लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच हिमाचल प्रदेश में विधाानसभा की 6 सीटों पर हो रहे उपचुनाव की चर्चा अधिक हो रही है। दरअसल लोकसभा चुनाव के साथ तय हो जाएगा कि हिमाचल प्रदेश की मौजूदा सुखबिंदर सुक्खू की सरकार के भविष्य भी तय हो जाएगा। हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला, लाहौल स्पीति ,बड़सर, सुजानपुर, गगरेट और कुटलैहड़ विधानसभा सीट शामिल हैं जहां उपचुनाव कराए जा रहे हैं। यहां कभी कांग्रेस के ही विधायक हुआ करते थे, लेकिन फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद सियासी हालात बदल गए।
- राज्य विधानसभा में सत्तारुढ़ कांग्रेस के पास 34 विधायक
- बीजेपी के पास 25 विधायक
- उपचुनाव में 6 सीट जीतने पर बीजेपी के 31 विधायक होंगे
- तीन निर्दलीय विधायक भी बीजेपी का दे रहे हैं साथ
- बराबर हो सकती है कांग्रेस—बीजेपी के विधायकों की संख्या
- अहम भूमिका निभायेंगे निर्दलीय विधायक
राज्य विधानसभा में सत्तारुढ़ कांग्रेस के पास 34 विधायकों के साथ बहुमत मिला हुआ है। वहीं बीजेपी के पास मौजूदा स्थिति में 25 विधायक हैं। इन चुनाव में बीजेपी सभी 6 सीट पर जीत दर्ज करती है तो उसके विधायकों की संख्या 31 हो जाएगी। जिसमें तीन निर्दलीय विधायक भी बीजेपी का साथ दे रहे हैं। इस तरह कांग्रेस और बीजेपी की संख्या बराबर हो सकता है।
राज्यसभा चुनाव के वक्त की थी विधायकों ने बगावत
दरअसल मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की कार्यशैली से नाराज राज्यसभा चुनाव के दौरान 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। जिससे भाजपा को लाभ और कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा था। सत्ता में रहने के बाद भी कांग्रेस अभिषेक मनु सिंघवी को राज्यसभा नहीं भेज सकी थी। सुखविंदर सुक्खू सरकार गिराने के असफल प्रयास के बाद इन बागी विधायकों ने पाला बदल लिया था। अब यह सभी बागी विधायक भाजपा के टिकट पर उपचुनाव मैदान में हैं।
उपचुनाव पर टिका सुक्खू सरकार का भविष्य
ऐसे में 6 सीटों पर हो रहे उपचुनाव खासे मायने रखते हैं। खासकर सीएम सुक्खू के लिए। उन्हें अपनी सरकार बचाना है तो इन सभी 6 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत दिलानी होगी। इसके लिए वे भरसक प्रयास भी कर रहे हैं। बता दे तीन निर्दलीय विधायक बीजेपी के समर्थन में हैं लेकिन अभी तक विधानसभा अध्यक्ष ने इन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर नहीं किये हैं। सीएम सुक्खू का पूरा जोर उपचुनाव में इन सभी 6 सीटों पर जीत हासिल करने का है। यदि कांग्रेस 2 से 3 सीट भी जीत लेती है तो वह विधायकों की नई टूट को रोकने में कामयाब हो सकती है और सुक्खू की सरकार भी बची रह सकती है।