हमास के साथ पिछले 9 महीने से चली आ रही जंग के बीच इजरायल को एक बड़ी कामयाबी मिली है। इजरायल ने हमास के चीफ इस्माइल हानिया को ईरान के अंदर मार गिराया है। इजरायल के लड़ाकों ने राजधानी तेहरान में जिस घर में इस्माइल हानिया ठहरा हुआ था उसे ही उड़ा दिया है। जिसमें हानिया भी मौत की नींद सो गया।
- इजरायल ने लिया 7 अक्टूबर के खूनखराबे का बदला
- तेहरान में हमास चीफ इस्माइल हानिया को मारा, घर के साथ उड़ा डाला
- हमास के साथ 9 महीने से चल रही जंग
- जंग में इजरायल को अब मिली बड़ी कामयाबी
- आसान नहीं था ईरान में हमास चीफ इस्माइल हानिया को मारना
- इस्माइल हनिया शूरा काउंसिल का टॉप लीडर था
- इजरायल ने तेहरान में जिस घर में छुपा था हानिया उस घर को ही उड़ा दिया
हानिया को उड़ाकर लिया 1200 लोगों की मौत का बदला
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाकों ने इजरायल पर हमला करते हुए 1200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। जबकि 250 से अधिक लोगों को उसने बंधक बनाया था। इस हमले के बाद से ही हमास के टॉप नेताओं पर इजरायल की नजर थी, वह उसके के निशाने पर थे। इस तरह इजरायल ने इस तरह पिछले साल 7 अक्टूबर को हुए खून-खराबे का बदला पूरा कर लिया है। खास और चौंकाने देने वाली बात यह है कि हानिया को फिलिस्तीन, कतर या गाजा में नहीं बल्कि राजधानी तेहरान में मारा है। हमास की ओर से खुद इस संबंध में बयान जारी कर अपने चीफ की मौत की पुष्टि की गई है।
हमास ने की चीफ की मौत की पुष्टि कहा- भुगतना होगा अंजाम
वहीं हमास की ओर से भी अपने चीफ हानिया की मौत पर प्रतिक्रिया दी गई है। हानिया की मौत पर हमास आग बबूला हो गया है। उसने इजरायल को अंजाम भुगतने की धमकी दे डाली है। हमास की ओर से संगठन चीफ हानिया को इस तरह मारना कायरतापूर्ण कृत्य बताया है। हमास की ओर से कहा गया है कि इस हमले के पीछे इजरायल का हाथ है और हानिया की मौत अब बेकार नहीं जाएगी। हमास से जुड़े शेहब न्यूज लेटर आउटलेट ने हमास के एक अधिकारी मौसा अबू मरजौक के हवाले से बताया कि हमास अपने संगठन प्रमुख की इस तरह हत्या को कायरतापूर्ण कृत्य बता रहा है। इतना ही नहीं हमास की ओर से यह भी कहा कि इस्माइल हानिया की मौत को वे बेकार नहीं जाने देंगे। हमास की ओर से इस हमले का बदला लेने की धमकी दी गई है। वहीं ईरान ने भी हमले के बाद आपात बैठक बुलाई है।
कौन था हानिया
इस्माइल हनिया ने साल 2006-07 में फिलिस्तीनी प्राधिकरण पीए के प्रधानमंत्री के रुप में काम किया था। साल 2017 में खालिद मेशाल की जगह हानिया को हमास के राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख के रूप में चुना गया। बता दें हमास का नेतृत्व मिलने के बाद इस्माइल हानिया ने दिसंबर 2019 में गाजा पट्टी को छोड़ दिया था। उधर हमास की सर्वोच्च इकाई शूरा परिषद ने भी साल 2021 में इस्माइल हानिया को दोबारा अगले चार साल के लिए निर्विरोध चुन लिया गया। इस्माइल हानिया को हमास में चुनौती देने वाला कोई दूसरा बड़ा नेता नहीं था।
शरणार्थी शिविर लिया जन्म
बताया जाता है कि इस्माइल हानिया का जन्म साल 1962 में गाजा के एक शरणार्थी शिविर में हुआ था। जहां संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी की ओर से संचालित स्कूल में हानिया की प्रारंभिक शिक्षा पूरी हुई थी। साल 1981 में इस्माइल हनिया ने गाजा के इस्लामिक विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। इस्लामिक विश्वविद्यालय से हानिया ने अरबी साहित्य का अध्ययन पूरा किया। इस्माइल हानिया छात्र राजनीति के समय से ही सक्रिय था। इसके साथ ही इस्माइल हानिया ने मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े एक इस्लामिक छात्र संगठन का भी नेतृत्व किया था। साल 1989 में इजराइल की ओर से इस्माइल हानिया को तीन साल के लिए कैद की सजा सुनाई गई। इसके बाद हानिया को हमास के कई दूसरे नेताओं के साथ मार्ज-अल-ज़ुहुर निर्वासित कर दिया गया था। मार्ज अल जुहूर का यह स्थान इजराइल और लेबनान के बीच एक नो-मेंस लैंड की तरह है। यहां हानिया करीब एक साल तक रहा। अपना निर्वासन पूरा करने के बाद इस्माइल हानिया वापस गाजा लौटा तो उसे साल 1997 में शेख अहमद यासीन के कार्यालय का प्रमुख नियुक्त किया गया था। जो हमास आंदोलन के आध्यात्मिक नेता थे। इसके बाद साल 2003 में इजरायल की ओर से शेख अहमद यासिन और इस्माइल हानिया दोनों की हत्या का असफल प्रयास किया गया। हालांकि इस प्रयास के कुछ ही महीनों बाद शेख अहमद यासीन को मार दिया गया था। हानिया साल 2019 से गाजा पट्टी छोड़कर कतर में रह रहा था।
प्रकाश कुमार पांडेय