गिरिडीह : झारखंड के गिरिडीह जिले में सम्मेद शिखरजी को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है. झारखंड के आदिवासी संथाल समुदाय का दावा है कि पूरा पारसनाथ पर्वत उनका है. आदिवासियों का कहना है कि यह उनका मरंग बुरु यानी पुराना पहाड़ है। यह उनकी आस्था का केंद्र है। यहां वे हर साल आषाढ़ी पूजा में एक सफेद मुर्गे की बलि देते हैं। इससे छेड़छाड़ उन्हें कतई मंजूर नहीं होगी।
बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहा है आदिवासी समाज
पारसनाथ पर्वत को लेकर आदिवासी समाज अडिग है । ये समाज अब बड़े आंदोलन की भी तैयारी कर रहा है। विरोध और आंदोलन का मोर्चा सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेम्ब्रोम संभाल रहे हैं।
अदिवासियों ने कहा हमे नहीं रोक सकते
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हेम्ब्रम ने कहा है कि अब सम्मेद शिखर को लेकर लड़ाई निर्णायक होगी। उनका तर्क है कि आदिवासी समाज के लोग इस क्षेत्र में वर्षों से रह रहे हैं, अब उन्हें बलि देने से रोका जा रहा है. जमीन हमारी है, पहाड़ हमारा है और हम इस पर किसी और का कब्जा नहीं होने देंगे।
मामले को लेकर बनाई कमेटी
रविवार को जिला प्रशासन ने जैन समुदाय और आदिवासियों के साथ बैठक की। आम सहमति बनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया। समिति में प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि, जैन समाज व आदिवासियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
फिलहाल इस बैठक में किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है। लेकिन जिला प्रशासन के जरिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है।
केंद्र सरकार ने घोषित किया था पर्यटन स्थल
कुछ दिन पहले सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया था। इसके बाद से जौन समाज नाराज थे। समाज के लोगों का तर्क था कि पर्यटन स्थल घोषित करने से वहां कई तरह की गतिविधियां शुरू हो जाऐंगी जिससे उसकी पवित्रता पर खत्म होगी। जैन समाज ने सम्मेद शिखर को लेकर बड़ा आंदोलन चलाया। इसके बाद केंद्र सरकार ने उस फैसले को वापस लिया। केंद्र सरकार ने तो फैसला वापस ले लिया लेकिन उसके बाद से आदिवासी समुदाय ने इस पवर्त पर अपना अधिकार जताया है।आदिवासी समुदाय ने पूरे सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वत पर अपान अधिकार जताया है।