जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से घोषणा पत्र जारी कर दिया गया है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी की घुसपैठ को भी अपने घोषणा पत्र में मुद्दा बनाया है। बीजेपी ने मेनिफेस्टो में कहा है कि पार्टी की सरकार बनने पर जम्मू-कश्मीर में अवैध रुप से रहने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशी बस्तियों से निपटने के लिए सख्त अभियान चलायेगी।
- जम्मू की 43 सीट पर हावी रोहिंग्या मुद्दा
- बदल सकते हैं 43 सीट पर चुनावी समीकरण
- जम्मू क्षेत्र में रहती है सबसे अधिक हिंदुओं की आबादी
- बीजेपी यहां पहले से ही मजबूत स्थिति में नजर आ रही है
- नए परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में हुई 90 विधानसभा सीट
- जम्मू संभाग क्षेत्र में विधानसभा की 43 सीट
- परिसीमन से पहले 37 हुआ करती थी
- परिसीमन से पहले कश्मीर संभाग में थी 46 सीट
- परिसीमन के बाद अब बढ़कर 47 हो गई हैं
- जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत
बता दें बीजेपी की इस घोषणा से केंद्र शासित इस प्रदेश की करीब 43 विधानसभा सीटों पर सियासी समीकरण बदल सकते हैं। वो भी खासकर जम्मू क्षेत्र में शामिल सीटों के समीकरण बल सकते हैं। क्योंकि जम्मू ही वह क्षेत्र है जहां हिंदुओं की आबादी सबसे ज्यादा है। बीजेपी यहां पहले से ही मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।
दरअसल नए परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 90 हो गई है। केवल जम्मू संभाग क्षेत्र की ही की बात की जाए तो यहां विधानसभा सीटों की संख्या 43 पर पहुंच चुकी है। जबकि परिसीमन से पहले यह सीटों की संख्या 37 हुआ करती थी। इसी तरह से कश्मीर संभाग में पहले जहां 46 सीट हुआ थी जो अब बढ़कर 47 हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए विधानसभा की 46 सीटों की जरूरत है।
क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े?
साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी करीब 53 लाख 78 हजार 538 है। जिसमें हिंदुओं की आबादी करीब 67.05 प्रतिशत है। वहीं मुस्लिमों की आबादी करीब 30 फीसदी है। जबकि सिख 2 प्रतिशित, ईसाइ 0.3 प्रतिशत हैं जबकि अन्य दूसरे वर्ग की जातियों की आबादी 0.2 फीसदी के आसपास है।
जम्मू संभाग वह क्षेत्र है जहां बीजेपी की पकड़ दूसरी पार्टियों की अपेक्षा में काफी मजबूत स्थिि में है। लिहाजा जम्मू में शुरु से ही विधानसभा चुनाव में बीजेपी का जम्मू क्षेत्र की सीटों पर ज्यादा फोकस रहा है।
पिछली बार 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में 87 सीट के परिणाम सामने आए थे। उस समय जम्मू संभाग की 37 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 25 सीट पर जीत मिली थीं जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस 3, पीडीपी 3 और कांग्रेस ने 5 सीट तो एक सीट अन्य के खाते में गई थी।
इसी तरह से लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने जम्मू संभाग की दो सीटों पर जीत का परचम लहराया था। बीजेपी के जुगल किशोर शर्मा ने जम्मू लोकसभा सीट पर तो डॉ.जितेंद्र सिंह उधमपुर सीट पर चुनाव जीते थे। कश्मीर संभाग की तीन लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने चुनाव मैदान में अपने प्रत्याशी नहीं उतरे थे।
लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू क्षेत्र में शामिल 37 में 29 विधानसभा सीटों में बीजेपी को बढ़त हासिल हुई थी। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी पार्टी ने 24 सीटों पर बढ़त हासिल की थी। इसका साफ मतलब है कि क्षेत्र में दिन प्रति दिन बीजेपी का जम्मू संभाग में जनाधार मजबूत हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर में 6 हजार से अधिक रोहिंग्या
गृह विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में 6 हजार के आसपास रोहिंग्या अवैध तरीके से रह रहे हैं। गृह विभाग ने साल 2018 में यह डेटा जारी किया था। जिसमें बताया गया था कि राज्य में रोहिंग्याओं की तादात करीब 6 हजार 523 है। जो पांच जिलों में बने करीब 39 शिविर में डेरा डाले हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि उस समय इन शिविर में से करीब 3 हजार के आसपास रोहिंग्या जम्मू क्षेत्र में रहते थे, जो अब करीब पांच साल का समय बीतने के बाद इनकी संख्या बढ़कर करीब 10 हजार के पार होने की संभावना जताई जा रही है।
ऐसे में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या की आबादी करीब 10 हजार पार करने की संभावना है।
ऐसे बदल सकते हैं चुनावी समीकरण?
जम्मू संभाग क्षेत्र में रहने वाली हिंदू आबादी रोहिंग्याओं का प्रारंभ से विरोध करती आ रही है। यहां के हिन्दुओं का मानना है कि आने वाले समय में रोहिंग्या उनके लिए किसी तरह की बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकते है। खासतौर पर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर आशंका खड़ी हो रही है। अब बीजेपी ने अपने चुनावी मेनिफेस्टो में यह बता दिया है कि वो इस मुद्दे को लेकर जम्मू के हिन्दुओं के साथ खड़ी है। इस तरह से बीजेपी इस मुद्दे के जरिए जम्मू क्षेत्र की करीब 43 विधानसभा सीटों पर सियासी समीकरण सेट करने की कोशिश में जुट गई है। हालांकि उसे इस मुद्दे का चुनाव में कितना लाभ मिलता है यह 8 अक्टूबर को सामने आने वाले चुनाव परिणाम ही बताएंगे।