आमचुनाव 2024 के कार्यक्रम को ऐलान होने से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा देना कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। गायल का कार्यकाल 5 दिसंबर 2027 तक था। वे फरवरी 2025 में राजीव कुमार के रिटायर होने के बाद देश के मुख्य चुनाव आयुक्त यानी CEC बनने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार अरुण गोयल का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। लेकिन अब तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन्होंने आखिर इस्तीफा क्यों दिया है।
- चुनाव आयुक्त के पद से अरुण गोयल का इस्तीफा
- गोयल बनने वाले थे अगले साल CEC
- कांग्रेस का सवाल क्या लड़ने जा रहे हैं लोकसभा चुनाव?
- 1985 बैच पंजाब कैडर के आईएएस रहे हैं अरुण गोयल
- केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव पद से हुए थे सेवानिवृत्त
- नवंबर 2022 में चुनाव आयोग में हुए थे शामिल
- 18 नवंबर 2022 को ले ली थी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति
- 19 नवंबर 2022 को उन्हें किया था था चुनाव आयुक्त नियुक्त
- अरुण गोयल का इस्तीफा
- अनूप चंद्र पांडेय रिटायर
- चुनाव कार्यक्रम का क्या अकेले ऐलान करेंगे CEC राजीव कुमार
इसी साल फरवरी में अनूप चंद्र पांडे सेवानिवृत्ति हो गए थे। इसके बाद अब अरुण गोयल ने भी इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में अब केवल एक सदस्ययानी मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं। 1985 बैच पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी रहे अरुण गोयल को 37 वर्षों से अधिक की सेवा के बाद भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्हें नवंबर 2022 में चुनाव आयोग में शामिल किया गया था। बता दें उन्होंने 18 नवंबर 2022 को व्हीआरएस लिया था और इसके अगले ही दिन यानी 19 नवंबर 2022 को उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति पर भी विवाद छिड़ गया था। और अब पद इस इस्तीफा देने के बाद भी कांग्रेस उन पर सवाल उठा रही है।
कांग्रेस ने उठाए ये तीन सवाल
चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने अरुण गोयल को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा अरुण गोयल का चुनाव आयुक्त के पद से इस तरह अचानक इस्तीफा देना तीन सवाल खड़े करता है।
पहला सवाल यह है कि क्या गोयल ने वास्तव में मुख्य चुनाव आयुक्त या केन्द्र की मोदी सरकार के साथ मतभेद के चलते इस्तीफा दिया है। जयराम रमेश ने कहा जो सभी स्वतंत्र संस्थानों के लिए काम करती है?
दूसरा सवाल ये है कि क्या अरुण गोयल ने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है?
और तीसरा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या गोयल ने कुछ दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव 2024 के मैदान में उतरने के लिए इस्तीफा दिया है।
लोकतांत्रिक संस्थानों को दे रहे हर दिन झटका
पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा चुनाव आयोग ने आठ माह से मतदाता सूची वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT के मुद्दे पर सियासी दलों से मिलने से इनकार कर दिया था। जो EVM को रोकने के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत में हर गुजरता दिन लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों पर एक बड़ा झटका दे रहा है।
खड़गे बोले- ऐसे तो तानाशाही कर लेगी लोकतंत्र पर कब्जा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर केन्द्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि इस चुनाव आयोग कहें या चुनाव चूक? अब भारत में केवल एक चुनाव आयुक्त रह गये हैं। जबकि आने वाले कुछ ही दिनों में देश में लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की घोषणा होनी है। खड़गे ने कहा अगर स्वतंत्र संस्थानों का इस तरह विनाश नहीं रोका गया तो आने वाले समय मं तानाशाही की ओर से लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा।