फागुन का माह पहले ही मौसम बदलने लगता है और हवा में घुलती हल्की गर्मी होली के करीब आने का अहसास कराती है। होली का त्यौहार वैसे तो देश भर में मनाया जाता है, लेकिन मथुरा की होली देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है। मथुरा में होली का पर्व विशेष हर साल रूप से बहुत धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। मथुरा भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि है। यहां की होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव भी है। यहां होली कई प्रकार से मनाई जाती है। मथुरा में होली उत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार की परंपराएँ और अनोखी रीतियाँ भी निभाई जाती हैं, जो इस होली को अन्य स्थानों से अलग बनाती हैं। जानते हैं कि कृष्ण की नगरी मथुरा में होली कितने प्रकार से मनाई जाती है।
आज लड्डू होली.. . कल लट्ठमार होली खेली जाएगी
विश्व प्रसिद्ध लड्डू होली आज खेली जा रही है। इसके अगले दिन लट्ठमार होली 8 मार्च को मनाई जाएगी। जबकि 9 मार्च नंदगांव में लट्ठमार होली होगी। 10 मार्च वृंदावन में फूलों से होली खेली जाएगी। 10 मार्च को ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंच पर भी होली और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 11 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली का आनंद हुरियारे उठायेंगे। 13 मार्च होलिका दहन होगा। 14 मार्च पूरे ब्रज में धुडेली मनाई जाएगी। फिर 15 मार्च दाऊजी और नदंगाव में हुरंगा खेला जाएगा। 18 मार्च मुखरई में चरकुला नृत्य तो 22 मार्च रंगनाथ मंदिर में होली उत्सव का आयोजित किया जायेगा।
- मथुरा की होली
- लड्डू मार होली
- लठ्ठमार होली
- मथुरा वृंदावन की होली
- फगुआ और ब्रज की होली
- होलिका दहन
- गुलाल की होली
- ब्रज की होली में मेले
- वृंदावन में होली की टुकड़ी
अब होगी लठ्ठमार होली
लठमार होली मथुरा के पास बरसाना और नन्दगांव में मनाई जाती है।यह एक बहुत प्रसिद्ध परंपरा है। इस बार राधा कृष्ण की नगरी बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन शनिवार 8 मार्च और लड्डू होली का आयोजन इसके एक दिन पहले सात मार्च को होगा।
इस प्राचीन परंपरा में महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं। पुरुष भी महिलाओँ से बचने की कोशिश करते नजर आते हैं। लठमार होली में पुरुष अपने ऊपर रंग और गुलाल लगाते हैं। महिलाएं उन्हें लाठियों से पीटती हैं। यह खेल बहुत ही उत्साही और जोशपूर्ण होता है और इसे राधा और कृष्ण के प्रेम की एक अभिव्यक्ति माना जाता है।यह परंपरा बरसाना में सबसे प्रमुख रूप से मनाई जाती है, जो राधा की जन्मभूमि है।
मथुरा वृंदावन की होली
मथुरा और वृंदावन में होली का उत्सव बहुत ही जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है। वृंदावन में राधा के साथ कृष्ण के रंग खेलने की परंपरा से जुड़ी कई कथाएँ हैं। यहां हर साल होली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। होली के दिन लोग रंगों में रंगकर अपने श्री कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं। श्री कृष्ण के गीतों और भजनों के साथ होली उत्सव मनाते हैं। यहाँ के प्रमुख रुप से Banke Bihari Mandir और Prem Mandir में विशेष पूजा और भजन किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त, लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और कृष्ण भक्ति के गीत गाते हैं।
फगुआ और ब्रज की होली
ब्रज क्षेत्र में होली के समय फगुआ नामक लोकगीत गाने की परंपरा है। इस समय लोग फगुआ गीत गाते हैं। खासकर कृष्ण और राधा के प्रेम के बारे में होते हैं। यह गीत ब्रज भाषा में होते हैं, और लोग इन्हें एक-दूसरे के साथ गाते हैं। ब्रजवासियों के लिए यह समय अपने पुराने लोक गीतों को गाने, नृत्य करने और एक-दूसरे के साथ रंग खेलने का होता है। इस दौरान, गांवों और कस्बों में मेला भी लगता है। लोग एक साथ मिलकर इस दिन को मनाते हैं।
होलिका दहन
मथुरा में होली के पहले होलिका दहन की परंपरा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन बड़े आकार में होलिका की प्रतिमा बनाई जाती है। उसका दहन किया जाता है, और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाया जाता है। होलिका दहन में लोग आग के चारों ओर परिक्रमा कर बुराई को नष्ट करने की कामना करते हैं। यह दिन शुद्धता और नए जीवन के स्वागत का प्रतीक भी माना जाता है।
गुलाल की होली
मथुरा में होली के दिन गुलाल का प्रयोग बहुतायत से होता है….लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर रंग खेलते हैं, और कृष्ण के रंगीन रूप का उत्सव मनाते हैं… यह परंपरा ब्रज की होली में बहुत प्रसिद्ध है…यहां लोग पानी के रंगों का भी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन गुलाल के साथ होली खेलने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह एक पुराने हिंदू उत्सव का हिस्सा है, जो प्रकृति और प्रेम का प्रतीक है।
मथुरा की होली में कृष्ण—लीला का समावेश
मथुरा और वृंदावन की होली इसलिए भी खास होती है क्योंकि कृष्ण लीला का आयोजन भी इस दौरान आयोजन होता है। इस दिन कृष्ण की लीलाओं का मंचन किया जाता है। खासतौर पर श्री कृष्ण का राधा के साथ रंग खेलते और उनके साथ प्रेमपूर्ण लीलाओं का दृश्य प्रस्तुत किया जाता है।
ब्रज में होली के मेले
मथुरा में होली के समय मेले भी लगते हैं। यह पारंपरिक लोक उत्सव होते हैं। इन मेलों में नृत्य और संगीत के साथ लोक गीत का आयोजन किया जाता है। लोग यहां पर विभिन्न रंगों और फूलों के साथ होली खेलते हैं। खुशियाँ मनाते हुए एक-दूसरे को गुलाल मलते हैं।
वृंदावन— होली की टुकड़ी
वृंदावन में एक अनोखी परंपरा होली की टुकड़ी की मनाई जाती है। इस परंपरा में एक समूह के लोग विशेष रूप से रंगों की टुकड़ी बना कर एक जगह से दूसरी जगह जाकर रंग खेलते हैं। इस परंपरा में एक साथ कई लोग एक मंच पर एक साथ आते हैं और रंगों का उत्सव मिलकर मनाते हैं।
मथुरा की होली का उत्सव बहुत ही धार्मिक के साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रुप में मनाया जाता है। यहां मथुरा में लठमार होली, गुलाल की होली, कृष्ण लीला के साथ मेले की प्राचीन परंपरा शामिल है। मथुरा में होली का अर्थ सिर्फ लगाया या रंग खेलना नहीं है, बल्कि यह कृष्ण और राधा के प्रेम, भक्ति, और समाज की एकता का भी प्रतीक है। यहां की होली देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां होली खेलने और देखने मथुरा आते हैं, ताकि वे इस अलौकिक उत्सव का हिस्सा बन सकें।