क्यों सिंधिया पहुंचे कैलाश विजयवर्गीय के घर?

Jyotiraditya Scindia and Kailash Vijayvargiya

इस मुलाकात को क्या नाम दें

भोपाल में जब आसमान से बारिश की बूंदे सैलाब में बदल रहीं थी इंदौर में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बीच दोस्ती की बारिश का सौलाब देखने को मिल रहा था। वैसे कभी दोनों के बीच मप्र क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव के बाद तल्खियां बनी रहने की खबरें आती थीं। सिंधिया जब बीजेपी में शामिल हुए तक भी दोनों के बीच खासकर कैलाश विजयवर्गीय के परिवार से सिंधिया ने दूरी बनाए रखी। लेकिन लगता अब दोनों के बीच बर्फ पिघलने लगी है। दूरियां नजदीकियों में बदलने लगी हैं। दरअसल सोमवार को के दिन जब भोपाल में आसमान से बरसती बूंदे सैलाब में बदल रहीं थी तब इंदौर में दोस्ती का सैलाब बरस रहा था। ज्योतिरादित्य सिंधिया स्वयं अपने बेटे आर्यमन के साथ कैलाश विजयवर्गीय के घर जा पहुंचे। हालांकि कुछ दिन पहले भी सिंधिया इंदौर में कैलाश वियवर्गीय के घर पहुंचे थे लेकिन तब उनकी कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात नहीं हो सकी थी। लेकिन इस बार वे खुलकर कैलाश विजयवर्गीय और उनके परिवार के सदस्यों से मिले।

सितंबर का महीना ढहाएगा सियासी सितम!

बीजेपी संसदीय बोर्ड से सीएम शिवराज की छुट्टी के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कैलाश विजयवर्गीय के घर जाना और मुलाकात के बाद यह कहना कि वे विजयवर्गीय के साथ मिलकर उनके मार्गदर्शन में और बीजेपी के आम कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश और क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर एक नई उमंग नए जोश के साथ काम करेंगे। इसके कई मायने निकाले जाने लगे हैं। कहा जा रहा है कि सितंबर का महीना मप्र मे बीजेपी में सत्ता और संगठन स्तर पर बडे़ बदलाव का महीना होगा। सितंबर में केन्द्रीय मंत्री अमित शाह फिर मप्र के दौरे पर आने वाले हैं। यहां वे संगठन के काम काज के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी योजनाओं को लेकर चर्चा करेंगे। इस दौरान बीजेपी संगठन स्तर पर कई बडे़ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

सिंधिया ने क्यों कहा नई उमंग के साथ करेंगे काम?

बता दें सोमवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया उज्जैन में महाकाल की शाही सवारी में शामिल होने जा रहे थे तभी वे इंदौर एयरपोर्ट से सीधे भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नंदा नगर स्थित आवास पर जा पहुंचे। यहां कैलाश विजयवर्गीय के साथ उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला ए  महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने जोरदार स्वागत किया। सिंधिया करीब 25 मिनट तक कैलाशविजयवर्गीय और उनके परिवार के साथ रहे। उन्होंने विजयवर्गीय परिवार के सदस्यों पारिवारिक माहौल में चर्चा की। इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा यह उनका सौभाग्य है कि कैलाश जी के परिवार से व्यक्तिगत नहीं बल्कि पारिवारिक माहौल में उन्होंने भोजन किया। सिंधिया ने कहा विजयवर्गीय के साथ मिलकर उनके मार्गदर्शन में और बीजेपी के आम कार्यकर्ता के रूप में प्रदेश और क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर एक नई उमंग नए जोश के साथ काम करेंगे। सिंधिया की इस टिप्पणी के बाद कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय को लेकर दिए सिंधिया के बयान ने मप्र में सियासत गर्मा दी है। कभी धुरविरोधी रहे सिंधिया ने कैलाश विजयवर्गीय के घर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे एक पारिवारिक वातावरण में कैलाश जी के यहां सामूहिक परिवार के रूप में आए हैं। वे मानते हैं कि उनके मार्गदर्शन में पार्टी आगे आम कार्यकर्ता के रूप में क्षेत्र और प्रदेश के विकास का बीड़ा सौंपेगी। उसे नई उमंग और नए जोश के साथ कार्य करेंगे। इसके लिए कैलाश विजयवर्गीय के साथ मिलकर इसे करेंगे। सिंधिया ने कहा उज्जैन में महाकाल की सवारी के लिए इंदौर आए थ तो सोचा कि कैलाश जी से भी मिलता चलूं। सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस की स्थिति जर्जर हो चुकी है। वे इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते।

दो अहम मुलाकातों का दिन

बता दें 22 अगस्त सोमवार का दिन मप्र की राजनीति के लिए अहम रहा है। भाजपा की शीर्ष कमेटी संसदीय दल से शिवराज सिंह चौहान को हटाया गया और भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से पश्चिम बंगाल का प्रभार लिया गया। दोनों ही हटाए गए नेताओं से केंद्रीय नेतृत्व ने मीटिंग। शिवराजसिंह चौहान से गृहमंत्री अमित शाह मुलाकात मिले तो इंदौर में विजयवर्गीय और सिंधिया की मीटिंग हुई। हालांकि दोनों मीटिंग के मायने अलग अलग हैं। लेकिन सियासी समीकरणों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

कभी सिंधिया और विजयवर्गीय थे धुर विरोधी

एक समय था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ओर कैलाश विजयवर्गीय दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी हुआ करते थे। सिंधिया व विजयवर्गीय की अदावत उस दौरान से शुरू हुई थी जब 2010 में एमपीसीए के चुनाव में दोनों दो बार आमने सामने आ गए थे। तब चुनाव ने एक तरह से राजनीतिक रंग ले लिया था। खासकर विजयवर्गीय गुट ने। दोनों बार सिंधिया से विजयवर्गीय को शिकस्त मिली थी।

2020 में भी सिंधिया ने किया था विजयवर्गीय के घर भोजन

2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया जब बीजेपी में शामिल उसके बाद कैलाश विजयवर्गीय और उनके बीच की दूरियां लगभग खत्म हो गईं थी।। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद सिंधिया इंदौर पहुंचे थे तो तो उन्होंने विजयवर्गीय के घर भोजन किया था। इस दौरान वे काफी देर तक रुके थे। इसके भी कई राजनीतिक मायने निकाले गए थे।

पुष्यमित्र के प्रचार के लिए आए थे सिंधिया

पिछले दिनों नगर निगम चुनाव में महापौर के लिए बीजेपी की ओर से पुष्यमित्र भार्गव का नाम फाइनल होने के बाद विजयवर्गीय ने कमान संभाली थी। वे खुद नामांकन के दौरान भार्गव के साथ गए थे। बाद में सिंधिया जब इंदौर आए तो उन्होंने ब्रिलियन्ट कन्वेंशन सेंटर में अलग अलग वर्गों के बीच पहुंचकर उन्हें जिताने की अपील की। सिंधिया ने विधानसभा तीन के विधायक आकाश विजयवर्गीय के साथ  भार्गव के लिए वोट की अपील की थी।  ये समीकरण भी दोनों की नजदीकी बयां करते हैं।

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