कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान होने से पहले सियासी दल सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस ने अपने 125 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है तो वहीं बीजेपी भी इस राज्य में सक्रिय हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी के यहां चुनावी दौरे यहां तेज हो गए हैं। कर्नाटक में पिछले 2 महीने में पीएम नरेन्द्र मोदी की ये सातवीं यात्रा है। वे बेंगलुरु मेट्रो विस्तार से जुड़ी परियोजना का उद्घाटन करने के साथ ही मेगा रैली को संबोधित करेंगे। बीजेपी ने पीएम की रैली में 10 लाख लोगों के आने का दावा किया है। बता दें कर्नाटक में संभवतः मई में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। इससे पहले बीजेपी ने इस चुनावी राज्य में अपना अभियान तेज कर दिया है।पीएम मोदी दो महीने में सातवीं बार कर्नाटक के दौरे पर हैं। वे कई आधिकारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे और भाजपा की ओर से आयोजित रैली को संबोधित करेंगे।
- कभी भी बज सकती है कर्नाटक में चुनावी रणभेरी
- चुनावी ऐलान से पहले पीएम मोदी का मेगा शो
- जनसभा के साथ रैली करेंगे मोदी
- सामने खड़ी चुनौतियां का कैसे करेगी बीजेपी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनावी चुनौतियों के बीच कर्नाटक में मेगा रैली करेंगे। लेकिन कर्नाटक में भले ही बीजेपी की सत्ता है। लेकिन इस बार राह आसान नहीं होगी। बीजेपी को अंदर और बाहर दोनों तरफ से मिल रही चुनौतियों से जूझ रही है। कर्नाटक में बीजेपी को मिलने वाली कई बड़ी चुनौतियां हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को कर्नाटक में मेगारैली करे रहे हैं। बेंगलुरू मेट्रो की कृष्णराजपुरा मेट्रो लाइन का उद्घाटन करेंगे इसके साथ रैली को सम्बोधित भी करेंगे। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी का यह दौरा खासा अहम माना जा रहा है। कर्नाटक में भले ही बीजेपी सत्ता में है। लेकिन इस बार राह आसान नहीं होगी। इसकी कई वजह बताई जा रही हैं। पहले ही अंदरूनी चुनौतियों से जूझ रही बीजेपी के लिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने रास्ता और मुश्किल बना दिया है। इतना ही नहीं राज्य में सियासी समीकरण के बीच गणित बैठाना बीजेपी भी के लिए आसान नहीं होगा। बीजेपी को अंदर और बाहर दोनों तरफ से मिल रही चुनौतियों से जूझ रही है।
राज्य में बीजेपी से उसके ही अपने नाराज
चुनाव सामने होने के बाद भी कर्नाटक में बीजेपी के कार्यकर्ता खुश नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी के लिए अपनों से निपटना सबसे इस समय बड़ी चुनौती है। चुनाव के दौरान पार्टी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता ही इस समय पार्टी से नाखुश हैं। दरअसल पिछले साल कर्नाटक में 2 हिंदूवादी युवा नेताओं की हत्या का मामला सामने आया था। इस पर बीजेपी का रवैया ढुलमुल ही रहा। जिसके चलते एबीवीपी ही नहीं बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के साथ बीजेपी के कार्यकर्ता और कई नेताओं में नाराजगी देख्खने को मिली थी। सूत्र बताते है। कि कई बार सीएम बोम्मई को पद से हटाने की भी मांग की जा चुकी है।
खत्म नहीं हो सकी गुटबाजी
चुनावी राज्य में कांग्रेस की तरह बीजेपी भी इन दिनों कर्नाटक में अपनों के बीच ही गुटबाजी का शिकार नजर आ रही है। सीएम बोम्मईए पूर्व सीएम येदियुरप्पा और बीएल संतोष में गुटबाजी साफ नजर आती है। इन नेताओं और उनके गुटों के बीच कभी सामंजस्य नहीं दिखाई दिया। बैठकों में कभी एक गुट मौजूद नहीं होता तो कभी दूसरा गुट दूर रहा। पार्टी में कई ऐसे नेता खुद को मुख्यमंत्री पद का बड़ा उम्मीदवार तक मानने लगे हैं। बीजेपी के लिए इस समय नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल बैठाकर चुनाव जीतना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। वहीं संगठन और सरकार में सामंजस्य का भी आभाव नजर आता है। सियासी जानकारी कहते हैं कि ज्यादातर राज्यों में बीजेपी और पार्टी संगठन के बीच तालमेल साफतौर पर दिखता है। कर्नाटक में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। बीजेपी और संघ के संगठनों के बीच दूरी साफ नजर आती है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को चुनौतियाें का सामना करना पड़ सकता है।
सीएम को लेकर असंतोष बरकरार
वहीं मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को लेकर पहले से ही पार्टी में असंतोष नजर आने लगा है तो पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को लेकर भी स्थिति संतोषजनक नहीं रही। भ्रष्टाचार के आरोप और कर्नाटक सरकार में येदिरप्पा के बेटे के बढ़ते दखल के चलते पहले ही किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में बीजेपी में कोई ऐसा नेता नहीं है जो पार्टी को एकजुट कर चुनाव जीता सके। सबको साथ लेकर चल सके। ऐसा नेता जिसे पार्टी में सबका समर्थन मिला हा।
भारत जोड़ो यात्रा का अब भी असर
कर्नाटक में राुहल गांधी ने भारत जोड़ों यात्रा के दौरान करीब करीब 20 दिन गुजारे थे। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा चली थी। इस दौरान कांग्रेस ने जोर शोर से अबकी बार कांग्रेस 150 के पार का नारा जोर पकड़ने लगा है। चुनावों को देखते हुए कांग्रेस ने रणनीति तैयार की। राहुल गांधी की यात्रा में सोनिया गांधी के साथ प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं। इसके सियासी मायने समझें तो यात्रा दक्षिण कर्नाटक से होकर गुजरी थी। इस रूट में सात संसदीय क्षेत्र है। जिनमें चामराजनगरए मैसुरूए मांड्याए तुमकुरए चित्रदुर्गए बेल्लारी और रायचूर शामिल थीं। इन्हीं संसदीय क्षेत्रों में करीब 21 विधानसभा सीटें आती हैं। बता दें यह क्षेत्र वोक्कालिगा समुदाय का गढ़ माना जाता है। बता दें दक्षिण कर्नाटक को वोक्कालिगा समुदाय का गढ़ माना जाता है। यहां कांग्रेस पहले से ही भारत जोड़ाे यात्रा के जरिए अपनी पैठ बना चुकी है। साथ ही उसने रणनीति साफ कर दी है। कांग्रेस और जेडीएस की नजर पहले से ही इस बडे़ समुदाय पर थी। ऐसे में बीजेपी के लिए चुनौती और बढ़ गई है। पिछले लंबे समय ये बीजेपी वोक्कालिगा समुदाय पर पकड़ बनाने में जुटी हुई है। लेकिन अब तक बीजेपी कोई करिश्मा नहीं कर पाई है।