क्या दूसरे राज्यों में चमकेंगे I.N.D.I.A. के सहारे इन दलों के सियासी सितारे ?

I.N.D.I.A. Political Party

राजनैतिक दल तलाश रहे दूसरे प्रदेशों में सियासी जमीन

समाजवादी पार्टी के अलावा और भी कई दल हैं जो गठबंधन के साथ दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं लेकिन अभी भी कई तरह के सियासी पेंच उनकी राह में फंसने वाले हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी दलों के संगठन I.N.D.I.A. के घटक दल अब अगल अलग राज्यों में गठबंधन के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। दरअसल घटक दलों को सियासत की जमीन तलाशने के लिए बड़े खुले आसमान के मिलने का अनुमान है। जिसके चलते ये सियासी दल अपने इसी आसमान की तलाश में गठबंधन यानी I.N.D.I.A के सहारे अपनी पार्टी को विस्तारित कर अलग अलग राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुट गए हैं।

दरअसल ऐसे घटक दलों को नए बने सियासी संगठन I.N.D.I.A. की मजबूती का सहारा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इन घटक दलों में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, एनसीपी और जदयू अपने दल को दूसरे राज्यों में पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हालांकि राजनीतिक जानकार बताते हैं इस तरीके से अपने दलों को विस्तार देने में कई तरह के पेंच भी फंसते नजर आ रहे हैं, जो लोकसभा चुनाव के लिए तैयार किये गये गठबंधन को खतरे में डाल सकते हैं।

सपा को यूपी से बाहर जमीन की तलाश

I.N.D.I.A. के सहारे अपनी अपनी सियासी जमीन मजबूत कर रहे सभी घटक दल अपने को आगे बढ़ाने की तैयारी में जुटे हैं। इसी क्रम में सबसे पहले नाम आता है समाजवादी पार्टी का। जिसने इसके लिए अपना पूरा सियासी तानाबाना भी तैयार कर लिया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि समाजवादी पार्टी I.N.D.I.A के साथ मिलकर राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा और गुजरात समेत बिहार में अपनी सियासी जमीन तलाशने में जुट गई है। सपा ने महाराष्ट्र में अपने दो नेताओं के लिए लोकसभा सीट की दावेदारी सुनिश्चित की है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भी सपा अपने एक वरिष्ठ पदाधिकारी को सियासी मैदान में लोकसभा चुनाव के जरिए उतारना चाह रही है। सपा राजस्थान के यादव बाहुल्य इलाकों में और हरियाणा के यादव बहुल इलाकों में अपने उम्मीदवार उतारने की योजना पर काम कर रही है। सपा से जुड़े सूत्रों का कहना है इस गठबंधन के माध्यम से सिर्फ उनको दूसरे राज्यों में लड़ने का मौका ही नहीं मिलेगा। बल्कि दूसरे राज्यों की पार्टियों को यूपी में भी आकर अपने सियासी गठबंधन के जरिए पार्टी को और विपक्षी दलों के बनाए गए नए गठबंधन I N D I A को मजबूत भी किया जाएगा।

योगी के यूपी में टीएमसी करेगी खेला

नए सियासी गठबंधन की जमीन पर सिर्फ सपा ही नहीं बल्कि दूसरे सियासी दल भी अपनी राजनीतिक जमीन को दूसरे राज्यों में उत्पादक जमीन तैयार करने की पूरी तैयारी में जुटी है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि तृणमूल कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में सियासी जमीन तलाशने के लिए बड़े स्तर पर योजना पर काम कर रही है। इसके लिए पार्टी के अंदर उत्तर प्रदेश के साथ दूसरे राज्यों में जहां पर बंगाली समुदाय का प्रभुत्व है वहां चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रही है। बता दें टीएमसी यूपी में पूर्वांचल की एक अहम सीट पर वहां से पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी को लोकसभा के मैदान में उतारने की रणनीति बना रही है। त्रिपाठी ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन की है। ऐसे में पार्टी सूत्र बताते हैं कि जिस तरीके से सपा पश्चिम बंगाल में किरणमय नंदा को सियासी रण में उतारने की मंशा बना रही है ठीक उसी तरह टीएमसी यूपी में ललितेश पति त्रिपाठी भी प्रत्याशी बना सकती है।

क्या दूसरे राज्यों में चलेगा शरद का पॉवर

इन घटक दलों में एनसीपी का भी नाम शामिल है। नए गठबंधन के सहारे जो राजनैतिक दल संभावनाएं तलाश रहे हैं उनमें शामिल शरद पवार की पार्टी एनसीपी भी गठबंधन के सहारे दूसरे राज्यों में सियासी जमीन तलाशने में जुट गई रही है। पार्टी सूत्रों की माने तो एनसीपी मुखिया शरद पवार के कुछ नेताओं की ओर से यह बात भी उठाई जा रही है कि वे अपने प्रत्याशी जिस तरीके से नॉर्थईस्ट समेत पूर्व के राज्यों में उतारते हैं। ठीक उसी तरह वह अब गठबंधन के सहारे से यूपी, बिहार, एमपी के साथ राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में भी सियासी जमीन की तलाशने की कोशिश में जुटे हैं।

यूपी के कुर्मी बाहुल्य इलाकों पर नीतीश का चुनावी दांव

गठबंधन के घटक दलों में प्रमुख माने जाने वाले जदयू के भीतर इस तरह की चर्चा होने लगी है। चर्चा इस बात की भी होने लगी है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार को यूपी की सियासत में बड़ी एंट्री मिले। इसके लिए नीतीश कुमार स्वयं यूपी की किसी एक लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार यूपी की उत्तर प्रदेश की किसी प्रमुख कुर्मी बाहुल्य लोकसभा सीट से सियासी ताल ठोक सकते हैं। जिसमें प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट के साथ मिर्जापुर और लखीमपुर सीट पर भी नीतीश कुमार की नजर है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस तरीके से अलग अलग दल गठबंधन के सहारे दूसरे राज्यों में अपनी सियासी जमीन तलाशने में जुटे हैं उससे क्या संबंधित राज्य के प्रभावशाली दल इसके लिए तैयार होंगे। सियासी जनकारों का कहना है कि गठबंधन की यही खूबी होती है। उसमें सभी दल मिलकर एक साथ चुनाव की सियासी जमीन तैयार करते हैं, लेकिन इस बात की आशंका भी बरकरार रहती है कि कहीं दूसरे राज्य के दूसरे दलों की घुसपैठ उनके क्षेत्र में तो नहीं हो रही है।

Exit mobile version