क्या एमपी के ‘डीके’ बनेंगे जीतू पटवारी?,चुनाव से पहले दिखाई दी गुटबाजी

Jeetu Patwari DK Shivkumar

कहते हैं रोग पुराना हो जाए तो आसानी से पीछा नहीं छोड़ता। दवाएं भी असर करना कम कर देते हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस को भी गुटबाजी का रोग लगा है। जो पुराना हो चुका है।  कर्नाटक और राजस्थान की तरह ही मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस गुटों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं में बढ़ती आपसी बयानबाजी और गुटबाजी उसे चुनाव में नुकसान पहुंचा सकती है।

कांग्रेस में पहले थे तीन गुट

बता दें पहले भी एमपी में कांग्रेस के तीन बड़े गुट माने जाते थे। तब कमलनाथ के अलावा एमपी में कांग्रेस के दो और गुट माने जाते थे। इनमें एक गुट पूर्व कांग्रेसी ज्योतिरादित्य सिंधिया का और तीसरा गुट दिग्विजय सिंह का माना जाता था। हालांकि अब दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच सबकुछ ठीक माना जा रहा है। और सिंधिया कांग्रेस छोड़ चुके ​हैं। अब एक नया गुट अपना सिर उठाता दिखाई दे रहा है। इस गुट का नाम है जीतू पटवारी। दरअसल कांग्रेस के युवा तुर्क जीतू पटवारी और पूर्व सीएम कमलनाथ के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि पिछले दिनों एमपी चुनाव को लेकर कमलनाथ के साथ प्रदेश के बड़े नेता दिल्ली पहुंचे थे। वहीं राहुल गांधी के साथ एक बैठक होनी थी लेकिन, इस बैठक में जीतू पटवारी को नहीं बुलाया गया था। ऐसे में माना जा रहा है कि जीतू पटवारी और कमलनाथ के बीच दूरी बढ़ गई हैं।

अब कमलनाथ और जीतू पटवारी में बढ़ती दूरियां

ऐसे में कहा जा सकता है कि जीतू पटवारी और कमलनाथ के बीच ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के लिए दोनों को साथ लाना भी एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। हालांकि, कर्नाटक में भी कुछ इसी तरह के हालात थे, लेकिन कांग्रेस वहीं डीके शिवकुमार और सिद्धारमैय्या को एक मंच पर लाने में कामयाब रही थी और चुनाव में जीत दर्ज कर सरकार भी बनाई थी। इसी तरह के हालात एमपी कांग्रेस में नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी भले ही एमपी में 150 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं लेकिन, यहां कांग्रेस की राह आसान नहीं है। कांग्रेस को भाजपा से लड़ने के अलावा खुद के नेताओं को भी साथ लाना होगा। ऐसें में यह देखने वाली बात होगी की क्या जीतू पटवारी और कमलनाथ एक साथ चुनावी मंच पर आएंगे?

'डीके' की राह पर' जीतू'

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