ईरान में चल रहे हिजाब विरोधी आंदोलन को दबाना ईरान को भारी पड़ गया। संयुक्त राष्ट्र ने उसे महिला आयोग यानी UNCSW से बाहर कर दिया है। ईरान इसी साल UNCSW का सदस्य बना था। उसका कार्यकाल 2026 तक का था लेकिन उसे बीच में ही सदस्य देशों ने बहुमत के आधार पर इस महत्वपूर्ण संस्था से बाहर कर दिया। इस मसले पर हुई वोटिंग के दौरान भारत ने तटस्थता अपनाई और वोटिंग से बाहर रहा।
- ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन
- आंदोलन दबाने से UN खफा
- ईरान को किया CSW से बाहर
- अमेरिका ने दिया था ईरान के खिलाफ प्रस्ताव
- 54 देश हैं UNCSW के सदस्य
- भारत सहित 16 देश रहे वोटिंग से गैर हाजिर
- प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भारत रहा तटस्थ
ईरान में चल रहे हिजाब के खिलाफ देश भर में आंदोलन करते हुए महिलाएं सड़क पर उतर आई हैं। आंदोलन को दबाने के लिए ईरान की सरकार ने सख्त कदम उठाए। इस कार्रवाई के दौरान महिलाओं समेत कई पुरुष पुलिस की गोली से मारे जा चुके हैं। इस एक्शन पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए अमेरिका ने ईरान को संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग से हटाने का प्रस्ताव दिया। जिस पर 54 सदस्यीय UNCSW में बुधवार को वोटिंग हुई। वोटिंग में 29 देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में वोट डाला तो वहीं रूस ओर चीन समेत 8 देशों ने इस प्रस्ताव को पुरजोर तरीके से विरोध किया और विरोध में वोटिंग की। जबकि भारत समेत 16 देश ऐसे थे जो इस वोटिंग से गैर.हाजिर रहे। भारत ने इस मसले पर तटस्थता की नीति अपनाई। ऐसे में प्रस्ताव बहुमत के आधार पर पारित कर दिया गया और ईरान को यूएन की इस महत्वपूर्ण संस्था से बाहर बाहर कर दिया गया। बता दें ईरान इसी साल UNCSW का सदस्य बना था।
ईरान का दावा- अमेरिका में भी हो रहीं नस्लवादी हरकत
ईरान ने संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग की सदस्यता बरकरार रखने के लिए पुरजोर तरीके से आवाज उठाई उसके प्रतिनिधियों ने अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा अमेरिका और उसके साझीदार देश खुद अपने मुल्कों में अल्पसंख्यकों खासकर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ नस्लवादी हरकतें कर रहे हैं। वहीं ईरान जैसे देशों में अराजकता फैलाने की कोशिश की जा रही है। वहीं अमेरिका के प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव के समर्थन में कहा कि जिस देश में महिलाओं को हिजाब के नाम पर गोली मारी जा रही हों उसे संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग में रहने का अधिकार नहीं। इन जैसे देशों के इस संस्था में रहने से उसकी महत्ता कम होती है। ईरान की सदस्यता संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग की प्रतिष्ठा कम होती है। ऐसे में तुरंत उसकी सदस्यता खत्म कर उसे बाहर कर देना अच्छा होगा।
इसलिए हो रहा ईरान में प्रदर्शन
दरअसल ईरान में हिजाब को लेकर सख्त कानून हैं। हाल ही में वहां महसा अमीन नाम की एक महिला सिर को पूरी तरह ढंके बिना हिजाब पहनकर जाने पर ईरानी पुलिस ने पकड़कर बहुत मारा था। इसके बाद महसा अमीन की मौत हो गई। जिसके ईरान में लोग भड़क गए खासकर महिलाएं लगातार अपना विरोध प्रदर्शन कर रहीहैं। इन प्रदर्शनों को दबाने के लिए ईरानी सरकार लगातार बल प्रयोग का सहारा ले रही है। जिसमें अब तक कई लोग मारे जा चुके हैं।
हिजाब पर पश्चिमी देशों के साथ नहीं भारत
चीन और उसकी विस्तारवादी नीति से निपटने के लिए भारत भले ही अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों से दोस्ती बढ़ा रहा हो लेकिन अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता उसे गंवारा नहीं। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में मसले पर भारत कई बार अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का इजहार कर चुके है। अबकी बार ईरान के मामले में भारत ने पश्चिमी देशों का साथ नहीं दिया और संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग की बैठक से अनुपस्थित हो गया।
ईरान से निभाई भारत ने दोस्ती
बता दें ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन के दौरान महिलाओं समेत कई पुरुष पुलिस की गोली से मारे जा चुके हैं इस एक्शन पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए अमेरिका ने यूएन में प्रस्ताव दिया था। जिसमें ईरान को संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई थी। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग में 45 देशों का चयन किया जाता है। यह चयन संयुक्त राष्ट्र आर्थिक सामाजिक परिषद चार के लिए करती है। इसके अलावा कुछ अन्य और संस्था भी इस आयोग के पदेन सदस्य होते हैं। ईरान को इसी साल इस आयोग की सदस्यता हासिल हुई थी। उसका कार्यकाल साल 2026 तक था लेकिन उसे बीच में ही सदस्य देशों ने बहुमत के आधार पर संस्था से बाहर कर दिया।
पीएम मोदी चाहते हैं बेहतर संबंध
ईरान के साथ भारत के काफी पुराने संबंध हैं। दोनों देशों के बीच आधिकारिक रूप से राजनयिक संबंध 15 मार्च 1950 में कायम हुए थे। पीएम मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं। भारत की तरफ से न सिर्फ वीजा नीति को बदला गया है बल्कि निवेश को भी बढ़ाया गया है। बता दें इसी साल जून में जब ईरान के विदेश मंत्री आमिर अब्दुल्लायीन भारत आए तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। वैसे पीएम मोदी से हर एक देश का विदेश मंत्री नहीं मिल पाता। लेकिन ईरान के विदेश मंत्री को उन्होंने इनकार नहीं किया था।