उत्तरप्रदेश के संभल स्थित चंदौसी में बावड़ी की खुदाई में अब तक नई चीजों के मिलने का सिलसिला अब तक जारी है। 25 दिसंबर 2024 को भी बावड़ी की खुदाई की जा रही है। जिससे कि बावड़ी पूरा आकार सामने आ सके। इसके साथ ही किये जा रहे हर दावे और हर रहस्य से पर्दा उठ सके। आज बुधवार सुबह एएसआई की सर्वे टीम मौके पर पहुंची। जिसने बावड़ी का जायजा लिया।
- ASI टीम ने वीडियोग्राफी व फोटो खींचे
- चंदौसी नगर पालिका की लक्ष्मणगंज मुस्लिम बाहुल्य इलाके में है बावड़ी
- चन्दौसी के प्राचीन बावड़ी का सर्वे करने पहुंची ASI की टीम
- बांके बिहारी मंदिर भी जा सकती है टीम
- बावड़ी की सुरंग में घुस कर कार्बन डेटिंग कर रही है टीम
एक दिन पहले मंगलवार 24 दिसंबर को एएसआई की सर्वे टीम ने करीब सात फीट तक की खुदाई की थी। इसके बाद इस बावड़ी में बनी बड़ी सी सुरंग सामने आ गई थी। इससे पहले सोमवार को भी एक और कूप मिला था। बता दें कि संभल में कुछ दिन पहले बंद मकान में एक मंदिर मिला था। इसके बाद की गई खुदाई में वहां कुआं मिला। जब कुएं को खोदा गया तो प्राचीन बावड़ी के रहस्य से पर्दा उठने लगा।
जमीन के अंदर लंबी सुरंग उस समय दिखाई
पिछले दिनों 21 दिसंबर को बावड़ी की खुदाई की शुरूआत की गई थी। इसके बाद अगले दिन 22 दिसंबर को करीब पांच फीट की खुदाई की गई। जिसमें जमीन के अंदर भवन का स्ट्रक्चर मिला था। जबकि 23 दिसंबर को की गई खुदाई के बाद यहां की तस्वीरें और अधिक साफ हो गईं थी। जमीन के अंदर लंबी सुरंग उस समय दिखाई दी थी। इसके बाद 24 दिसंबर मंगलवार को टीम की ओर से करीब 7 फीट तक खुदाई की गई। अब भी बावड़ी का एक बड़ा सा हिस्सा नीचे ही दबा है। ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से खुदाई की जा रही है।
सनातन सेवक संघ पदाधिकारी की थी डीएम से सर्वे की मांग
दरअसल लक्ष्मणगंज में 17 दिसंबर 2024 को एक खंडहरनुमा प्राचीन मंदिर बंद मकान में मिला था। इसे लेकर उस समय यह दावा किया गया था कि मंदिर 150 वर्ष पुराना बांकेबिहारी मंदिर ही है। इसके बाद शनिवार 21 दिसंबर को संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान सनातन सेवक संघ पदाधिकारी ने संभल जिले के डीएम को एक पत्र देकर लक्ष्मणगंज के ही एक प्लॉट में प्राचीन बावड़ी होने का दावा किया।
इसके बाद डीएम ने तहसील और पालिका की टीम आदेश देकर मौके पर पहुंचाया। बताई गई जमीन पर खुदाई शुरू की गई। करीब एक घंटे की खुदाई में ही टीम को वहां दीवारें नजर आने लगीं तो इसे हाथों से खोदा गया। रविवार को दूसरे दिन की खुदाई के दौरान कमरों जैसी आकृति मिली। इसके बाद बावड़ी होने की बात की पुष्टि हुई।