जानें वन नेशन वन इलेक्शन के बाद कैसे बदलेगी की देश की राजनीति….!

जानें वन नेशन वन इलेक्शन के बाद कैसे बदलेगी की देश की राजनीति….!

मोदी कैबिनेट से वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव पारित हो गया है। जिस पर अब देश भर में सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। वहीं आमजन के मन में कई बड़े सवाल उठ रहे हैं कि किस तरह से एक साथ सभी चुनाव होंगे। क्या एक ही समय पर हम विधायक और सांसद चुनेंगे। एक समय पर दोनों को मत किस तरह से डाले जायेंगे। आम जनता के मन में एक सवाल यह भी है कि वन नेशन वन इलेक्शन किस तरह से देश की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक परिदृश्य को बदलेगा।

क्या होगा जो बीच में गिरी सरकार तो?
वन नेशन वन इलेक्शन का अर्थव्यवस्था से कनेक्शन!
अलग-अलग चुनाव का अर्थव्यवस्था पर असर

अलग-अलग चुनाव का देश की विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ता ही है। अर्थ जगत से जुड़े विशेषज्ञों ने इस बिंदु को समझाने के लिए तमिलनाडु के चुनाव का का उदाहरण सामने रखा है। जिसमें बताया है कि तमिलनाडु में 1996 में साथ-साथ चुनाव हुए थे तो वहां की विकास दर में 4.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी जबकि 2001 में अलग-अलग विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराने पर 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इसी तरह वन नेशन वन इलेक्शन मुद्रास्फीति के लिहाज से भी फायदेमंद दिखा।

कांग्रेस का विरोध सवालों के घेरे में
अब सवाल यह है कि इस प्रस्ताव को लेकर आखिरकार विपक्ष मैं खड़ी राजनीतिक पार्टियों विरोध क्यों कर रहा है। जबकि कांग्रेस की सरकार के दशक में चुनाव हुआ करते थे विधानसभा और लोकसभा। हालांकि बीच में सरकार गिरी और राज्यों के अलग-अलग चुनाव संपन्न हुए। वन नेशन वन इलेक्शन का फंडा धीरे-धीरे कर खत्म होता गया। लेकिन अब कैबिनेट में यह प्रस्ताव पारित हो गया है। वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की ओर से जो प्रस्ताव पेश किया गया था। उसे कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। एनडीए सरकार में शामिल सभी घटक दल वन नेशन वन इलेक्शन के समर्थन में है। ऐसे में आने वाले समय में यह देखना होगा कि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर किस तरह से देश में अपना पक्ष जनता के सामने रखता है। जनता किसकी बात मानेगी। वन इलेक्शन के मसले पर जनता एनडीए के पक्ष में जाएगी या इंडिया गठबंधन को इसका लाभ मिलेगा। ऐसे कई सवाल हैं जो आम जन के जेहन में उठ रहे क्योंकि आखिर वोट तो आम जनता को ही देना है। ऐसे ही कई और सवाल है।

मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। लेकिन लोगों के जेहन में पहला सवाल तो यही है कि देश में किस तरह से ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लागू किया जाएगा?
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के बाद
सरकार बीच में गिरी तो क्या होगा?

मोदी कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव को दो चरण में लागू करने की योजना है। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ कराया जाएगा। लोकसभा और विधानसभा के इन चुनावों के बाद 100 दिन बाद स्थानीय पंचायत और निगम के चुनाव होंगे। इस चुनाव के लिए एक वोटर लिस्ट होगी।

 

 

 

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