होली 2025: इस बार भी होलिका दहन पर भद्रा की छाया…होली पर चंद्र ग्रहण, भारत में नहीं होगा प्रभाव
आमतौर पर सूर्य अस्त होने के बाद होलिका दहन करने की परंपरा रही है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। दरअसल भद्रा की छाया होने के चलते इस बार होलिका दहन के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। क्योंकि भद्रा रात 10 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगा। इसके बाद ही होलिका का दहन किया जा सकेगा। बता दें होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का भी संदेश देता है। यह पर्व आपसी प्रेम और सद्भावना के रंगों का पर्व है। धार्मिक परंपरा और मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन से पहले होलिका की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है।
पूर्णिमा तिथि पर ही होलिका का दहन किया जाता है। बताया जाता है कि इस बार पूर्णिमा के साथ 13 मार्च की सुबह 10 बजे के आसपास भ्रदा लग जाएगा। यह रात करीब साढ़े 10 बजे तक रहेगा। भद्रा में होलिका का दहन वर्जित माना जाता है। ऐसे में उस योग के खत्म होने के बाद ही होलिका दहन किया जा सकेगा।
ज्योतिर्विदों की मानें तो फाल्गुन शुक्लपक्ष की चतुदर्शी इस बार 13 मार्च की सुबह 10 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। इसके बाद ही पूर्णिमा तिथि लगेगी। पूर्णिमा तिथि 14 मार्च की सुबह 11 बजकर 11 मिनट तक रहेगी।
पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन
मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर होलिका का दहन किया जाता है। इस बार पूर्णिमा के साथ 13 मार्च की सुबह 10 बजकर 3 मिनट से भ्रदा लग जाएगा। यह रात 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। भद्रा काल के दौरान होलिका का दहन वर्जित माना जाता है। ऐसे में भ्रदा काल के समाप्त होने के बाद रात 10 बजकर 38 मिनट के बाद ही होलिका का दहन किया जा सकेगा।
इस तारीख पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से शूल योग लग जाएगा। बता दें शूल योग शत्रु और रोग शमन करने वाला होता है। इसके अतिरिक्त मीन राशि में बुध, शुक्र और राहु संचरण करेंगे। जबकि सूर्य और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। यह पुण्यकारी होगा।
रंग की बौछार के बीच चंद्रग्रहण
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार 14 मार्च को होली पर्व पर रंग की बौछार होगी रंग खेला जाएगा, उसी दिन चंद्र ग्रहण का भी साया रहेगा। बताया जाता है कि सुबह 10 बजकर 39 मिनट पर चंद्र ग्रहण लग जाएगा। यह दोपहर 2.18 बजे तक रहेगा। हालांकि इस चंद्रग्रहण का
का प्रभाव भारत में नहीं रहेगा। चंद्र ग्रहण का प्रभाव अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका, अटलांटिक महासाागर, पश्चिम यूरोप, इटली, फ्रांस, रूस के पूर्वी और नार्वे, स्वीडन भाग में दिखाई देगा।
ऐसे में चंद्र ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा।
चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में विराजमान रहेंगे। इस दौरान कन्या राशि में पहले से केतु रहेंगे। ऐसे में दो ग्रहों की युति होगी। लिहाजा इस अवधि में कुछ कार्यों को करने से बचने की सलाह ज्योतिषार्चाय देते हैंं।
ग्रहण के दौरान न करें यह काम
- सुई से जुड़ा कोई भी काम नहीं करें
- कुछ भी छीलने अथवा काटने का काम नहीं करें
- गर्भवती महिलाएं इस दौरान ईश्वर की भक्ति करें, कोई काम न करें न ही भाेजन न करें
- ग्रहण की अवधि में मूर्तियों का स्पर्श नहीं करें
- ग्रहण की अवधि के दौरान शयन भी नहीं करना चाहिए