कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने मांगा एजी आफिस पुल की जमीन का 7 करोड़ रुपए का मुआवजा ,प्रशासन बोला ये सरकारी जमीन है

Kamalaraje Charitable Trust

केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ग्वालियर में कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने एजी आफिस पुल की जमीन का मुआवजा मांगा है, लेकिन ग्वालियर जिला प्रशासन का कहना है कि रिकार्ड में तीनों जमीन सरकारी हैं। जमीन पर पीएडब्ल्यूडी का रास्ता है और पुल भी बना हुआ है। ग्वालियर में सत्र न्यायालय में इस पर स्थगन आदेश के लिए ट्रस्ट की ओर से पेश किये गये आवेदन को खारिज करने की भी मांग जिला प्रशासन ने की है। इसके बाद कोर्ट ने प्रशासन को मूल दावे का जवाब देने के लिए दस दिन का समय दिया है। वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने इंटनरवीनर के दस्तावेजों को रिकार्ड पर लेते हुए 13 फरवरी को आदेश की तारीख लगाई है। इस दिन बहस भी होगी। निर्माण पर रोक लगाई जाए।

कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने कोर्ट में आवेदन लगाया है कि उनकी भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया गया है। इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार किया जाए। जिससे जमीन का मुआवजा मिल सके। वादगस्त भूमि का 7 करोड़ 55 हजार रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया जाए। वाद में तर्क दिया है कि 31 दिसंबर 1971 को विजयराजे सिंधिया ने ट्रस्ट का गठन किया था। विजयराजे सिंधिया ने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। जमीन पर किए गए निर्माण पर रोक लगाई जाए। इतना ही नहीं प्रशासन ने ट्रस्ट के इस तर्क का जवाब दे दिया है। इस आवेदन पर बहस होगी। जमीन से संबंध दस्तावेज भी पेश किया इसके अलावा अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने हस्तक्षेप आवेदन के साथ हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी न्यायालय में पेश किया। जमीन से संबंध दस्तावेज भी पेश किया है।

जून 2018 में पेश किया मुआवजे का दावा

ट्रस्ट की ओर से 4 जून 2018 में मुआवजे का दावा पेश किया है। उसे पेश करने के लिए सिंधिया ने ट्रस्ट के सचिव विजय सिंह फालके को अधिकृत किया है। दावे में तर्क दिया है कि वादी की भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया गया है। इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार किया जाए। जिससे जमीन का मुआवजा मिल सके। वादगस्त भूमि का 7 करोड़ 55 हजार रुपए 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया जाए। वाद में तर्क दिया है कि 31 दिसंबर 1971 को विजयराजे सिंधिया ने ट्रस्ट का गठन किया था। विजयराजे सिंधिया ने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। इस ट्रस्ट की चैयरमेन माधवीराजे सिंधिया हैं। ट्रस्टी के पद पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं। इस दावे में शासन ने जवाब पेश नहीं किया है। इसके चलते कोर्ट ने लंबी तारीख भी नहीं दी है। कोर्ट ने इस केस को चिन्हित केसों की सूची में रखा है। इस वर्ष इस दावे का का निराकरण करना है।

चाहिए तीन सर्वे नंबर की जमीन का मुआवजा

महलगांव के सर्वे क्रमांक 1071, 1072, 1073 खसरों में शासकीय दर्ज है। लैड रिकार्ड की साइट पर तीनों सर्वे क्रमांक का स्टेट्स शासकीय दर्ज है। खसरे में पीड्बल्यूडी का आम रास्ता लिखा हुआ है। मिसिल बंदोबस्त में दर्ज स्थिति से ही जमीन का मालिकाना हक तय होता है। मिसिल बंदोबस्त संवत 1997 सर्वे क्रमांक 1071 में 10 विश्वा जमीन, 1072 में 1 बीघा 4 विश्वा जमीन, 1073 में 4 जमीन रेल की पटरी, सड़क, बंजर के नाम से दर्ज है। इन्हीं सर्वे नंबर की जमीन का मुआवजा मांगा है। पुल का निर्माण 1987 में शुरू हुआ था और 1991 में शुभारंभ किया गया था।

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