लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अस्तित्व में आया इंडिया ब्लॉक अब 2025 में बिखरता नजर आ रहा है। आम चुनाव में जहां बहुमत से दूर रहने और इसके बाद हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी एनडीए से मात खाने के बाद I.N.D.I.A. में बिखराब बढ़ता गया। दरअसल एनडीए और बीजेपी के खिलाफ 2024 में बना विपक्षी दलों का महांगठबंधन I.N.D.I.A. अब अस्तित्व मेंं नहीं है। आपसी विवाद के बीच जन्में I.N.D.I.A. का विवाद के बीच ही अंत हो गया है।
दिल्ली के बाद बिहार में विधानसभा के चुनाव होना हैं।
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जैसे विपरीत ध्रुव वालों को एक मंच पर बिठाने की नीतीश कुमार की तत्कालीन कोशिश रंग लाई थी, लेकिन नीतीश स्वयं ही गठबंधन के नामकरण के साथ ही रंग में भंग डालते हुए एनडीए में चले गए थे। अब आम चुनाव के बाद लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव ही नहीं अरविंद केजरीवाल और शरद पवार-उद्धव ठाकरे के बाद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बची-खुची कसर भी यह कहकर पूरी कर दी है कि I.N.D.I.A. ब्लॉक का गठन तो सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हुआ था।
शुरुआत पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने की। उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व को ही चुनौती देते हुए स्वयं के I.N.D.I.A. प्रमुख बनने की पैरवी की। इसके बाद तो एक-एक कर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ एनसीपी नेता शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने ममता बनर्जी के नेतृत्व कसे स्वीकार करते हुए उनके प्रस्ताव पर सहमति जता दी। ऐसे में आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को ममता बनर्जी की तरह ही अपना दुश्मन ही मान लिया है। अब तो आरजेडी प्रमुख लालू यादव के बेटे और बिहार में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा माने जाने वाले तेजस्वी यादव ने भी इंडिया ब्लॉक को सिर्फ लोकसभा चुनाव तक के लिए की गई व्यवस्था बताते हुए इसके खात्मे की ही मुनादी कर दी है।
तेजस्वी जान गए हैं कांग्रेस के इरादे
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की ओर से इसी माह 18 जनवरी को आरजेडी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इसी दिन राहुल गांधी भी राजधानी पटना पहुंचने वाले हैं। राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं। संभवत: तेजस्वी को कांग्रेस के इरादे की जानकारी मिल गई है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस सीटों पर अड़ सकती है। वहीं दरअसल कांग्रेस को बिहार में अपनी छवि दुरुस्त करना है कि कांग्रेस आरजेडी की पिछलग्गू पार्टी नहीं है। इसमें सत्यता भी है कि कांग्रेस बिहार में 1990 के बाद से ही आरजेडी के सहारे रही है। ऐसे में राहुल गांधी बिहार के चुनाव में सीटों को लेकर मुंह न फाड़ें, इसलिए तेजस्वी यादव ने अपने बयान से राहुल की बोलती बंद करने की कोशिश की है।
गठन के साथ ही बनता-बिखरता रहा I.N.D.I.A.
माना जा रहा है कि 2019 की शुरुआत से ही बीजेपी विरोधी मोर्चा बनाने का प्रयास किया जाता रहा है। पहली बार 2019 में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री और TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी और एनडीए विरोधी मोर्चा बनाने की पहल की थी। उस समय नायडू एनडीए से बाहर थे। दूसरी बार 2021 में के चुनाव में बंगाल फतह करने के बाद टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने प्रयास किया। हालांकि निराशा मिलने पर दोनों ने मौन धारण कर लिया था। तीसरा प्रयास महागठबंधन में रहते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। उन्हें थोड़ी सफलता भी मिली, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के पहले ही उन्होंने विपक्षी दलों से अपनी राह अलग कर ली। और अचानक एनडीए के साथ जाना पसंद किया। बची हुई कसर देश की जनता ने पूरी कर दी। जब आम चुनाव 2024 में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ बहुमत से दूर रह गया।
ममता ने बोए थे I.N.D.I.A. में बिखराव के बीज
I.N.D.I.A. ब्लॉक में बिखराव का बीजा सबसे पहले टीएमसी प्रमुख और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने किया था। देश भर में विपक्षी पार्टियों ने I.N.D.I.A. ब्लॉक के बैनर तले उम्मीदवार उतारे, लेकिन पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी ने ऐसा नहीं किया। ममता ने कांग्रेस और वाम दलों को बीजेपी की तरह ही दुश्मन बताते हुए दूरी बना ली। टीएमसी, कांग्रेस और वाम दलों ने चुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार उतारे। ममता बनर्जी ने यह भी साबित कर दिया कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी से टक्कर लेने के लिए टीएमसी अकेले ही काफी है। टीएमसी ने लोकसभा के चुनाव में 22 सीट जीत कर चौथी बड़े दल का दर्जा हासिल किया। I.N.D.I.A. ब्लाक में कांग्रेस और सपा के बाद टीएमसी तीसरी बड़ी पार्टी है।
RJD प्रमुख लाल प्रसाद के बदले रुख की वजह क्या है?
पहले इारजेडी प्रमुख बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव का I.N.D.I.A. ब्लॉक के नेतृत्व पर टीएमसी ममता बनर्जी को समर्थन किया। अब लालू के बेटे बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने I.N.D.I.A. ब्लाक का गठन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक के लिए बताना आश्चर्य पैदा करता है। लिहाजा माना जा रहा है कि लालू परिवार और सोनिया गांधी के परिवार के बीच के अब रिश्ते पैले जैसे नहीं रहे। दोनों परिवारों के बीच पहले की नजदीकियों को छोड़ भी दें तो बीते साल-डेढ़ साल में कई ऐसे मौके सामने आ चुके हैं जब दोनों ही राजनीतिक परिवारों की नजदीकियां लोगों ने देखीं। मानहानि मामले में राहुल गांधी को सर्वोच्च अदालत की ओर से जब राहत मिली तो सबसे पहले राहुल गांधी आरजेडी प्रमुख लालू यादव से ही मिलने दिल्ली में उनकी बेटी मीसा भारती के आवास पर गए थे। इस दौरान लालू यादव ने राहुल को बिहारी मटन का भोज भी कराया। राहुल गांधी जब भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर बिहार आए तो तेजस्वी यादव राहुल के गाइड और सारथी के रुप में नजर आए। इतना ही नहीं पटना में विपक्षी दलों की पहली मीटिंग में लालू प्रसाद यादव ने ही राहुल गांधी को विपक्षी का दूल्हा बनाने का प्रस्ताव रखा था। फिर इसके बाद राहुल गांधी और इंडिया ब्लाक के बारे में लालू यादव और उनके परिवार की इतनी बेरुखी राजनीतिक आश्चर्य तो पैदा करेगी ही।