जानें उन नीम करोली बाबा के बारे में जिनके विराट कोहली और एप्पल ,फेसबुक जैसी कंपनियों के सीईओ है भक्त

जानें उन नीम करोली बाबा के बारे में जिनके विराट कोहली और एप्पल ,फेसबुक जैसी कंपनियों के सीईओ है भक्त

भारत को  युगों से अध्यात्म  की भूमि माना जाता रहा है.  यहां पर कई  महान साधु- संत और धर्मात्माओं ने जन्म लिया है, जिन्होंने पूरे विश्व में देश  की एक अलग  पहचान  बनाई है. इन्हीं साधु संतों में से  एक है कैंची धाम के नीम करोली बाबा.  कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को बाबा का आशीर्वाद मिल जाएं , उसकी सारी दिक्कतें खत्म हो जाती है.  पिछले दिनों विराट कोहली भी नीम करोली बाबा के धाम गए थे. आपको बता दें कि विराट कोहली के अलावा एप्पल और फेसबुक  जैसी बड़ी बड़ी कंपनियों के सीईओ भी नीम करोली बाबा के भक्त हैं.
बाबा को माना जाता है भगवान हनुमान का अवतार 
नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा है. उन्हें  भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है. कहते है कि अगर आप कैंची धाम जाकर सच्चे मन से बाबा से  कुछ मनोकामना करते है, तो बाबा आपकी मनोकामना जरूर पूरी करते है. आपको बता दें कि बाबा कैंची धाम पहली बार 1961 में आएं थे, जब उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने पर विचार किया था.  बाबा नीम करोली ने कैंची धाम में आश्रम की स्थापना 1964 में की थी.
11 साल में हो गई थी बाबा की शादी
बाबा का जन्म 1900 के आसपास  उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था. उनका असली नाम  लक्ष्मीनारायण शर्मा था. नीम करोली बाबा को 17 साल की उम्र में ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी. 1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और  सन्यास धारण कर लिया था.  बाबा ने अपने शरीर का त्याग  11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था. भारतीयों से ज्यादा  बाबा के आश्रम में  अमेरिकी ही आते हैं. नीम करोली बाबा की समाधि आज पंतनगर में स्थित है. यहां पर बाबा और भगवान हनुमान की बड़ी सी मूर्ति बनाई गई है.
बाबा से जुड़ा है एक रोचक किस्सा
नीम करोली बाबा से जुड़ी एक रोचक कहानी बड़ी प्रसिध्द है. कहते है कि एक बार बाबा ट्रेन के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे. जब टीसी बाबा के पास आया तो बाबा के पास टिकट नहीं था. तब टीसी ने बाबा को अगले स्टेशन ‘नीब करोली’ में उतार दिया. ट्रेन से उतरने के बाद बाबा एक जगह पर ही अपना चिपटा धरती पर गाड़कर बैठ गए थे. ट्रेन को स्टेशन से हरी झंड़ी  दी गई , लेकिन ट्रेन पटरी से एक इंच आगे भी नहीं बड़ी. जब लाख कोशिशे के बाद भी ट्रेन नहीं चली तो  लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था उसने ऑफिशल्स को बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक अंदर लाने को कहा. बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन बढ़ गई, तभी से बाबा को नीम करोली बाबा के नाम से जाना जाता है. बाबा के चमत्कार के ऐसे कई  सैंकड़ो किस्से हैं.
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