क्या कांग्रेस को मिलेगी उसकी खोई हुई जमीन?

भारत जोड़ो यात्रा

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का महाराष्ट्र में प्रवेश

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा लगातार आगे बढ़ रही है। एक विश्राम के बाद शनिवार को तेलंगाना के मेडक से यात्रा फिर प्रारंभ हुई। अब ये यात्रा महाराष्ट्र में प्रवेश कर रही है। ये महत्वपूर्ण समय है। क्योंकि महाराष्ट्र महत्वपूर्ण राज्य है। यहां से भारत जोड़ो यात्रा हिन्दी भाषी राज्यों में प्रवेश करेगी। महाराष्ट्र दक्षिण भारत और उत्तर भारत को जोड़ता है। महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों घमासन मचा हुआ है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे नेता इस यात्रा का स्वागत करते दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महाराष्ट्र में यात्रा को उतना ही इंपेक्ट डालेगी जितना दक्षिण भारत के राज्यों में देखने को मिला था। इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा। महाराष्ट्र की अपनी सियासत है, भारत जोड़ो यात्रा और महाराष्ट्र की सियासत का मेल देखने को मिलेगा।

महाराष्ट्र में 14 दिन गुजारेंगे राहुल गांधी

भारत जोड़ो यात्रा शुक्रवार को विश्राम के बाद शनिवार को तेलंगाना के मेडक से दोबारा प्रारंभ हुई। यात्रा तेलंगाना में 19 विधानसभा और 7 संसदीय क्षेत्रों से गुजरते हुए अब महाराष्ट्र में प्रवेश कर रही है। इससे पहले 375 किमी की दूरी तय की। वायनाड के सांसद दक्षिणी राज्य में पार्टी के प्रचार के दौरान खेल व्यवसाय और मनोरंजन क्षेत्रों की हस्तियों सहित विभिन्न समुदायों के बुद्धिजीवियों व नेताओं से मिलते दिखाई दिये। राहुल गांधी की अगुवाई में निकाली जा रही कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सात नवंबर यानी सोमवार की रात रात करीब 9 बजे पड़ोसी राज्य तेलंगाना से महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में प्रवेश करेगी। जनता से जुड़ने की कांग्रेस की कोशिश के तहत निकाली जा रही यह यात्रा महाराष्ट्र में 14 दिन भ्रमण करेगी और इस दौरान 15 विधानसभा के साथ छह संसदीय क्षेत्रों से होकर यात्रा गुजरेगी। वहीं राहुल गांधी 10 और 18 नवंबर को राज्य में दो रैलियों को संबोधित कर सकते हैं।

यात्रा का 61वां दिन

तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू हुई यात्रा ने सोमवार को 61वें दिन में प्रवेश किया। कांग्रेस के अनुसार तेलंगाना के कामारेड्डी से यह यात्रा रात करीब 9 बजे महाराष्ट्र में नांदेड़ जिले के देगलुर में प्रवेश करेगी। पार्टी ने कहा कांग्रेस की राज्य इकाई ने देगलुर के कलामंदिर में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास यात्रा के प्रतिभागियों के लिए स्वागत समारोह करने की योजना बनाई है।

नांदेड़ और शेगांव में रैली को संबोधित करेंगे राहुल गांधी

राहुल गांधी यात्रा के दौरान महाराष्ट्र में दो रैलियों को संबोधित करेंगे। उनकी पहली रैली गुरुवार 10 नवंबर को नांदेड़ जिले में और दूसरी रैली आठ दिन बाद 18 नवंबर को बुल्ढाणा जिले के शेगांव में होगी। यात्रा महाराष्ट्र के पांच जिलों में 382 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यात्रा 20 नवंबर को मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगी। महाराष्ट्र में यात्रा नांदेड़ जिले में पांच दिन रहेगी। वहां से 11 नवंबर को हिंगोली जिले में प्रवेश करेगी जबकि 15 नवंबर को वह वाशिम जिले में पहुंचेंगे। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यात्रा का लक्ष्य संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा है। पिछले 8 साल में देश ने भ्रष्टाचार, डर और भूख बेरोजगारी का सामना किया है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले का कहना है, देश को परेशान करने वाले मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच आमने सामने के बहस होना चाहिए। पटोले ने कहा कांग्रेस की यात्रा राजनीतिक नहीं है। इसका लक्ष्य देश को परेशान कर रहे मुद्दों को सामने लाना है। कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने हमसे संपर्क किया है और कहा कि वे यात्रा का समर्थन करते हैं लेकिन सामने नहीं आएंगे।

शरद पवार और उद्धव ठाकरे को भी न्यौता

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को भी न्योत दिया है। पटोले ने कहा कि कांग्रेस ने दोनों नेताओं को न्योता भेजा है। यात्रा में वे हिस्सा लेंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दिन में कहा था कि यात्रा में विभिन्न क्षेत्रों के 100 से ज्यादा प्रतिष्ठित लोग हिस्सा लेंगे।

हिन्दी भाषी राज्यों में राहुल की परीक्षा

सियासी समीकरण पर नजर डाली जाए तो राहुल गांधी का असली परीक्षा यात्रा के हिन्दी भाषा राज्यों में होगी। जब वो ऐसे प्रदेशों में होंगे जहां कांग्रेस की स्थिति कमजोर है। उसमें सबसे पहला प्रदेश महाराष्ट्र का नाम है। यहां कांग्रेस का आधार बहुत हद तक खो चुका है। वहीं राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है लेकिन पार्टी में चल रही आपसी खींचतान से उन्हें इस यात्रा के सियासी गर्म थपेड़ों से जूझना होगा। मध्यप्रदेश में भी गुटों के चलते पार्टी की हालत इतनी ताकतवर स्थिति में नहीं है कि वो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आसानी से पटखनी दे सके। ऐसे में ये कह सकते हैं कि इस यात्रा में राहुल की असली परीक्षा का समय आ गया है। हिंदी भाषी राज्यों में अगर वे अपनी इस यात्रा से लोगों को आकर्षित करके कांग्रेस के पक्ष में नहीं ला पायेए तो फिर ये बहस ही बेमानी बन जाती है कि वे पीएम मोदी को कैसे टक्कर दे पायेंगे।

नजर 321 लोकसभा सीटों पर

दो महिने पहले 7 सितंबर को भारत जोड़ा यात्रा जब प्रारंभ तब से ही कांग्रेस यह कह रहे हैं कि यात्रा राजनीतिक नहीं है। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस की ये यात्रा साफ बता रही है कि इसके जरिए 321 लोकसभा सीटें कांग्रेस और राहुल गांधी के टारगेट पर हैं। कन्याकुमारी से शुरू हुई ये पदयात्रा दक्षिण के बाद अब  हिन्दी भोषी राज्यों में पहुंचने वाली है। महाराष्ट्र के नांदेड़ और जलगांव से ये मध्य प्रदेश के इंदौर और फिर राजस्थान के कुछ ज़िलों में पहुंचेगी। आखिर में उत्तर प्रदेशए दिल्लीए हरियाणा और पंजाब से होती हुई यात्रा  श्रीनगर तक जाएगी। और इस तरह इस पदयात्रा में 12 राज्य कवर होंगे। ये वो 12 राज्य हैं, जहां लोकसभा की कुल 321 लोक सभा सीटें हैं, जिन पर कांग्रेस की नजर है।

विपक्ष को संदेश देने की कोशिश

देश में बाकी विपक्ष को भी कांग्रेस ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि बग़ैर कांग्रेस मोदी सरकार से टक्कर नहीं ली जा सकती। इसके अलावा कांग्रेस जिस तरह से राहुल गांधी को आगे कर रही है। इससे भी ये साफ दिख रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस विपक्ष के महागठबंधन के नेता के तौर पर राहुल गांधी का नाम आगे कर सकती है। राहुल गांधी कई मर्तबा यह कह चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी को टेलीविजन पर दिखाया नहीं जाता है। उन्हें अब मीडिया का सहारा नहीं रह गया है। यही वजह है कि वेखुद मैदान में आकर अब लोगों से ख़ुद मिलेंगे। देश के हालातों से उन्हें रुबरू करवाएंगे। लेकिन इसके बावजूद कुछ सवाल ऐसे हैं कि जब राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष नहीं बने तो इतने मुखर होकर सभी आंदलनों और रैलियों की अगुवाई क्यों कर रहे हैं। इसे लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि वो बैक सीट से भी पॉलिटिक्स कर सकते हैं। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आख़िर वक्त में जाकर प्रधानमंत्री पद के लिए दावा ठोक सकते हैं।

कांग्रेस में जान फूंकने में सफल दिखाई देते राहुल गांधी

क्या राहुल गांधी भारत जोड़ों की यात्रा का कुछ इंपैक्ट है जो कि इस चुनाव में या लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 7 नवंबर को दो महीने पूरे कर चुकी है। अगर निष्पक्ष आकलन किया जायेए तो इसके जरिये राहुल गांधी ने अपनी एक नई इमेज बनाने और खुद को एक गंभीर नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि डेढ़ सौ दिन पूरे करके श्रीनगर में इस यात्रा के ख़त्म होने के बाद राहुल गांधी क्या इस हैसियत में आ जायेंगे कि वे अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सीधी टक्कर दे सकें। इसका  जवाब फिलहाल कांग्रेस नेताओं के पास भी नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि लोकप्रियता के लिहाज से राहुल भले ही मोदी को मात न दे पायें लेकिन उनकी इस यात्रा ने कमजोर हो चुकी कांग्रेस में नई जान फूंकने में काफ़ी हद तक सफलता पाई है। यही बीजेपी के लिए थोड़ी परेशान करने वाली स्थिति है क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा शुरु होने से पहले तक तो वह कांग्रेस को कहीं मुकाबले में मानने को ही तैयार नहीं थी। लेकिन 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरु हुई इस यात्रा को मिल रहा सर्मान बीजेपी को सोचने पर विवश कर रहा है।

नई छवि गढ़ने की कोशिश

राजनीतिक पंडितों की माने तो पिछले आठ साल के दौरान बीजेपी ने राहुल गांधी को एक कमजोर और मजाकिया नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश की। उस छवि को राहुल ने अपनी इस यात्रा के जरिये तोड़ने में काफी हद तक सफल दिखाई दे रहे हैं। यात्रा के दौरान भाषण और मीडिया के सवालों का सटिक जवाब देकर राहुल गांधी ये साबित करने की कोशिश की है वे एक गंभीर नेता हैं।  इस यात्रा को दो महीने का समय पूरा हो चुका है। राहुल इस दौरान लोगों से सीधे संवाद करते नजर आए। आम लोगों के साथ समय गुजार रहे रहे हैं। बीच बीच में लोगों के घर भी जा रहे हैं। मीडिया से रूबरू होने में भी कतरा नहीं रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी कई भावुक तस्वीरें भी वायरल हुई। जिनमें वो कभी बारिश में भीगते हुए भाषण देते नजर आए तो कभी मां सोनिया गांधी के जूते का फीता बांधते और हिजाब पहने बच्ची को गले लगाते दिखाई दिये। तो कभी बच्चों के साथ दौड़ते खेलते नहीं आए।

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