नजर आने लगा है आर्थिक संकट…शेयर बाजार और बैंकों में मचा हाहाकार…कर्ज के जाल में फंस रहे लोग
भारत में आर्थिक मंदी जिस तरह से सामने आ रही है। जिसमें अर्थतंत्र के सारे आर्थिक संस्थान डगमगाते हुए नजर आ ने लगे हैं। शेयर बाजार में पिछले 6 महीने से लगातार गिरावट का दौर देखने को मिल रही है। इस गिरावट को थामने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से लाखों करोड़ रुपया शेयर बाजार में डाला गया। वह रुपया भी मुनाफा वसूली में शेयर बाजार से बाहर निकल गया।
रिजर्व बैंक से केंद्र सरकार की ओर से पिछले सालों में डिविडेंड के नाम पर काफी बड़ी राशि वसूल की गई है। जिसके चलते रिजर्व बैंक का आर्थिक संकट भी सामने दिख रहा है। रही सही कसर सरकारी बैंक पूरी करते नजर आ रहे हैं। बैंकों की ओर से जो फाइनेंस किया गया है। उसकी वसूली नहीं हो पा रही है। बैंक की ओर से पिछले वर्षों में अपने खातेदारों पर तरह-तरह के शुल्क लगाकर अनाप-शनाप वसूली की जा रही है।
एनपीए खाते की रकम का समयोजन करते हुए बैंकों का मुनाफा बैलेंस शीट में लाभ से एडजस्ट किया जा रहा है। पिछले वर्षों में शेयर मार्केट में बैंकों की ओर से भारी निवेश किया गया। जब तक शेयर बाजार में तेजी बनी हुई थी। तब तक बैंकों की बैलेंस शीट में मुनाफा नजर आया। अब बैंकों की बैलेंस शीट में घाटा नजर आ राि है। बैंक घाटे की ओर आगे बढ़ रहीं हैं। इतना ही नहीं भारतीय जीवन बीमा निगम जैसी पुरानी कंपनियां तक लड़खड़ा रहीं हैं। म्यूचुअल फंड और दूसरे वित्तीय संस्थान भी शेयर बाजार की गिरावट के चलते आर्थिक हालत खराब होती चली जा रही है।
68 % कर्जदारों के सामने EMI चुकाने का संकट
भारत के करोडों परिवार ऐसे हैं जो कर्ज के जाल में फंसे हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट पर भरोसा करें तो 68 फीसदी कर्जदारों को ईएमआई चुकाने में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। करीब 45 अरब डॉलर का कर्ज फंसा हुआ है। वहीं 91 से 180 दिनों के भीतर लोन की किस्त जमा न होने की स्थिति में बैंक यह राशि एनपीए में डाल देते हैं। एनपीए 3.3 फीसदी की रफ्तार से बढ़ता चला जा रहा है। साल 2023 में यह आंकड़ा महज 0.8 प्रतिशत था। भारत हालत यह है कि अब लोन चुकाने के लिए भी लोग लोन ले रहे हैं। आर्थिक संकट के चलते लोगों को अपने बच्चों को महंगे स्कूलों से निकालना पड़ रहा है। बैंक में भी डिफाल्टरों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। रिजर्व बैंक के जरिए माइको फाइनेंस के तहत बड़ी मात्रा में पर्सनल लोन दिया गया है। इस लोन की भी वसूली नहीं हो पा रही है। देश में 10 में से 9 लोग ऐसे हैं जिनके पास औपचारिक और स्थाई नौकरी नहीं है।