किसका कर्नाटक आज तय करेंगे मतदाता,​हाई वोल्टेज प्रचार के अब मतदाता की बारी

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए हाई वोल्टेज प्रचार के बाद अब बारी मतदाताओं की है। बुधवार 10 मई को सुबह से ही मतदान केन्द्रों पर कतार देखी जा रही है। राज्य की 224 विधानसभा सीटों के लिए मतदान प्रक्रिया सुबह सात बजे से शुरू हो गई थी जो शाम 6 बजे तक जारी रहेगी। यहां बीजेपी के साथ कांग्रेस और जेडीएस मैदान में है। राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को 224 में से 113 सीट के जादुई नंबर की जरूरत होगी।

कर्नाटक चुनाव के लिए पिछले कुछ दिनों से चुनाव प्रचार जोर शोर से चल रहा था। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत राजनीतिक दलों के कई नेताओं ने रैलियां, रोड शो और जनसभाएं कीं। आरोप प्रत्यारोप का दौर चुनाव से एक दिन पहले तक जारी रहा। कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक वीडियो शेयर कर दावा किया है कि गोवा से बस के जरिए लोगों को उत्तर कर्नाटक लाया जा रहा है। उन्होंने मंगलवार देर रात ट्वीट कर कहा कि गोवा बीजेपी सरकार रात लोगों को कैम कदंबा ट्रांसपोर्ट के जरिए बस से उत्तर कर्नाटक क्यों भेज रही है। पिछले हफ्ते भी प्रधानमंत्री की रैली के लिए गोवा से सैंकड़ों लोगों को लाया गया था।

लिंगायत और वोक्कालिंगा की अहम भूमिका

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि लिंगायत और वोक्कालिगा वोट चुनाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं। लिंगायत समुदाय की आबादी लगभग 17 प्रतिशत है, जबकि वोक्कालिगा 11 प्रतिशत हैं। ऐसे में दोनों समुदाय राजनीतिक दलों के लिए चुनाव प्रचार में काफी अहम रहे। मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र और सेंट्रल कर्नाटक में इस बार कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है। हालांकि 17 प्रतिशत वाले लिंगायत और लगभग 14 फीसदी वाले वोक्कालिगा जिस तरह से किसी एक पार्टी के समर्पित हैं। कांग्रेस के पास ऐसा कोई अपना समर्पित वोट बैंक नहीं है। बेशक मुस्लिम वर्ग का साथ कांग्रेस को मिलता है। लेकिन मुस्लिम मतदाता राज्य भर में बिखरे हैं। हालांकि कांग्रेस को एससी, एसटी, ओबीसी और ईसाई वोट मिलता रहा है। जिससे कांग्रेस राज्य की लगभग हर सीट पर रेस में बनी रहती है।

क्या लोकसभा चुनाव पर असर डालेंगे नतीजे!

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे निश्चिततौर पर आने वाले लोकसभा चुनाव को प्रभावित करेंगे। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे राज्य में लोकसभा चुनाव के नतीजों के संकेत नहीं दे रहे हैं। पिछले 20 साल में राज्य में सरकार बनाने वाली पार्टी की परवाह किए बिना कर्नाटक के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रति अपना झुकाव दिखाया है। ऐसे में अगर विधानसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं जाते हैं तो इतिहास के नतीजे देखकर पता नहीं चलता कि लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के खिलाफ जाएंगे या नहीं। पिछले 24 साल में कर्नाटक में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान का पैटर्न एक जैसा नहीं रहा है। 1999 से 2019 तक, लोकसभा चुनावों में बीजेपी लगभग तीन-चौथाई सीटें जीतने में सफल रही है लेकिन बीजेपी इस दौरान विधानसभा की महज एक चौथाई सीटें ही जीत पाई है। बात करें 2018 के विधानसभा चुनाव की तो बीजेपी 222 में से 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन कुल सीटों पर जीत का प्रतिशत केवल 46 प्रतिशत के आसपास था। लेकिन इसके एक साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा साबित हुआ। पार्टी 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने लोकसभा की 89 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2014 में भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन कांग्रेस से काफी बेहतर रहा था। बीजेपी 17 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही थी। जबकि 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के पक्ष में गया था। कांग्रेस राज्य में 122 सीट जीतकर सरकार बनाने में सफल रही थी। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कर्नाटक की 17 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस इस चुनाव में केवल 6 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही।

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