हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद सियासी भूचाल आ गया है। तेजी से सियासी घटनाक्रम बदल रहा है। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की 1 सीट पर चुनाव हुए थे। जिसमें बीजेपी के हर्ष महाजन को जीत मिली। जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रत्याशी वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी क्रॉस वोटिंग का शिकार हो गए। उनकी चुनाव में हार हुई है।
- हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सियासी ड्रामा
- बीजेपी के 5 विधायक निलंबित, पूर्व सीएम के बेटे ने छोड़ा मंत्री पद
- हिमाचल प्रदेश में सियासी रार, खतरे में सुक्खू सरकार
- पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे ने छोड़ा मंत्री पद
- बीजेपी के पांच विधायकों को स्पीकर ने किया निलंबित
- पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को भी किया निलंबित
हिमाचल विधानसभा में आज बुधवार 28 फरवरी को सुक्खू सरकार का बजट पेश होना है। इस बीच बीजेपी ने बड़ा दावा किया है कि कांग्रेस की सुक्खू सरकार अपने विधायकों का ही भरोसा खो चुकी है। पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में बीजेपी के विधायकों ने राज्यपाल से वोटिंग डिवीजन की मांग की है। इस बीच हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने बड़ा कदम उठाते हुए भाजपा के 14 विधायकों को विधानसभा से सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड विधायकों में पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का नाम भी शामिल हैं।
मंत्री विक्रमादित्य कुर्सी छोड़ी,बोले पार्टी आलाकमान के पाले में अब गेंद
वहीं हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस वरिष्ठ विधायक विक्रमादित्य सिंह के तेवर बागी हो गए हैं। विक्रमादित्य ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्होंने पार्टी आलाकमान को वास्तविक स्थिति से अवगत करा दिया है। अब पार्टी आलाकमान के पाले में गेंद है। पार्टी आलाकमान को ही तय करना है कि आगे की रणनीति क्या और किस तरह की होगी। विक्रमादित्य ने कहा उन्हें जो कहना था वे बहुत स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं। यह बात बहुत ही स्पष्ट शब्दों में कहा गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा आने वाले समय में जो भी निर्णय होगा वह पार्टी आलाकमान के साथ विचार विमर्श करने के बाद ही लिया जाएगा। उन्हें पूरा भरोसा है कि जो भी निर्णय लिया जाएगा। वह कांग्रेस संगठन और इस राज्य की जनता के व्यापक हित का ध्याम में रखते हुए लिया जाएगा।
मुझे किया जा रहा था सरकार में अपमानित-विक्रम सिंह
पूर्व सीएम स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रम सिंह ने बुधवार 28 फरवरी को सुक्खू सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्य विधानसभा परिसर में ही प्रेसवार्ता आयोजित कर उन्होंने अपने इस्तीफे का एलान किया। साथ ही विक्रम ने कहा कि जनता के प्रति उनकी जावाबदेही है। एक साल के घटनाक्रम में विधायकों की अनदेखी की गई है। विधायकों की आवाज दबाई गई। उन्होेंने कहा शिलान्यास मामले में उनके विभाग के अधिकारियों को नोटिस थमाए गए गए। सिंह ने कहा जबकि वे वीरभद्र सिंह के कदमों पर चल रहे हैं। उन्होंने प्रियंका गांधी ही नहीं मल्लिकार्जुन खरगे को भी दो दिन के घटनाक्रम की जानकारी दे दी। अब फैसला हाईकमान को लेना है। मंत्री विक्रमादित्य सिंह की मीडिया से चर्चा में कहा, उन्होंने पार्टी का हमेशा साथ दिया। वे सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि मौजूदा समय में उनका इस सरकार में बने रहना अब ठीक नहीं है। वे यह निर्णय ले चुके है कि अब मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे रहा हैं।