Hinduja Group Dispute: जाने ब्रिटेन के सबसे अमीर परिवार में क्यों हुई कलह, अब होगा इतने अरब की प्रापर्टी का बंटवारा

Hinduja Family

 

ब्रिटेन के सबसे अमीर परिवार  हिंदूजा में फूट हो गई है। परिवार बंटवारे की कगार पर है।  हिंदूजा ग्रुप अब बंटवारे के हालात बन चुके हैं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक 2014 के समझौते के खत्म होने के बाद ये हालात बनें।

क्यों हो रहा है बंटवारा

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक हिंदूजा ग्रुप के बीच 2014 में हुआ समझौता खत्म हो चुका है। इस कारण ग्रुप अब बंटवारे की कगार पर आ गया है। समझौते में कहा गया था कि परिवार का सबकुछ प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित है और कुछ भी किसी से संबंधित नहीं है। इस  समझौते पर चारों भाईयों ने सहमति के साथ हस्ताक्षर किए। अब हिंदूजा भाईयों के बीच ये समझौता खत्म हो चुका है। यही कारण है कि अब ग्रुप में बंटवारे के हालात बन गए हैं।

कहां कहां और कितने अरब का कारोबार है हिंदूजा ग्रुप का

हिंदूजा ग्रुप की स्थापना 1914 में हुई थी। ग्रुप की स्थापना श्रीचंद परमानंद ने ब्रिटिश कालीन भारत में सिंध इलाके से की थी। तकरीबन 108 साल में ग्रुप ने अपने करोबार को भारत समेत 38 देशों में फैला दिया। स्थापना के समय समूह एक कमोडिटी फर्म के रूप में काम करता था। अब सौ साल बाद पूरे विश्व में हिंदूजा का कारोबार हेत्थकेयर, बैंकिग, मीडिया ,कमेकिल्स और ट्रक बनाने तक का फैला है। ग्रुप में डेढ लाख कर्मचारी काम करते हैं।  हिंदूजा ग्रुप की नेटवर्थ 14 अरब डॉलर की है।

हिंदूजा परिवार में चारों भाईयों को कारोबार की जिम्मेदारी

हिदूंजा परिवार मे चार भाई हैं। श्रीचंद हिंदूजा, जी पी हिंदूजा, पी पी हिंदूजा और ए पी हिंदूजा । ग्रुप के चैयरपर्सन बड़े भाई श्रीतंद हिंदुजा हैं और गोपीचंद हिदूंजा ग्रुप के को-चेयरपर्सन। परिवार के सबसे छोटे भाई अशोक के भारत की कंपनियों की जिम्मेदारी है। अलग अलग जिम्मेदारी पूरे परिवार को दी गई है।

परिवार मे कैसे पड़ी दरार

परिवार में दरार का कारण बना स्विटजरलैंड के बैंक. स्विजटजरलैंड के समूह बैंको के लेकर श्रीचंद हिंदूजा की बेटियों ने नियंत्रण को लेकर कोर्ट में दावा किया। उसी के बाद से परिवार में दरार आने लगी क्योंकि परिवार के दूसरे लोग भी इन बैंको पर नियंत्रण चाहते थे।

लंदन की अदालत में है मुकदमा

हिदूंजा परिवार के सबसे बड़े भाई श्रीचंद हिंदूजा ने बताया कि परिवार 2014 में हुआ समझौता खत्म करना चाहता है। समझौता खत्म होने के कारण परिवार में बंटवारा हो सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

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