काशी विश्वनाथ मंदिर के कारिडोर में अहिल्याबाई होल्कर की प्रतिमा लगी है ये हम सभी जानते है लेकिन क्यों ये कम ही लोगों को पता है। दऱअसल अहिल्या बाई होल्कर ने उपद्रवियों के आंतक के बाद काशी विश्नाथ में शिवलिंग लाकर स्थापित किया था। अहिल्या बाई होल्कर के मेहनत से फिर से काशी विश्वानाथ में भोले विराजे । अहिल्या बाई होल्कर को अगर मंदिरों की महारानी कहें तो भी गलत नहीं होगा क्योंकि इंदौर की इस होल्कर रानी ने पूरे देश में विदेशी आक्रमणकारियों के तोड़े मंदिरों को फिर से स्थापित किया उनका जीर्णोद्धार कराया। अहिल्या बाई होल्कर ने देशभर में हिदूं मंदिरों को जीर्णोद्धार कराने के साथ साथ नए घाट और मंदिरों का भी निर्माण कराया।
दक्षिण से उत्तर तक किया मंदिरों का निर्माण
अहिल्या बाई होल्कर का जन्म महाराष्ट्र के चौंडी गांव में हुआ था। विवाह के बाद वो मालवा आई । वो अकेली ऐसी हिंदू महिला शासक रहीं जिन्होंने दक्षिण से लेकर उत्तर तक मंदिरों , और धार्मिक स्थलों का निर्माण कराया। अहिला बाई होल्कर के बनाए मंदिरो में –
बद्रीनाथ में पूजा कुंड और चढाई के लिए स्थान का निमार्ण कराया
जगन्नथापुरी में धर्मशाला रामचंद्र मंदिर और अन्य धर्म क्षेत्रों का निर्माण कराया।
रामेश्वरम में राधाकृष्ण मंदिर, धर्मशाला और हनुमान मंदिर
औरंगाबाद में गुफाओं के बाहर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
काशी विश्व नाथ में शिवलिंग की स्थापना और मंदिर का जीर्णोद्धार
ओमकारेश्वर मंदिर घाट और ध्रर्मशाला का निर्माण
त्र्यंबकेश्वर में दो मंदिर एक तालाब का निर्माण
सोमनाथ मंदिर का विकास और निर्माण
बैजनाथ ज्योर्तिलंग का प्रवेश द्वार
नागेश्वर महादेव मंदिर में 85 फीट के ऊंची शिव प्रतिमा
गंगोत्री में विश्वनाथ, केदारनाथ, अन्नपूर्णा, भैवर मंदिर, छह धर्मशालाएं बनवाई
अयोध्या में राम मंदिर चेताराम मंदिर
* गया में श्रीविष्णुपद मंदिर, सभा मंडप का निर्माण।
* पुष्कर में श्री विष्णु मंदिर, घाट और धर्मशाला का निर्माण
इसके अलावा मथुरा वृंदावन और मध्यप्रदेश में कई सारे घाटों और मंदिरो का निर्माण अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। बनासर में अहिल्याबाई होल्कर के नाम का एक घाट भी है इसके अलावा बनारस के अस्सी घाट में से मणिकर्णिका घाट में मंदिर का निर्माण भी अहिल्या बाई होलकर ने करवाया था।
28 साल तक मालवा पर किया राज़
अहिल्या बाई होल्कर ने पूरे 28 साल तक मालवा मतलब के आज के इंदौर पर राज किया था। दी अहिल्याबाई होलकर अकेले ऐसी रानी रही जिन्होंने न केवल सालों साल तक इंदौर पर राज किया बल्कि दक्षिण से लेकर उत्तर और पश्चिम तक इनकी धार्मिक विरासत फैली है। अहिल्या बाई को होल्कर राज में मातोश्री का दर्जा मिला वहीं काशी विश्वानाथ के पंडितों ने उनको पुण्य श्लोक की उपाधि दी। अहिल्या बाई को उनके धर्म प्रेम को देखते हुए मंदिरों की महारानी भी कहा जा सकता है।
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