कार्तिकी गोंजाल्विस की लघु फिल्म ‘द एलीफेंट व्हिस्पर्स’ ने रचा बड़ा इतिहास,क्या आपने देखी है ये​ फिल्म्?

film The Elephant Whispers

भारतीय सिनेमा में इतिहास रचा गया है। फिल्म आरआरआर के गाने ‘नाटू नाटू’ ने बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का ऑस्कर अवॉर्ड जीता तो फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ ने बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म कैटेगरी में अवॉर्ड जीता। यह पूरे देश के लिए गर्व की बात है। ज्यादातर भारतीयों ने फिल्म आरआरआर देखी है और इस फिल्म के बारे में सब कुछ जानते हैं। लेकिन क्या आप फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ के बारे में जानते हैं।
निर्माता गुनीत मोंगा और निर्देशक कार्तिकी गोंजाल्विस की फिल्म ‘द एलीफेंट व्हिस्पर्स’ को बनाने में पूरे 5 साल का समय लगा है, जबकि यह फिल्म 41 मिनट की है। फिल्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई है। अब इस फिल्म की चर्चा हर तरफ हो रही है। जब बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म के लिए भारतीय फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्पर्स’ की घोषणा हुई तो हर भारतीय खुशी से झूम उठा। भारत को अपना पहला ऑस्कर झोली में मिल ही गया।

बच्चे हाथी के साथ बंधन में बंध जाते हैं

वैसे द एलिफेंट व्हिस्पर्स 8 दिसंबर 2022 को रिलीज़ हुई थी। 39 मिनट की यह भारतीय अमेरिकी शॉट डॉक्यूमेंट्री फिल्म एक जोड़े की कहानी बताती है जो अपने बच्चे हाथी के साथ बंधन में बंध जाते हैं। इसका निर्देशन गुनीत मोंगा और अचिन जैन ने किया है। बता दें कि हाल ही में प्रियंका चोपड़ा ने इस डॉक्यू-ड्रामा को देखा और इसकी काफी तारीफ भी की थी। प्रियंका ने कहा ‘भावनाओं से भरा ट्रंक। मैंने हाल ही में देखी सबसे मार्मिक वृत्तचित्रों में से एक। अच्छा लगा मुझे। इस बेहतरीन कहानी को जीवंत करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। शॉर्ट फीचर डॉक्यूमेंट्री ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ एक आदिवासी दंपति बेली और बोमन की कहानी बताती है, जो एक निराश्रित हाथी को गोद लेते हैं। उसका पालन-पोषण करते हैं। डॉक्यूमेंट्री पर काम करने वाले बेली और उनके पति बोम्मी ने कहा- हमने हाथियों को अपने बच्चों की तरह बड़ी चुनौतियों से पाला है। लेकिन इसके बावजूद हम इसे कोई मुश्किल काम नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि उन्हें ऑस्कर के बारे में नहीं पता, लेकिन उन्हें हर समय तारीफ मिल रही है। जिससे वह काफी उत्साहित हैं। बेली के मुताबिक उसने एक मां की तरह उनका ख्याल रखा है। खासतौर पर वे हाथी के बच्चे जो जंगल में अपनी मां से बिछड़ जाते हैं। महुत परिवार की बेली के अनुसार जब रघु (हाथी) मेरे पास आया तो मैं बारिश में छप्पर के नीचे सो रहा था। मुझे इसकी चिंता नहीं थी। बहरहाल, अब मुझे फॉरेस्ट ऑफिस में नौकरी मिल गई है। हाथी मुझे बहुत प्यार करते हैं। जब वे मुझे देखते हैं, वे मेरे पास आते हैं।

लोग आते इस हाथी को देखने

बेली के मुताबिक हाथी को देखने के लिए लोग कैंप में आते हैं। वो शिविर में नहीं होता, तो मिलने के लिए लोग घर आ जाते और मेरे साथ तस्वीरें लेते। मेरे घर में हाथियों की कई तस्वीरें हैं। जिन्हें केरल के बच्चे लेकर आए हैं। अगर बच्चे फोटो मांगते हैं, तो आप उन्हें कैसे मना कर सकते हैं? बेली के मुताबिक हमारे पूर्वज हाथियों की सेवा करते रहे हैं। यह हमारे खून में है। आपको बता दें कि बेल्ली और उनके पति बोम्मी तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में स्थित मुदुमलाई टाइगर रिजर्व थेपक्कडू हाथी शिविर में काम करते हैं।

Exit mobile version