कर्नाटक चुनाव विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। यहां अगले माह 10 मई को मतदान होगा और 13 मई को नतीजे सामने आ जाएंगे, लेकिन तब तक राज्य में चुनावी सरगर्मी पूरे शबाब पर रहेगी। इस बीच बीजेपी जहां प्रत्याशियों के चयन के लिए बैठकों में ही व्यस्त है वहीं कांग्रेस ने इसमें बाजी मार ली है। कांग्रेस अब तक 224 सीटों में से 166 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर चुकी है। दरअसल कर्नाटक में 17 फीसदी से अधिक आबादी वाले लिंगायत समुदाय राज्य का सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता है। कर्नाटक में अधिकांशत: उसी पार्टी की सरकार बनती है। जिसके पक्ष में लिंगायत होते हैं। यहीं वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी इस वर्ग को प्रमुखता देती रही है।
- कर्नाटक में है 17 फीसदी से अधिक लिंगायत आबादी
- लिंगायतों ने मांगे कांग्रेस से 55 टिकट
- कांग्रेस लिंगायत समुदाय को दे चुकी है 43 टिकट
- दो सूची में कांग्रेस ने 166 उम्मीदवारों का किया ऐलान
- 224 सीटों में 166 पर अब तक उम्मीदवार तय
राज्य में लिंगायत समुदाय की बड़ी संख्या के चलते कांग्रेस ने 166 में से 43 सीटों पर इस समुदाय से जुड़े नेताओं को टिकट दिया है। दरअसल कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक दूसरे पर बढ़त पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। कर्नाटक में लिंगायत मतदताओं की संख्या अच्छी खासी है। इतना ही नहीं यह वर्ग कर्नाटक की राजनीति में भी न केवल सक्रिय है बल्कि उनकी अच्छी पकड़ भी है। लिहाजा कांग्रेस ने इस बार लिंगायतों को रिझाने के लिए हर तरह के प्रयास तेज कर दिए हैं। हालांकि कांग्रेस के लिए मुश्किल ये है कि लिंगायतों के लिए कांग्रेस नेता 224 में से करीब 55 टिकट मांग रहे हैं।
58 सीटों पर अब भी उम्मीदवारों का ऐलान बाकी
बता दें कांग्रेस चुनाव के लिए अब तक उम्मीदवारों की दो सूची जारी कर चुकी है। पहली सूची में 124 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया था। 25 मार्च को जारी की गई पहली सूची के बाद 6 अप्रैल को 42 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की गई। इस तरह अब जारी 166 नामों की सूची में करीब 43 उम्मीदवार लिंगायत समुदाय से जुड़े हैं। दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने लिंगायतों को 43 टिकट ही दिए थे, लेकिन इस बार इस समुदाय के नेता 55 सीटों पर अपने लिए टिकट मांग रहे हैं। वहीं बीजेपी की ओर से लिंगायत नेता बी एस येदियुरप्पा को इस बार सीएम के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस से जुड़े लिंगायत समूह के नेताओ का मानना है कि चुनाव में राज्य के सबसे बड़े समुदाय का समर्थन हासिल करने का ये एक अच्छा अवसर है।
इस बार कांग्रेस के सामने बड़ा मौका
राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और लिंगायत नेता ईश्वर खंड्रे की माने तो लिंगायत समुदाय इस बार कांग्रेस का साथ देगा है। ऐसे में समुदाय के लोगों को अधिक संख्या में टिकट देने से पार्टी की संभावना बढ़ जाएगी। उनका कहना है लिंगायत नेताओं ने एक महीने पहले समुदाय के सदस्यों के लिए अधिक टिकट की मांग उठाई थी। हालांकि अब भी करीब 58 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया जाना बाकी है। ऐसे में कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि इस बार लिंगायत समुदाय से जुड़े नेताओं को और अधिक टिकट मिलने की उम्मीद है। इसके स्पष्ट रूप से संकेत भी मिल रहे हैं कि पार्टी 2018 के मुकाबले लिंगायतों को अधिक टिकट देगी। क्योंकि 1990 के दशक से लिंगायत समुदाय की पसंदीदा पार्टी मानी जाने वाली बीजेपी की ओर से अभी तक अपने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी नहीं की जा सकी है। बीजेपी ने पिछले चुनावों में लिंगायतों को 55 टिकट दिए थे। येदियुरप्पा की अगुवाई मेंके नेतृत्व में बीजेपी ने 2018 के चुनावों में 104 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने थी। उस समय बीजेपी कीओर से 40 लिंगायत उम्मीदवारों ने चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की थी वहीं कांग्रेस के 43 लिंगायत उम्मीदवारों में से 17 ने ही जीत हासिल की थी।