HOLI 2025: गुजिया, ठंडाई और कचरी-पापड़ के बगैर अधूरा है होली का त्योहार…!

Holi festival is a special festival of colours gulal happiness and sweets

होली का त्योहार केवल रंग गुलाल और खुशियों का ही नही बल्कि मिठाईयों का भी खास त्योहार है। गुजिया, ठंडाई और कचरी पापड़ के बगैर अधूरी ही रहती है रंग की महफिल। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है कि साल में केवल होली पर ही खास प्रकार की गुजिया बनाई जाती हैं। ठंडाई और कचरी-पापड़ भी खास होली के लिए बनते हैं? आइए जानते हैं इन्हें होली पर खासतौर से क्यों बनाया जाता है।

होली का पर्व देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह ऐसा वक्त होता है जब देश भर के लोग रंगों में डूबे नजर आते हैं। साथ ही होली पर रंग खेलने के बढ़िया खानपान का मजा भी लोग लेते हैं। होली के त्यौहार पर घरों में गुजिया, ठंडाई और कचोरी पापड़ बनने का चलन पुराना है। होली के आने से बहुत पहले ही घर में इसकी खास तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

घर की महिलाएं कचरी और पापड़ को धूप में सुखाना शुरू कर देतीं हैं तो वहीं गुजिया का सामान घर आने लगता है। पकवान क्या बनाए जाएंगे यह सब पहले से ही तय पहले हो जाता है।

लेकिन क्या आपने कभी ये भी सोचा है कि आखिर सिर्फ यह तीन चीजों को ही होली के त्योहार के समय खासतौर पर क्यों बनाया जाता है। दरअसल, इन पकवानों का अपना अलग महत्व है। होली जैसे रंगोउत्सव से इनका खास और गहरा संबंध है। हर क्षेत्र में होली का त्योहार मनाने का तरीका भले ही अलग अलग हो, लेकिन ये पांरपरिक पकवान कभी नहीं बदलते।

क्यों बनाई जाती है होली पर गुजिया?

हर घर में होली आने से पहले से ही गुजिया की तैयारी शुरू हो जाती है। गुजिया को मिठास और उत्सव का प्रतीक माना जाता है। इनका होली से भी बड़ा ही गहरा नाता है। गुजिया को मावा यानी खोया और ड्राई फ्रूट्स के मिश्रण से तैयार किया जाता है।

पहले के समय में ग्रामीण महिलाएं मिलकर एक-एक घर में गुजिया और होली के तमाम पकवान मिलकर बनाया करती थीं। इसलिए एकजुटता का प्रतीक भी गुजिया को माना जाता है। गुजिया की मिठास रिश्ते को और अधिक मधुर और मजबूत करती है।

बता दें तुर्की के सबसे लोकप्रिय बकलावा से भी गुजिया का कनेक्शन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गुजिया बनाने की प्रेरणा बकलावा को देखकर ही भारतीयों को मिली थी। दरअसल बकलावा में शहद और चीनी के साथ ड्राई फ्रूट्स का स्वादिष्ट मिश्रण किया जाता है। बकलावा की ऊपरी लेयर सॉफ्ट और चशनी से सराबोर होती है। इसके अतिरिक्त यह भी कहा जाता है भारत में गुजिया को सबसे पहले 17वीं सदी में यूपी में बनाया गया था। यहीं से गुजिया पूरे देश में मशहूर हुई थी। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को भी गुजिया बहुत पसंद थी। होली के त्योहार पर मथुरा और वृंदावन के लोग गुजिया को बनाकर पहले भगवान कृष्ण को भोग लगाते थे। तभी से यह होली की पारंपरिक मिठाई के रुप में शामिल हो गई और हर घर का एक अटूट रिश्ता गुजिया के साथ जुड़ गया।

राजस्थान और गुजरात में प्रसिद्ध है कचरी पापड़

गुजिया की मिठास के बाद कचरी पापड़ को बैलेंस के तौर पर माना जाता है। आपका मुंह अधिक मिठा हो गया तो चलिए कचरी पापड़ से मुंह का थोड़ा स्वाद बदल लेते हैं। कचरी पापड़ खासतौर पर राजस्थान और गुजरात सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसे भी होली के त्योहार पर खासतौर से घरों में बनाया जाता है।

ठंडाई का भी है अपना महत्व?

होली का त्योहार आते आते मौसम में गर्मी बढ़ने लगती है।ऐसे में अधिकांश लोग धूप में होली खेलते। एकदूसरे के पीछे दौड़ते भागते हैं और रंग खेलने के बाद थकान भी हो जाती है। जिसे ठंडाई से दूर किया जाता है। ठंडाई शरीर को ठंडक प्रदान करती है। यही वजह है कि घर में होली के दिन ठंडाई भी खास तौर पर परोसी जाता है। इसमें ड्राई फ्रूट्स और मसाले ताजगी के साथ उर्जावान भी बनाते हैं।…प्रकाश कुमार पांडेय

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