भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का स्वास्थ्य इन दिनों गड़बड़ चल रहा है। दिल्ली के एम्स में उन्हें भर्ती किया गया है। बता दे उन्हें उम्र संबंधी तकलीफ होने के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया है। पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि आडवाणी को एम्स में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।
- बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं लालकृष्ण आडवाणी
- 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था जन्म
- 12 सितंबर 1947 को पाकिस्तान छोड़ भारत आ गए थे आडवाणी
- आडवाणी की एक बेटी प्रतिभा आडवाणी और एक बेटा जयंत आडवाणी है
- राजनीति से दूर रहते हैं आडवाणी के दोनों ही बेटा और बेटी
बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था। आडवाणी ने एक इंटरव्यू में यह बात का कहीं भी थी कि उन्होंने 12 सितंबर 1947 को पाकिस्तान छोड़ दिया था। उनके आने के एक महीने बाद उनका पूरा परिवार भारत आ गया था। बता दे एलके आडवाणी की एक बेटी प्रतिभा आडवाणी और एक बेटा जयंत आडवाणी है आडवाणी के दोनों ही बेटा और बेटी राजनीति से दूर रहते हैं।
हाल ही में लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके आवास पर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया था। इस दौरान आडवाणी के घर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ और पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। जब आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया था। उसे समय उनके परिवार से मिलने की नरेंद्र मोदी पहुंचे थे। इसके बाद आडवाणी के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने उनके आवास पर जाकर ही उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया था।
29 जून 2002 को बने थे उप प्रधानमंत्री
लालकृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक है राजनीति में आडवाणी का योगदान सर्वप्रिय देश की राजनीति में कांग्रेस के सामने बीजेपी को मजबूती के साथ खड़ा करने में आडवाणी का योगदान बीजेपी नेता भूल नहीं सकते। आडवाणी कई बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी रहे। जनवरी 2009 में एनडीए लोकसभा चुनाव को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ा था। जीत होने पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की घोषणा की थी। लेकिन वह पीएम इन वेटिंग ही बने रहे। एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि उसे चुनाव में बीजेपी एक मजबूत विपक्ष के रूप में सदन में पहुंची थी। जहां से 2014 के आम चुनाव में पहली बार बीजेपी प्रचंड और पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सरकार बनाने में सफल रही।
लालकृष्ण आडवाणी को राजनीति का लोह पुरुष कहा जाता है। जिन्होंने अपने फौलादी इरादों का परिचय देश को कई बार कराया अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया। उसका योगदान आज भी भाजपा नेता उन्हें देते हैं। आडवाणी को बीजेपी का आधार भी कहा जाता है। जिन्होंने कई बड़े राजनीतिक संकटों से पार्टी को बाहर निकलने में भूमिका निभाई।
कराची से गांधीनगर तक का सफर
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था। 25 फरवरी 1965 में आडवाणी के साथ विवाह रचाया। लाहौर में अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। अपनी पढ़ाई के दौरान ही आडवाणी राजनीति में सक्रिय रहने लगे थे। साल 1951 में जब डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर 1957 तक आडवाणी जनसंघ के सचिव रहे। साल 1973 से लेकर 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का जिम्मा भी संभाला। साल 1980 में आडवाणी ने बीजेपी की स्थापना के बाद से 1986 तक सचिव पद पर रहे। 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी संभली। आडवाणी कुल तीन बार बीजेपी के अध्यक्ष रहे। आडवाणी चार बार राज्यसभा चुने गए जबकि पांच बार लोकसभा के सांसद भी रहे। साल 1977 से लेकर 1979 तक पहली बार केंद्र सरकार में मंत्री की हैसियत से काम किया। आडवाणी इस दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे। आडवाणी ने अब तक राजनीति के जीवन में सट्टा का सर्वोच्च पद संभाला है वह है एनडीए शासन के दौरान उप प्रधानमंत्री का पद। लालकृष्ण आडवाणी साल 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में केंद्रीय गृहमंत्री बने। फिर इसी सरकार में 29 जून 2002 को उप प्रधानमंत्री का दायित्व उन्हें सौंपा गया था।