Jewel Thief – The Heist Begins ‘ रिव्यु :– सैफ, जयदीप और निकिता दत्ता ने किया कमाल, मजेदार है फ़िल्म

Jewel Thief – The Heist Begins ‘ रिव्यु :– सैफ, जयदीप और निकिता दत्ता ने किया कमाल, मजेदार है फ़िल्म

स्टार:- 3.5
रनटाइम:- 1 घंटा 57 मिनट

ज्वेल थीफ एक हाईस्ट फिल्म है। चतुर चोर रेहान रॉय ( सैफ अली खान) से मुंबई के क्रिमिनल राजन औलाख ( जयदीप अहलावत) 500 करोड़ के हीरे चुराने को कहता है। दोनों किरदारों के जीवन में बड़ा ट्विस्ट लाने का काम फराह (निकिता दत्ता) का भी है। तीनों ने मिलकर एक रोमांचक हाईस्ट फिल्म तैयार की है। कहानी रेहान रॉय और राजन औलाख के इर्द गिर्द है, मगर सरप्राइज फैक्टर फराह के तौर पर निकिता दत्ता साबित हुईं हैं। उनका होना बाकी सभी किरदारों को धार देता है तो यह कहना शायद ग़लत नहीं होगा.

बाकी यह सिद्धार्थ आनंद के बैनर की फिल्म है। पिछली फिल्मों की तरह यहां भी लोकेशन्स बेहद शानदार (खर्चीली) हैं इसलिए आंखें कई फ़्रेम्स पर ठहरती भी हैं. ऐक्शन सीक्वेंसेज हों या चेज़िंग सीन, इन्हें देखते हुए कुछ पैसा वसूल टाइप फ़ील आ जाती है. शेष मसाला एंटरटेनमेंट रेसिपी की सारी सामग्री लाई हैं निकिता दत्ता। फिल्म मजेदार है. हालांकि कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट एंड टर्न हैं, जो आपको कहानी से जोड़ कर रखेंगे. सेकंड हाफ भी अपना वहीं एक्‍साइटमेंट बनाए रखता है. सरप्राइज पैकेज हैं,निकिता।

निकिता ने एक अभिनेता के तौर पर अपनी ज़बरदस्त तरक्की दिखाई , जो कंटेंट और कमर्शियल सिनेमा दोनों की अभिनेत्री के रूप में अपनी क्षमता साबित करती हैं।

वह पहली बार सिद्धार्थ आनंद की दुनिया का हिस्सा बनी हैं और एक अभिनेत्री के तौर पर वह क्लासिक बॉलीवुड हीरोइन वाला फील लेकर आईं हैं। फराह के किरदार को बखूबी निभाया है। उन्होंने फिल्म में अपने अभिनय और एक्शन से दर्शकों का ध्यान खींचा है। हालांकि, उनके किरदार को बेहतर डायलॉग्स और कहानी मिलनी चाहिए थी। एक्शन और भावनात्मक दृश्य दोनों शामिल हैं। उन्होंने एक्शन दृश्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है और फिल्म में उनकी उपस्थिति काफी आकर्षक है।

सिद्दार्थ आनंद की कहानी सीधी और सरल है, लेकिन राइटर अनिषा रायसुराना और नील बलथाजर ने जिस तरह से उसे परतदार बनाया गया है उससे यह फिल्म एंगेजिंग हो गई है। समय-समय पर किरदारों के बारे में जानकारियाँ दी गई हैं जिससे फिल्म ज़्यादातर समय बाँध कर रखती है, जैसे,रेहान और राजन दोनों के साथ फराह का क्या कनेक्शन है। वह सब अपने कामों में इतने काबिल कैसे हैं? अतीत में क्या मिशन किए गए थे, इन घटनाक्रमों के सहारे कहानी को आगे बढ़ाया गया है।

अनिषा रायसुराना और नील बलथाजर ने स्क्रिप्ट में दो-तीन ऐसे उतार-चढ़ाव दिए हैं, जो दर्शकों को चौंकाते हैं। साथ ही मेन किरदारों एंट्री के लिए जो लंबी सिचुएशन बनाई गई है उससे कलाकारों का स्टारडम बढ़ जाता है और उस सिचुएशन में कोई बड़े स्टार की ज़रूरत महसूस होती है।

इंटरवल तक फिल्म तूफानी रफ़्तार से चलती है और क्लाइमैक्स तक धारदार रहती है। यहाँ पर कहानी में ट्रीटमेंट नई बात पेश कर जाती है। यह आला दर्जे की हाईस्ट फिल्म साबित होती है। चोरी वाले सीक्वसेंज में रोमांच पैदा करने की पूरी गुंजाइश थी, लेखक और निर्देशक वो प्रभाव पैदा कर पाए हैं।

निर्माता सिद्धार्थ आनंद का प्रस्तुतिकरण मिशन इम्पॉसिबल से लेकर केजीएफ तक इंस्पायर है। उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों से मिलते-जुलते दृश्य रखे हैं। थोड़े-थोड़े अंतराल में एक एक्शन सीन रख कर उन्होंने फिल्म को स्पीड दी है। सिद्धार्थ अपने हीरो-हीरोइन को बेहद खूबसूरती और स्टाइलिश तरीके से पेश करते हैं और यहां भी यह काम उन्होंने शानदार तरीके से किया है। निकिता बेहद आकर्षक लग ही हैं, सैफ और जयदीप की जुगलबंदी जोरदार बनी है।

सिनेमा के नाम पर सिद्धार्थ ने छूट खूब ली है और कुछ दृश्यों में सीमा भी पार कर गए हैं, लेकिन एक्शन सीन इतने स्टाइलिश हैं कि दर्शक इन बातों को इग्नोर कर सकते हैं। एक्शन दृश्यों में आधुनिक हथियारों के साथ कार, बाइक, हेलिकॉप्टर का शानदार इस्तेमाल है। इसे एक्शन फिल्म के रूप में डिजाइन किया गया है और ये इसकी यूएसपी भी है इसलिए इस जॉनर को पसंद करने वालों को यह फिल्म अच्छी लगती है।

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