देश भर में प्रसिद्ध है जयंती माता का ये मंदिर… महिषासुर वध के बाद मां दुर्गा ने किया था यहां विश्राम
मध्य प्रदेश के देवास और खंडवा जिले के घने जंगलों के बीच स्थित जयंती माता का मंदिर देश भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। खासतौर पर नवरात्रि पर तो भक्तों का जनसैलाब ही उमड़ पड़ता है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी ये खास रिपोर्ट।
- घने जंगल में आस्था का केन्द्र
- मंदिर में उमड़ रहा भक्तों का जनसैलाब
- स्वयंभू हैं यहां माता जयंती
- महिषासुर वध के बाद मां दुर्गा ने किया था विश्राम
- लव—कुश का भी यहीं हुआ था जन्म
- माता सीता ने ली थी इस स्थान पर समाधि
- 22 साल से लग रहा यहां भंडारा
देवास जिले के सतवास नगर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित है आस्था का जयंती माता मंदिर। जहां हजारों की संख्या में लोग मत्था टेकने पहुंचते हैं। ये सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था और इतिहास का वो संगम है। जहां लोगों की कई मान्यता जुड़ी है। कहा जाता है माता सीता ने इसी स्थान पर समाधि ली थी। यही वो जगह है जहां लव ओर कुश का जन्म भी हुआ था। मंदिर के पुजारी पंडित बताते हैं कि यहां देवी स्वयंभू हैं। यानी माता खुद प्रकट हुईं हैं। ऐसी मान्यता है कि महिषासुर वध के बाद मां दुर्गा ने यहां विश्राम किया था। इसलिए इन्हें जयंती माता’कहा जाता है।
जयंती माता के मंदिर में रोजाना पांच हजार से लेकर छे हजार लोग दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पास खाड़ी नदी और कनेरी नदी का संगम स्थल है। वहीं पास ही एक सुंदर झरना भी स्थित है, जो गर्मियों में पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां 22 साल से लगातार भंडारा भी आयोजित किया जा रहा है। जिसमें सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक भक्तों को भोजन कराया जाता है। यह आयोजन श्रद्धालुओं के सहयोग से निरंतर जारी है।
हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि के दौरान यहां देवी भागवत कथा और प्रवचन कराये जा रहे हैंं। जिससे भक्तों को आध्यात्मिक शांति के साथ एक विशेष तरह का अनुभव होता है। कथा वाचक आचार्य कृपा शंकर बताते हैं कि वे पिछले 11 साल से मंदिर से जुड़े हैं। यहां की धार्मिक गतिविधियां भक्तों की आस्था को और भी मजबूत करती हैं। अगर आप भी आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव के साथ दर्शन करना चाहते हैं तो जयंती माता मंदिर जरूर जाएं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से प्रार्थना करने पर मां सभी मनोकामनाएं पूरी करतीं हैं।