भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी दो दिन की रूस यात्रा से लौट आए हैं। विदेश मंत्री की इस यात्रा को बहुत महत्तवपूर्ण माना जा रहा है। इसकी कई सारी वजहें हैं।
क्यों महत्तवपूर्ण मानी गई यात्रा
विदेश मंत्री एस जयशंकर की ये यात्रा रूस और यूक्रेन के युद्द के बाद किसी विदेश मंत्री की पहली यात्रा है वहीं इस यात्रा के एक हफ्ते बाद इंडोनेशिया के बाली में जी 20 देशों की बैठक है। इस शिखर वार्ता में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्द को लेकर विस्तृत चर्चा हो सकती है। ऐसे में भारत के विदेश मंत्री का रूस जाना कई तरह के कूटनीतिक संकेत देता है।
क्या है जी 20 की चुनौतियां
जी 20 शिखर सम्मेलन मे विश्व के 19 बड़े देश हिस्सा लेते हैं। जो विश्व की अर्थव्यवस्था में बड़ा महत्तव रखते हैं। ऐसे में जी 20 की शिखर सम्मेलन में रूस और अमेरिका दोनों के राष्ट्रपति को बुलाया गया है। अमेरिका पहले ही रूस के राष्ट्रपति के बुलाने पर आपत्ति दर्ज करा चुका है। अमेरिका का कहना है कि वो रूस के राष्ट्रपति के भाषण का विरोध करेगा। वहीं ऐसे मौके पर भारत के विदेश मंत्री का रूस जाना कई मायनों में वैश्विक मंच में भारत की भूमिका को और महत्तवपूर्ण करेगा। क्योंकि वैश्विक मंच पर भारत रूस और अमेरिका दोनों के लिए भारत का रूख क्या होगा और दुनिया की नजरें इस बात पर भी होंगी कि आखिर भारत किस तरह अपने कूटनीतिक संबंधो को आगे बढ़ाता है।
भारत और रूस के आपसी संबंध बहुत अच्छे
भारत और रूस के आपसी संबंध पहले से ही बहुत बेहतर है। भारत और रूस के संबंध पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक एक जैसे है।
भारत की आजादी के बाद भारत पाकिस्तान के बीच शांति समझौता हुआ जिसे सब ताशकंद समझौते के नाम से जानते है। इस समझौते के लिए भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खां के बीच बातचीत रूस में ही हुई और समझौते पर हस्ताक्षर ताशकंद में ही हुआ।
युद्द नहीं करने की सलाह दी प्रधानमंत्री मोदी ने
भारत और रूस के संबंध बहुत प्रगाढ़ हैं, विश्व पटल पर ये बात पहले ही आ चुकी है। भारत और रूस के बीच संबंध अच्छे होने के साथ साथ बराबरी की हैसियत के भी हैं। यही कारण है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन को युद्द नहीं करने की सबसे पहले सलाह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी। मोदी ने पुतिन से कहा कि युद्द किसी समस्या का हल नहीं है। पुतिन को युद्द नहीं करने की सलाह देने वाले मोदी विश्व के अकेले प्रधानमंत्री रहे।
जरूरत पर एक दूसरे की मदद
भारत और रूस जरूरत पड़ने पऱ एक दूसरे की मदद करते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच समझौतों में रूस मध्यस्थता करता है। भारत औऱ चीन के बीच के संबंधो को भी रूस बेहतर तरीके से समझता है। दोनों देश एक दूसरे की जरूरत पर साथ खड़े होते हैं। जब जब रूस को आर्थिक तौर पर मदद की जरूरत पड़ी भारत हमेशा साथ खड़ा रहा। पूरे यूरोपिय देशों के विरोध खासकर अमेरिका के विरोध के बाद भी भारत रूस से तेल ले रहा है। आज भारत में तेल का आयात अपने उच्चतम स्तर तक पंहुच चुका है। भारत ने रूस से मिसाइल भी ले रहा है। एस 400 मिसाइल जो भारत की चीन की सीमाओं पर रक्षा करेगी। ये मिसाइल आसानी से मिसाइल डिडेक्ट भी कर सकती है और उसे खत्म भी कर सकती है।