसे पहली राखी या रक्षासूत्र राजा बलि को बंधा गया था। उन्हें रक्षासूत्र बांध कर माँ लक्ष्मी ने अपना भाई बनाया था। राजा बलि काफी दयालु राजा थे और भगवान विष्णु के भक्त थे। एक बार विष्णु को प्रस्न करने के लिए बलि यज्ञ कर रहे थे। अपने भक्‍त की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्‍णु ने एक ब्राह्मण का वेष धरा और यज्ञ पर पहुंचकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी.।ब्राह्मण ने पहले पग में पूरी भूमि और दूसरे पग मे पूरा आकाश नाप दिया राजा बलि समझ गए थे की विष्णु उनकी परीक्षा ले रहे हैे इसीलिए बिना कुछ सोचे उन्होंने ब्राह्मण का पग अपने सर पर रख लिया उन्होंने कहा भगवान अबतो मेरा सब कुछ चला गया है अब सब छोड़ के मेरे साथ पाताल में चलिए भगवन को राजा की बात माननी पड़ी। उधर माँ लक्ष्मी विष्णु जी के न लोटनी से चिंतित हो रही थी। माँ लक्ष्मी ने एक गरीब महिला का वेश बनाया और ब्राह्मण के पास गई और उन्हें रक्षा सूत्र बांध दीया ब्राह्मण ने पूछा की बदले मे क्या चाहिए तो फ़ौरन माँ लक्ष्मी अपने असली अवतार में आई और अपने पति विष्णु को वापस लौटने की मांग की। राखी का मान रखते हुए राजा बलि ने भगवान विष्णु को वापपस लौटन का फैसला किया।

देवराज इंद्रा की बहन इन्द्राणी
एक बार युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए उनकी बहन इंद्राणी ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया।.इस रक्षा सूत्र ने इंद्रा की रक्षा की और वह विजयी हुए तभी से बहने अपने भाईयो की रक्षा के लिए कलाई पर रक्षा सूत्र या राखी बांधती हैं।

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