केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के कई दौरे कर चुके हैं। और किसी न किसी बहाने वे पश्चिम बंगाल जाने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसका मतलब सिर्फ इतना नहीं है कि उन्हे यहां केवल चुनाव जीतना है। इसके अलावा भी ऐसे कई कारण है जिन पर अक्सर चर्चा बहुत कम होती है। आइए जानते हैं वो कौन से कारण हैं जो राज्य की टीएमसी के लिए ज्यादा संकट खड़ा करेंगे।
कई आयोजनों में शामिल होंगे शाह
आज मंगलवार को एक बार फिर अमिल शाह पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं यहां रविन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के अलावा कई आयोजनों में शामिल होंगे। यहां बताना जरूरी है कि जब जब अमित शाह पश्चिम बंगाल की धरती पर होते हैं टीएमसी नेता और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का टेंशन बढ़ जाता है। चॅॅूकि अगले साल लोकसभा चुनाव हैं और नेताओं का एक दूसरे दलों में आना जाना लगा है। ऐसे में अपने नेताओं को संभालना भी एक बड़ी चुनौती होती है।
35 सीटों का है लक्ष्य
भारतीय जनता पार्टी ने अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में कम से कम बंगाल से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य पूरा हो,इसके लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ रही है। लगभग प्रत्येक त्यौहार पर यहां शाह का आना भी सीएम बनर्जी के लिए कहीं न कहीं चिंताजनक तो होता ही है। वैसे भी शाह को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है और उनके दांव पेंच को समझ पाना भी आसान नहीं होता है। ऐसे में राजनीति के जानकारों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में अमित शाह बार बार जा रहे है लेकिन उनका मकसद सिर्फ चुनाव जीतना नहीं है। वे मतदाता के मन को परखते हैं,उनके मन की बात करते हैं और उनके मन में क्या चल रहा है उसे समझते है। फिर एक सटीक रणनीति बनाकर उस पर अमल करते हैं। इसके बाद अपने आप एक बहुत बड़ा वोट बैंक उनके पक्ष में आ जाता है।
पंचायत चुनाव से मिलेगी जमीनी ताकत
राजनीति की सबसे बड़ी और मजबूत ताकत जमीन ही होती है। स्थानीय स्तर पर जितनी जिसकी पकड़ होगी वो उतना ही मजबूती से समर्थन जुटाने में कामयाब होता है। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव होना है। और पंचायत स्तर पर राजनैतिक दलों को जमीन से जुड़ने का बेहतर अवसर मिलता है। यहां 20 जिला परिषदों, 9,217 पंचायत समितियों और 48,649-ग्राम पंचायतों की 825 सीटों पर मतदान होगा। ऐसा माना जा रहा है कि गृहमंत्री शाह इन चुनावों को ध्यान में रखते हुए कोई नया मंत्र भी भाजपा कार्यकर्ताओं को दे सकते है। चॅूकि स्थानीय मुद्दे स्थानीय स्तर पर ज्यादा मायने रखते हैं इसलिए हो सकता है कि स्थानीय स्तर की जमीन मजबूत करने के लिए किसी रणनीति पर विचार विमार्श हो।
बंगाल में भाजपा के लिए कई चुनौतियां
राजनैतिक दृष्टि से भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल एक महत्वपूर्ण राज्य है। जहां 2021 में विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। भाजपा में गए कई नेता वापस टीएमसी में लौट आए हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने 42 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी और उन सीटों को बरकरार रखना उसके लिए अब एक चुनौती हो सकती है।